पश्चिमी जीवन की सच्चाई - 18
औद्योगिक क्रांति के बाद सूचना और संपर्क के क्षेत्र में जो क्रांति आयी है उसने मनुष्य के जीवन में बहुत कुछ परिवर्तित कर दिया है और तकनीक में यह परिवर्तन इस बात का कारण बना है कि आज पश्चिमी समाज उसका रसिया हो गया है।
दूसरे शब्दों में तकनीक पश्चिमी समाज के जीवन का अभिन्न अंग बन गया है।
अभी दो शताब्दी पहले तक पश्चिमी समाजों में जीवन शैली चर्चा का विषय नहीं था यानी वहां यह कोई बात ही नहीं थी कि जीवन शैली भी कोई चीज़ है परंतु आज पश्चमी समाजों में यह चर्चा का विषय बन गया है और इस पर पश्चिमी समाजों के बुद्धिजीवी और समाजशास्त्री ध्यान दे रहे हैं। इस विषय पर चर्चा करना इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि जीवन शैली एसा विषय है जिसमें हमारी जीवन पद्धति भी शामिल है। जीवन शैली वह व्यापक विषय है जिसमें खान-पान, रहन- सहन और इसी प्रकार व्यक्तिगत और सामाजिक व्यवहार शामिल हैं।
तकनीक भी नया विषय है जिसमें हालिया दशकों में ध्यान योग्य प्रगति हुई है। औद्योगिक, विकास और प्रगति वह विषय है जिसका आधार तकनीक है। तकनीक में ध्यान योग्य विकास से इंसान की जीवन शैली में भी परिवर्तन आ गया है। चूंकि तकनीक, डीजिटल संचार माध्यम और संपर्क के संसाधनों से इंसान के शरीर और आत्मा पर प्रभाव पड़ रहा है इसलिए तकनीक इंसान की जीवन शैली पर भी महत्वपूर्ण ढंग से प्रभाव ड़ाल रही है। जब तकनीक विकास के अपने आरंभिक समय में थी तो सभी तकनीक के विकास से प्रसन्न व मुग्ध थे इस प्रकार से कि कोई भी तकनीक की त्रुटियों को बयान करने का साहस नहीं करता था परंतु आज समय गुज़रने के साथ- साथ पश्चिमी समाजों में तकनीक पर बहुत अधिक टीका- टिप्पणी भी की जा रही है।
नीएल पोस्टमैन टीका- टिप्पणी करने वाले व्यक्तियों में से एक हैं। उनका मानना है कि इससे पहले कि हम तकनीकवादी बनें और हम तकनीक को केवल उपहार मानें हमें तकनीक और उसके उत्पादों से होने वाले नुकसानों पर भी ध्यान देना चाहिये। नेट और इंटरनेट इस काल के नये शब्द हैं। नेट और तकनीक में गहरा संबंध है। यह संबंध इतना गहरा है कि कहीं- कहीं नेट से तात्पर्य तकनीक होता है। नेट की दुनिया अस्पष्ट और इतनी आकर्षक है कि आज उसे दूसरे जीवन के रूप में याद किया जा रहा है और आज तकनीक और इंटरनेट बहुत से लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। आज की तकनीक और इंटरनेट की वजह से बहुत से लोग घर बैठे हज़ारों किलोमीटर दूर से आये अपना ईमेल पढ़ सकते हैं आनलाइन बहसों में भाग ले सकते हैं, विचारों का आदान- प्रदान कर सकते हैं, दूसरे लोगों को अपना मित्र बना सकते हैं, हज़ारों किलोमीटर दूर बैठे इंसान से दोस्ती कर सकते हैं उसे देख सकते हैं। आज सूचना और संपर्क बहुत आसान हो गया है जिसकी वजह से कहा जाता है कि पूरी दुनिया एक गांव बन गयी है।
बहरहाल तकनीक ने जहां इंसान के लिए विभिन्न प्रकार की सुविधायें उत्पन्न कर दी हैं और इंसान के जीवन को सुगम बना दिया है वहीं उसके कुछ हानिकारक प्रभाव भी हैं। उदाहरण स्वरूप इंटरनेट और आज की आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग करके मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले गुट, हथियारों की बिक्री करने वाले गिरोह और इसी तरह मानव अंगों का व्यापार करने वाले दल एक दूसरे से संपर्क में रहते हैं और अपना सारा कारोबार आज की तकनीक का लाभ उठा कर रहे हैं और रोचक बात यह है कि अवैध कार्यों में लिप्त लोग आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग करके अपने अवैध कार्यों को अंजाम दे रहे हैं और वे परिचित रूप में लोगों के बीच मौजूद भी हैं। आज की तकनीक से यह सुविधा भी उत्पन्न हो गयी है कि आज की तकनीक का प्रयोग करने वाले बहुत आसानी से अपनी पहचान भी छिपाये रखते हैं।
अध्ययन इस बात के सूचक हैं कि एसे भी लोग हैं जो समाज के खिलाफ व्यवहार को दोस्त रखते हैं जैसे हिंसा, धमकी और विवाद इत्यादि। इंटरनेट के माध्यम से इस प्रकार के लोग अपने अमानवीय और ग़ैर कानूनी लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए अपनी पहचाना ग़लत बताते हैं और इंटरनेट और सोशल साइटों के माध्यम से अपने विचारों का प्रचार- प्रसार करते हैं।
ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र इंडीपेन्डेन्ट ने अभी कुछ दिन पहले इस देश की पुलिस के हवाले से हिंसा में वृद्धि की सूचना दी थी और कहा था कि विभिन्न प्रकार की हिंसा में वृद्धि उन लोगों के माध्यम से हुई है जो आज की आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। वर्ष 2015 और 2016 में पेश किये गये आंकड़ों के अनुसार इंटरनेट और सोशल साइटों के माध्यम से 4 हज़ार से अधिक बच्चों का यौन शोषण किया गया और यह संख्या 2018 और 2019 में डबल हो गयी यानी आठ हज़ार से अधिक बच्चों का यौन शोषण किया गया। दूसरे शब्दों में प्रतिदिन औसतन 22 बच्चों का यौन शोषण किया गया। nspcc संस्था के निदेशक पीटर वेनालिस कहते हैं कि इन अपराधों के पीछे उन बच्चों का भी हाथ होता है जो यौन शोषण का शिकार हो चुके होते हैं और हम जानते हैं कि जो लोग यौन शोषण का शिकार हो रहे हैं उसकी तुलना में यह संख्या बहुत कम है।
जो लोग इंटरनेट का प्रयोग करते हैं उनमें सबसे अधिक जवान और नौजवान इसके दुष्परिणामों से प्रभावित होते हैं। पिछले वर्ष यानी वर्ष 2019 में एक खबर न्यूज़ीलैंड से थी जिसे सुनकर बहुत से लोग हतप्रभ रह गये। न्यूज़ीलैंड में एक नस्लभेदी ने इस देश के क्राइस्टचर्च शहर की दो मस्जिदों पर आतंकवादी महला करके 49 नमाज़ियों को मौत के घाट उतार दिया जबकि दसियों अन्य को घायल कर दिया। इन मस्जिदों में नमाज़ियों पर हमला करने के एक मूल आक्रमणकारी ने हमले के आरंभ से अंत तक के सारे दृश्य को सोशल साइटों, फेसबुक और ट्यूटर पर लाइव शेयर किया था। यह आतंकवादी हमला इतना हृदय विदारक था कि बहुत से लोगों ने सोशल साइटों का आह्वान किया कि वे दोबारा इस हृदय विदारक हमले को दिखाये जाने से परहेज़ करें। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि हमला करने वाले कम्प्यूटर गेम्स और सोशल साइटों से प्रभावित थे जिसकी वजह से उन्होंने यह कार्य अंजाम दिया।
कम्प्यूटर गेम्स के बहुत पक्षधर हैं और बच्चों, किशोरों यहां तक बड़ी उम्र के लोगों को भी इसने प्रभावित कर रखा है। ल्योटार्ड और बडरिलार्ड जैसे बुद्धिजीवियों व वैज्ञानिकों का मानना है कि कम्प्यूटर का गेम बनाने वाले एक काल्पनिक वास्तविकता बनाते हैं और उसे वास्तविकता का रूप और स्थान दे देते हैं। इस प्रकार वे लोगों की सोच को दिशा देते हैं। इसी प्रकार कम्प्यूटर गेम्स का निर्माण करने वाले सफलता को विफलता और विफलता को सफलता बनाकर पेश करते हैं। यही नहीं कम्प्यूटर गेम्स का निर्माण करने वाले वास्तविक विफलता को सफलता बना कर पेश करते हैं। उदाहरण स्वरूप KUMA WAR नाम का एक कम्प्यूटर गेम है। इस गेम में वास्तविकता को बिल्कुल उल्टा दिखाया गया है। वर्ष 1359 हिजरी शमसी का समय था। तेहरान में ईरानी छात्रों ने अमेरिकी दूतावास के एजेन्टों को गिरफ्तार कर लिया था जो ईरान की इस्लामी क्रांति के खिलाफ जासूसी कर रहे थे और अमेरिकी दूतावास इस देश के जासूसी अड्डे में परिवर्तित हो गया था। अमेरिका तेहरान में गिरफ्तार अपने एजेन्टों को स्वतंत्र कराने के लक्ष्य से ईरान के तबस मरुस्थल से सैनिक कार्यवाही करने के प्रयास में था परंतु महान ईश्वर की सहायता से हवाओं का तेज़ तूफान आता है जिससे अमेरिका की सारी योजना पर पानी फिर गया परंतु कम्प्यूटर गेम बनाने वाले ने इस घटना को इस तरह से बयान किया है कि मानो अमेरिका का यह सैनिक आप्रेशन सफल रहा जबकि वास्तविकता बिल्कुल इसके विपरीत थी।
इसी प्रकार कम्प्यूटर गेम्स बनाने वाले यह बताते हैं कि इस्लामी देशों में मरुस्थल होते हैं, वहां ऊंट होते हैं, वहां हिंसा होती है, वहां के शासक अत्याचारी होते हैं और इसी प्रकार इन देशों में खंडहर हो चुके पुराने मकान आदि होते हैं। दूसरे शब्दों में इस्लामी देशों की ग़ैर वास्तविक तस्वीरों को वास्तविक रूप देकर पेश करते हैं और जब पश्चिमी देशों के नागरिक इस्लामी देशों में पर्यटक के रूप में जाते हैं तो उन्हें बड़ा आश्चर्य होता है क्योंकि वहां पर न ऊंट दिखाई पड़ता है न खंडहर हो चुकी इमारतें व मकान बल्कि पश्चिमी देशों के पर्यटक इस्लामी देशों की इमारतों आदि को देखकर हतप्रभ रह जाते हैं। इस प्रकार कम्प्यूटर गेम्स का निर्माण करने वाले पश्चिमी अपने देश के नागरिकों का ब्रेनवाश करते हैं दूसरे शब्दों में यह भी आज की आधुनिक तकनीक का एक नुकसान है कि उसके माध्यम से ग़लत को सही बताकर लोगों का दिशा- निर्देशन किया जाता है।
आज की जो तकनीक है उसका एक नुकसान मानवीय लेनदेन में कमी है। यानी आज तकनीक में विकास के साथ- साथ लोगों की व्यस्तता बहुत बढ़ गयी है और वे अपने परिवारों, नाते- रिश्तेदारों और मित्रों आदि से दूर होते जा रहे हैं। एक समय था जब परिवार के लोग एक साथ बैठक कर खाना- खाते थे परंतु अब परिवार के सदस्य बहुत कम एक साथ इकट्ठा होते हैं। साथ एकट्ठा होकर खाना खाने, बात करने और हंसी मज़ाक करने का आनंद ही खत्म होता जा रहा है। आज यह बात बहुत देखने को मिलती है कि लोग जब कहीं एकत्रित होते हैं और लोगों के मध्य मौन होता है और उनमें से एक व्यक्ति अपना मोबाइल निकालता है और चाहता है कि कुछ देखें। तो कोई भी इस बात पर न तो ध्यान देता है और न ही कुछ कहता है। किसी का कुछ न कहना इस बात का सूचक है कि मानो हमने इस बात को स्वीकार कर लिया है। अपने मोबाइल को चेक करना एक सामान्य बात हो गयी है। इस दौरान दूसरे भी अपना मोबाइल निकालना चाहते हैं और वे भी इस कार्य को दोहराना चाहते हैं। इस प्रकार क्रमबद्ध प्रतिक्रिया आरंभ हो जाती है और लोग अपना- अपना मोबाइल निकाल कर अपने में बीज़ी हो जाते हैं। लोगों के मध्य मौन बढ़ता जाता है यहां तक कि आप यह देखते हैं कि केवल आप ही बचे हैं जो मोबाइल के बिना बैठे हैं और दूसरे अपना- अपना मोबाइल देख रहे हैं, चेक कर रहे हैं। कोई चैट कर रहा है, कोई मोबाइल पर कुछ पढ़ रहा है और इसी प्रकार के दूसरे कार्य। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जहां तकनीक में विकास के बहुत फायदे हैं और उसने इंसान के जीवन में बहुत सुविधायें पैदा कर दी हैं वहीं तकनीक के बहुत से नुकसान भी हैं जिनमें से एक यह है कि इस तकनीक की वजह से लोगों की जीवन शैली परिवर्तित होती जा रही है और इस परिवर्तन के परिणाम में समाजों में जो सांस्कृतिक मिठास थी वह खत्म होती जा रही है।