Jul २८, २०२० १२:१४ Asia/Kolkata

वर्तमान समय में पश्चिमी जगत की ज्वलंत समस्या, परिवारों का बिखरना है।

यही विषय, पश्चिमी समाज के लिए विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बन रहा है। एसा माना जा रहा है कि यही विषय, संभवत: पश्चिमी सभ्यता के विघटन का कारण भी हो सकता है।

आपको बता ही होगा कि परिवों के बिखरने या उनके विघटन का महत्वपूर्ण एवं मुख्य कारक तलाक़ है।

सन २०१८ में पेश किये गए आंकड़ों के अनुसार भौतिकवादी संस्कृति से प्रभावित संसार के दस देश, तलाक़ के बारे में समाज में नकारात्मक प्रभाव रखने के कारण विश्व में शीर्ष पर विराजमान हैं।

ब्रिटेन में की जाने वाली शादियों में से आधी शादियां तलाक़ का शिकार बनती हैं। सन २०१९ के आरंभिक छह महीनों में ब्रिटेन में जो शादियां हुई उनमें से ४२ प्रतिशत शादियों में तलाक़ हो गया।

अमरीका के एक सरकारी केन्द्र की रिपोर्ट के अनुसार इस देश में होने वाली शादियों में से ५० प्रतिशत के तलाक़ का सामना करना पड़ता है।

तलाक़ एक बहुआयामी चीज़ है। संसार के विभिन्न देशों में तलाक़ के अलग अलग कारक बताए जाते हैं जिनमें आर्थिक संकट , सामाजिक संकट, मानसिक समस्या, हताशा , निराशा, जीवन सार् की ओर से विश्वासघात , टीवी चेनेलों की भरमार, नशे का प्रयोग और इस प्रकार की कई अन्य चीज़ें। जहां पश्चिमी देशों में तलाक़ एक आम सी बात है और लोग मामले को गंभीरता से नहीं देखते वहीं पर इस्लामी देशों में इस्लाम की शिक्षाओं के कारण तलाक़ की दर बहुत कम है क्योंकि वहां पर तलाक़ को बुरा समझा जाता है।

 

कुछ पश्चिमी शोधकर्ता ओंका जो एक स्थाई जीवन के इच्छुक है। यह मानना है कि महिलाओं और पुरूषों के समान अधिकार भी तलाक़ का कारण बन रहे हैं। उनका कहना है कि पश्चिमी समाजों विशेषकर अमरीका में इस क़ानून के पारित होने के बाद तलाक़ की संख्या में बहुत वृद्धि दर्ज की गई है।

तलाक़ एसी प्रक्रिया है जो इसकी भेंट चढ़ने वालों के जीवन को बदल कर रख देती है।

Twice Adopted नामक पुस्तक के लेखक माइकल रीगन, अपने माता पिता के तलाक़ के बारे में लिखते हैं कि जब तलाक़ होता है कि तो दो बड़े लोग अर्थात माता और पिता उन सभी चीज़ों को बच्चों से छीन लेते हैं जो उनके लिए वास्तव में बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं।

तलाक़ का मुद्दा हमेशा से एक सामाजिक समस्या रहा है और आज भी है। तलाक़ के पड़ने वाले दुष्प्रभावों को पश्चिम में भी महसूस किया जाता है किंतु पश्चिम इसको अपनी सामाजिकख सांस्कृतिक और आर्थिक व्यवस्थाओं से दूर करने में विफल रहा है।

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