Apr २५, २०१६ १५:२७ Asia/Kolkata
  • मलिक मुहम्मद और लंगड़े दैत्य की कहानी-3

जैसा कि हमने आपको यह बताया था कि पुराने ज़माने में एक राजा था जिसके साथ बेटे थे।

             

६ बेटे एक बीवी से और एक बैटा दूसरी बीवी से था जिसका नाम मलिक मो हम्मद था। राजा ने अपने बेटों से कहा था कि जो भी उसके लिए सोने के पिंजड़े में मौजूद तोता ले आएगा वह उसका उत्तराधिकारी बनेगा। 

 

छह बेटे गए लेकिन उन्हें ख़ाली हाथ लौटना पड़ा। मलिक मोहम्मद ने बाप से इजाज़त ली और कुछ रत्न लेकर चल पड़ा। छह भाइयों ने उस पर मरूस्थल में हमला कर दिया और उसे इतना मारा कि वह मौत के मुंह तक पहुंच गया था किन्तु मलिक मोहम्मद ने दुआ में हज़रत अली अलैहिस्सलाम से सहायता का गुहार लगायी और इस प्रकार वह अपनी जान बचाने में सफल हुआ। वह एक बूढ़ी महिला के घर में पनाह लिए हुए था जहां उसे यह पता चला कि एक देव है जो उस शहर की लड़कियों को उठा ले जाता था। उस रात राजा की बेटी की बारी थी। मलिक मोहम्मद दैत्य से लड़नेके लिए उस गुंबद के पास गया जहां राजा की लड़की मौजूद थी। जब दैत्य राजकुमारी को लेने के लिए पहुंचा तो मलिक मोहम्मद ने अपनी तलवार से उसका एक पैर काट डाला। दैत्य, मलिक मोहम्मद की वीरता से डर कर बादल का रूप धारण करके फ़रार कर गया।

 

 

राजकुमारी और मलिक मोहम्मद ने एक दूसरे को आश्चर्य से देखा। जब देव की मौजूदगी से फैली बदबू ख़त्म हुयी तो दोनों ने ईश्वर का आभार व्यक्त किया। जब सुबह हुयी तो मोअज़्ज़िन अर्थात अज़ान देने वाला व्यक्ति मस्जिद की छत पर पहुंचा तो अचानक उसकी निगाह कूड़े के ढेर पर पड़ी जहां एक बहुत बड़ी चीज़ पड़ी हुयी थी। वह डर कर कांपने लगा और उसी हालत में उसने ग़लत अज़ान दे दी। राजा ने जो अपनी बेटी के बारे में चिंतित होने के कारण नहीं सो पाया था, अज़ान देने वाले की ग़लत अज़ान सुनी तो उसे बुलवा भेजा। जब राजा ने अज़ान देने वाले की हालत को देखा तो उससे पूछा, तुम्हें क्या हो गया है?

 

अज़ान देने वाले ने कहा, महामहिम! मुझे नहीं मालूम कि क्या हुआ। ऐसा लगता है कि दैत्य का पेट नहीं भरा है और वह गुंबद के पीछे सो रहा है। शायद उसका इरादा शहर में ठहरने का है। राजा ने एक बूढ़े आदमी को बुलवाया और उसे बहुत ढ़ेर सा पैसा दिया ताकि वह गुंबद के पास जाकर वहां की सही स्थिति का पता लगा कर उसे बताए। बूढ़ा आदमी पैसा लेकर डरते डरते गुंबद की ओर बढ़ा। जब वहां पहुंचा तो सुबह हो चुकी थी और उसे हर चीज़ साफ़ दिखाई दे रही थी। उसने देखा कि गुंबद के पीछे दैत्य नहीं है बल्कि जो चीज़ ज़मीन पर गिरी हुयी थी वह दैत्य का पैर है।

 

 

उसे तो पहलं ख़ुद पर यक़ीन न आया कि जो उसने देखा है वह सही है या नहीं। उसने सोचा कि कहीं वह ख़्वाब तो नहीं देख रहा है। जब निकट से देखा तो उसे यक़ीन हो गया कि जो वह देख रहा है वह दैत्य का पैर है। बूढ़े व्यक्ति में दैत्य के बारे में और जानने की जिज्ञासा पैदा हुयी । डरते डरते सीढ़ियों से गुंबद के ऊपर पहुंचा। तो क्या देखता है कि राजकुमारी और मलिक मोहम्मद सो रहे हैं। यह देखकर बूढ़ा व्यक्ति ख़ुश हुआ और वह तेज़ी से राजा के पास पहुंचा और उसने राजा से कहा, ‘हे राहा दैत्य गुंबद में नहीं सो रहा है बल्कि उसका पैर कटा हुआ वहां पड़ा है। आपकी बेटी भी सही सलामत है और एक सुंदर जवान भी वहां है।‘ यह सुनकर राजा ख़ुशी से उछल पड़ा और उसने कहा, ‘यह उसी जवान का काम है। मैं चाहता हूं कि कोई जाए और उन दोनों को सोयी हुयी हालत में मेरे पास ले आए।‘

 

 

राजा के वज़ीर ने जब यह सुना तो उसने अपने मन में सोचा कि अब उसका लड़का राजकुमारी से शादी की अपनी इचछा पूरी करने में कामयाब हो जाएगा। वज़ीर का लड़का राजकुमारी को चाहता था। वज़ीर ने राजा से कहा, ‘महामहिम! उन्हें सोयी हुयी अवस्था में लाने की क्या ज़रूरत है। इंतेज़ार कीजिए की सूरज निकल आए ताकि वह जाग जाएं। उस वक़्त किसी को भेजेंगे कि उन्हें ले आएं। उसके बाद उस लड़के पर आरोप लगाकर उसकी गर्दन उड़ा देंगे और बेटी से अपने लड़की की शादी करवा देंगे।‘ यह सुनकर राजा को बहुत ग़ुस्सा आया और उसने जल्लाद को वज़ीर की ज़बान काटने का हुक्म दिया।

 

जल्लाद ने राजा के हुक्म पर अमल करने हुए वज़ीर की ज़बान काट दी। उसके बाद राजा ने राजकुमारी और मलिक मोहम्मद को बुलवा भेजा। कुछ लोग गए और उन्हें सोयी हुयी हालत में अपने साथ लेकर राजा के दरबार में पहुंचे। अचानक मलिक मोहम्मद की ऑंख खुल गयी तो क्या देखता है कि वह राजा के तख़्त के पास है। राजा ने कहा, ‘‘हे जवान! तुम जो भी हो तुमने मेरी बेटी की जान बचायी र उस दैत्य के आतंक से हमें और हमारी जनता को बचाया है।‘‘ अभी राजा ने इतना ही कहा था कि राजकुमारी की आंख खुल गयी। उसने जो कुछ गुंबद में घटा था सब कुछ अपने बाप को बताया। राजा ने जब मलिक मोहम्मद की वीरता की कहानी अपनी बेटी की ज़बानी सुनी तो उसने कहा, ‘‘अब तुम हमारी बेटी से शादी कर लो। ‘‘ मलिक मोहम्मद राजकुमारी से शादी के लिए तय्यार हो गया और राजा ने भी शहर को सजाने का हुक्म दिया। सात दिन तक शादी की तय्यारी का जश्न मनाया गया। सातवीं रात राजा ने अपनी बेटी की शादी मलिक मोहम्मद से कर दी।

 

जब रात हुयी तो मलिक मोहम्मद ने राजकुमार से कहा, ‘‘मुझे कुछ काम है रुक नहीं सकता।‘‘ काम बहुत ख़तरनाक है। अगर लौट आया तो ठीक वरना तुम किसी और से शादी कर लेना।‘‘ राजकुमारी अपने वीर पति की बात पर राज़ी हो गयी। दोनों रात को सोए और जब सुबह हुयी तो मलिक मोहम्मद राजा के पास गया और उसने वज़ीर के शहर को देखने की इच्छा जतायी जो राजा के शहर के निकट स्थित था। राजा के आदेश पर वज़ीर के शहर को सजाया गया और मलिक मोहम्मद कई दरबारियों के साथ उस शहर को देखने के लिए रवाना हो गया। (MAQ)

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