Apr २५, २०१६ १५:१७ Asia/Kolkata
  • निर्धन व्यक्ति की कहानी-2

जब वह अपने घर पहुंची तो उसने देखा कि दरवाज़ा बंद है। वह किसी तरह छत पर पहुंची तो देखा कि उसका पति और बच्चे भूख से निढाल पड़े हुए हैं।

उस गाए का मांस समाप्त हो चुका था और अब उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा था जिसके चलते बच्चे मरने की कगार पर पहुंच गए थे। वह उन्हें देख ही रही थी कि छोटे बेटे ने कहा। प्रभुवरः मेरी रोज़ी भेज दे। उस महिला ने ऊपर से थोड़ा सा मांस उसके पास फेंक दिया। दूसरे बच्चे ने जैसे ही मांस देखा, सिर उठा कर ज़ोर से बोला, प्रभुवर! 

 

मेरी रोज़ी भी भेज दे। उसने उसके पास भी थोड़ा सा मांस फेंक दिया। तीसरे बेटे ने जब देखा कि उसकी भाइयों की दुआ पूरी हो गई है तो उसने भी चिल्ला कर कहाः हे ईश्वर! मेरी रोज़ी भी भेज। उस महिला ने अपने तीसरे बेटे के पास भी थोड़ा सा मांस फेंक दिया। किंतु जैसे ही उसके पति ने अपनी रोज़ी मांगी, महिला ने ईंट का एक टुकड़ा उठा कर उसकी ओर फेंक दिया। पति ने कहाः मुझे यह रोज़ी नहीं चाहिए, मुझे भी दूसरों की भांति रोज़ी दे। महिला ने अपने बच्चों से दरवाज़ा खोलने के लिए कहा।

 

बच्चे मां की आवाज़ सुन कर बहुत ख़ुश हो गए और उन्होंने तेज़ी से दरवाज़ा खोल दिया। वह घर में आई और पति से कहने लगी। तुमने मुझे निकाल दिया और गाए का मांस अकेले ही खा गए। शीत ऋतु गुज़र गई और मांस समाप्त हो गया किंतु मैं नहीं मरी। पति ने पूछाः तुम्हारी स्थिति कैसी है? उसने कहाः मुझे एक ठिकाना मिल गया है और मेरा जीवन बीत रहा है। तुम लोग अपना सामान उठाओ और मेरे साथ चलो। पति ने घर का सामान अपनी पीठ पर लादा और बच्चों के साथ महिला के पीछे-2 चल पड़ा। वे उस गुफा के पास पहुंच गए। वे उसके अंदर जा कर बहुत ख़ुश हुए क्योंकि उसके अंदर आवश्यकता की सभी वस्तुएं मौजूद थीं और एक बड़े से देग़ में मांस भी पक रहा था। अभी वे बैठे ही थे कि शाम हो गई और रीज़े मीज़े अपने गल्ले के साथ वापस आ गया। गल्ले के ऊंट, गाए, भेड़, बकरियां और बछड़े सभी अपने अपने बाड़े में चले गए। वह स्वयं एक बकरी की सींग पर बैठ कर गुफा के भीतर आया और जैसे ही उसने महिला के पति और बच्चों को देखा तुरंत ही नीचे आया और उनका स्वागत किया।

 

 

वह बड़ा ही दयालुव कृपालु था। वह उस महिला के पति को अपने पिता और बच्चों को अपने भाइयों के समान समझता और प्रेम करता था। वह बच्चों को प्रतिदिन अपने साथ गल्ले को चराने के लिए जंगल में ले जाता था। पति-पत्नी घर में ही रहते थे और उसकी सफ़ाई सुथराई किया करते थे। रीज़े मीज़े और उस परिवार ने कुछ समय तक इसी प्रकार सुख से उस गुफा में जीवन बिताया यहां तक कि एक दिन रीज़े मीज़े ने अपने मुंह बोले पिता से कहा कि वह जाकर राजा से उसके लिए राजकुमारी का हाथ मांगे। उसने कुछ नहीं कहा किंतु दिल में सोचने लगा कि वह इस हुलिए में किस प्रकार राजा के महल में जा कर रीज़े मीज़े के लिए राजकुमारी का हाथ मांग सकता है जो संभवत बहुत सुंदर होगी जबकि यह लड़का तो बौना है। उस व्यक्ति के पास ढंग का वस्त्र भी नहीं था किंतु उसके पास रीज़े मीज़े की बात मानने के अतिरिक्त कोई अन्य मार्ग नहीं था। उसने अपने सिर पर एक कपड़ा डाला और कमर में पटका बाँध कर रवाना हो गया। जब वह शहर पहुंचा और किसी से राजा के महल का पता पूछा तो सभी उस पर हंसने लगे। वह बड़ी कठिनाइयों से राजा के महल तक पहुंचा। दरबानों ने उससे पूछा कि उसे क्या काम है तो उसने कहा कि वह राजकुमारी का हाथ मांगने आया है।

 

उन लोगों ने जल्दी से दरवाज़ा खोल दिया उन्हें हंसने का अवसर मिल जाए। जब वह महल में पहुंचा तो लोगों ने उसका रास्ता रोकना चाहा किंतु राजा ने कहा कि उसे छोड़ दिया जाए शायद वह भीख मांगने के लिए आया है।

 

दरबार में किसी ने भी उसे कोई महत्व नहीं दिया किंतु राजा ने इशारा किया कि वह उसके निकट बैठ जाए। सभी को ईर्ष्या होने लगी मगर जब राजा ने पूछा और यह जान लिया कि फटे-पुराने वस्त्र पहने हुए यह व्यक्ति उसकी बेटी का हाथ मांगने आया है तो उसने थोड़ा मज़ाक़ करना चाहा ताकि सभी को हंसने का अवसर मिल जाए। उसने कहा कि रिश्ते के लिए एक शर्त है और वह यह कि वह व्यक्ति अपने घर से राजा के महल तक काले घुटने वाले ऊंट ले कर आए जिन पर सोना चांदी लदा हो। उस व्यक्ति ने विवश हो कर यह शर्त स्वीकार कर ली और महल से बाहर निकल आया। वह गुफा में वापस पहुंचा और रीज़े मीज़े से सारी बात कह सुनाई। रीज़े मीज़े बहुत प्रसन्न हुआ और उसने कहा कि यह तो कोई बड़ी बात नहीं है।

 

उसने ढेर सारे काले घुटने वाले ऊंटों को तैयार किया और सोने-चांदी की बहुत सारी बोरियां तैयार करके उन्हें ऊंटों की पीठ पर लाद दिया। इसके बाद उसने पहले ऊंट की लगाम अपने मुंह बोले पिता को दी और स्वयं अपनी बकरी की सींग पर बैठ कर ऊंटों के पीछ-पीछे चल पड़ा। पहला ऊंट राजा के महल तक पहुंच गया और अंतिम ऊंट अभी गुफा से भी बाहर नहीं निकल पाया था।

 

राजा के लोगों ने उसे यह बात बताई तो वह दंग रह गया किंतु उसने विवश हो कर आदेश दिया कि उस फटे-पुराने कपड़े वाले व्यक्ति को महल में आने दिया जाए। लोग भी उस ग़रीब व्यक्ति और सोने-चांदी से लदे असंख्य ऊंटों को देख कर आश्चर्यचकित रह गए और सोचने लगे कि वह इतना धन कहां से लाया?