ईरान भ्रमण - 35
आप को याद होगा कि पिछले कार्यक्रम में हमने बेहद खूबसूरत क़िश्म द्वीप की यात्रा की थी और वहां के कई पर्यटन स्थलों से आप को अवगत कराया था और अनोखे लाफ्त गांव और इस द्वीप के बाज़ारों की सैर के बाद आप को इस द्वीप के जियो पार्क के बारे में बताया था जो , बेहद अदभुत और कई जियो साइट्स से मिल कर बना है।
हमने बताया था कि यह न केवल यह कि क़िश्म द्वीप का अनोखा आकर्षण है बल्कि इसकी मिसाल पूरे ईरान में कहीं नहीं मिलती। दर अस्ल किश्म का जियो पार्क ईरान का पहला और मध्य पूर्व का एकमात्र जियो पार्क है जिसे यूनिस्को में पंजीकृत किया गया है।
किश्म द्वीप के पर्यटन स्थलों चाह कूह, बामे क़िश्म, सितारों की वादी, आली मोहम्मद वादी, खुरबस गुफा, नमकदान गुफा, तला कुएं, कासे सलख़, नाज़ द्वीप और बरगद के पेड़, से बने किश्म जियो पार्क किश्म का विभिन्न रूप दिखाता और पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। किश्म द्वीप के पश्चिमी भाग में अदभुत प्राकृतिक धरोहरों और सौन्दर्य से " किश्म जियो पार्क" को अस्तित्व मिला है। इस द्वीप पर खूबसूरत पेड़ पौधे, पशु पंछी विलुप्त हो रहे जीव जंतुओं की एसे नमूने मिलते हैं जो किसी भी देखने वाले को मंत्रमुग्ध करने की क्षमता रखते हैं। चाह कूह, बामे क़िश्म, सितारों की वादी, आली मोहम्मद वादी, खुरबस गुफा, नमकदान गुफा, तला कुएं, कासे सलख़, नाज़ द्वीप , बरगद के पेड़, केकड़ों के टीले, कूरकूला पहाड़ आदि बीस साइट्स ने मिल कर क़िश्म जियो पार्क को बनाया है जिनमें से हरेक अपनी भीतर एक दुनिया समोए है। तो इस खूबसूरत द्वीप के खूबसूरत व अदभुग जियो पार्क से अधिक परिचित होने के लिए हमारे साथ रहें।
क़िश्म द्वीप के आश्चर्यजनक प्राकृतिक जलवों की अपनी सैर हम " नमकदान " गुफा से कर रहे हैं। क़िश्म शहर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर गुंबद की भांति “नमकदान” नाम का पहाड़ है जो फार्स की खाड़ी के सात अजूबों में से एक है। दूर से जब इस गुंबद रूपी पहाड़ को देखते हैं तो उस पर नमक की धारियां दिखाई देती हैं जो बेहद खूबसूरत दुश्य पेश करती हैं। नमक का यह पहाड़ क़िश्म नगर से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह पहाड़ द्वीप के दक्षिणी तट पर है । गुंबदीय रूपी यह पहाड़ 237 मीटर ऊंचा है और वास्तव में यह इलाक़े द्वीप का सब से ऊंचा इलाक़ा भी है। इस पहाड़ के अंदर सुन्दर गुफायें हैं जिन्हें देखने के लिए लगभग दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। इन गुफाओं के अंदर नमक के बहुत ही सुन्दर व पारदर्शी स्टैलैक्टाइट(stalactite) हैं। इसी प्रकार इन गुफाओं की जो छतें हैं वे मरमर पत्थर की सुन्दर कन्दीलों से ढकी हैं जिससे बहुत ही सुन्दर व मनोरम दृश्य उत्पन्न हो गया है। पहाड़ के भीतर मौजूद कई गुफाओं में एक गुफा का नाम " नमकदान " गुफा है जो 6400 मीटर लंबी है और इसे दुनिया की सब लंबी नमक की गुफा कहा जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार नमक की गुफाएं कैंब्रियन काल से पहले बनी थीं । इस आधार पर नमक की इन गुफाओं की प्राचीनता पांच सौ मिलयन साल से अधिक है। क़िश्म की नमकदान गुफा में कई रगों की नमक की धारियां हैं जिनमें से हरेक दसियों हज़ार साल पुरानी हैं। इस गुफा के कई भाग हैं जिनका साइज़ अलग -अलग है। इस गुफा का पहला हॅाल या भाग लगभग 670 मीटर लंबा है और उसकी चौड़ाई औसतन पांच मीटर है।

गुफा के भीतर खास तौर पर उसकी गहराई में रौशनी नहीं है इस लिए नमक के चमकते भाग को देखने के लिए ताक़तवर टार्च की ज़रूरत पड़ती है।गुफा की छत पर नमक की किन्दीलें लटकी हुई हैं जो बेहद खूबसूरत दृश्य पेश करती हैं।
नमकदान पहाड़ के भीतरी भाग में हमेशा पानी बहता रहता है जो बाद में नमक से मिल कर सोते के रूप में गुफा से बाहर निकलता है और इसी ने नमकदान पहाड़ के आंचल में प्राकृतिक हौज़ बना दिये हैं। चूंकि यह पानी नमकीन होता है इस लिए यह हौज़ भी सफेद रंग के होते हैं। आप के लिए यह भी जानना रोचक होता कि यहां पूरे साल पानी बहता रहता है। नमकदान गुफा के भीतरी भाग में पानी को बहते हुए देखा जा सकता है और कभी कभी नमकीन पानी किसी दर्पण की भांति गुफा के चित्रों को दिखाता है जिससे बेहद अदभुत दृश्य बनता है। सोते का तल लाल रंग का है ।

नमकदान पहाड़ के आस पास एक अन्य दर्शनीय चीज़ चमकते कण हैं जो दर अस्ल तट पर चांदी के कणों की चमकते हैं और इससे भी बेहद खूबसूरत दृश्य पैदा होता है। आप को यह भी बता दें कि नमकदान गुफा का नमक खाने के लिए बहुत ही अच्छा है और इसमें मैग्नीसियम भी मौजूद होता है इसी लिए इस गुफा के नमक को औषधीय गुणों वाला कहा जाता है। इसी प्रकार नमकदान गुफा, सांस की बीमारियों में ग्रस्त लोगों के लिए भी बेहद लाभदायक है । रोगियों के लिए इस गुफा में कुछ समय बिताना अच्छा होता है।
निश्चित रूप से हिरा जंगल और वहां पर ईरान के प्रसिद्ध बुद्धिजीवी अबू अली सीना के नाम पर " एवीसीना मारीना" के पेड़, क़िश्म द्वीप का आश्चचर्य जनक सौन्दर्य है। हिरा के जंगलों को देखना हर पर्यटक के लिए सुहाना अनुभव हो सकता है।
हेरा के जंगल 22 हज़ार वर्ग किलोमीटर पर फैले हैं यह फार्स की खाड़ी और ओमान सागर के तटों पर पाए जाते हैं। पानी के बीचो बीच उगने वाले यह खूबसूरत जंगल दुनिया के अजूबों में गिने जाते हैं। और इसी लिए इसका अंतरराष्ट्रीय पंजीकरण हुआ है और यह संरक्षित क्षेत्र होते हैं। 2400 हेक्टर के जंगल क़िश्म के उत्तरी और पश्चिमी तटों पर स्थित हैं। जंगल ज्वार भाटे की दिशा में है जो पानी चढ़ने पर डूब जाते हैं और कम होने पर पूरा जंगल पानी में उभर आता है।
इस जंगल के पेड़ हर मौसम में हरे भरे रहते हैं। इस प्रकार के जंगल में पाए जाने वाले पेड़ तीस से छे मीटर लंबे होते हैं। इन पेड़ों की खास बात यह है कि दसियों लाख वर्षों तक नमकीन पानी में रहने की वजह से इन्हों ने स्वंय को नमकीन पानी के अनुरूप ढाल लिया है। यह खारे पानी से फलते फूलते हैं और पानी से नमक निकाल पर उसे मीठा पानी बना देते हैं। गर्म क्षेत्रों के रहने वाले पक्षी पलायन करके इस जंगल में आते हैं। इस जंगल के समुद्र में विभिन्न प्रकार जीव- जन्तु पाये जाते हैं। ये जीव-जन्तु मछलियों और जंगली पक्षियों के भोजन के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। पर्यटक समुद्र में फैले इस जंगल में नौका से सैर को निकलते हैं और प्रकृति के इस अजूबे का आनंद लेते हैं।
जैसा कि हमने बताया था कि क़िश्म को फार्स की खाड़ी का मोती कहा जाता है और यह मोती एसा है जिसके कई रुख हैं और हर रुख से यह सुंदर दिखायी देता है। प्राचीन स्थल, एतिहासिक अवशेष और अजूबे गांव आदि के साथ ही साथ प्राकृतिक आकर्षण भी इस द्वीप को ईरान ही नहीं बल्कि क्षेत्र में एक विशेष स्थान प्रदान करता है जिसकी वजह से यहां हमेशा सैलानियों की भीड़ नज़र आती है किंतु क़िश्म के सभी आकर्षणों में जियो पार्क का अपना स्थान है यही वजह है कि हमारी सैर अभी जारी रहेगी और अगली भेंट में हम इस पार्क के अन्य भागों से आप को अवगत कराएंगे।