Sep ०१, २०२० १८:०१ Asia/Kolkata

आज के मानव समाज की एक चिंता का एक कारण मादक पदार्थों का सेवन है।

आज मादक पदार्थों का सेवन दुनिया के हर देश में हो रहा है कहीं कम तो कहीं ज़्यादा। मादक पदार्थों का सेवन दिन- प्रतिदिन पश्चिमी देशों में बढ़ रहा है इस प्रकार से कि मादक पदार्थों के सेवन से संबंधित संस्थाएं और विशेषज्ञ चेतावनियां दे रहे हैं। यूरोप में मादक पदार्थों और नशे पर नज़र रखने वाली संस्था ने वर्ष 2018 में जो रिपोर्ट दी थी उसके आधार पर विभिन्न यूरोपीय देशों में 140 टन से अधिक कोकिन ज़ब्त की गयी और यह मात्रा वर्ष 2017 के मुकाबले में दो बराबर थी।

इटली के रोम शहर में IRIB के संवाददाता मासूमी नेजाद ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि इस देश में मादक पदार्थों के सेवन में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि इटली में आधिकारिक आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि ब्रिटेन और फ्रांस के बाद इटली यूरोप का तीसरा देश है जहां मादक पदार्थों का सेवन सबसे अधिक हो रहा है। बहुत से परिवार स्कूलों में छात्रों के मध्य मादक पदार्थों के वितरण को लेकर चिंतित हैं। इस बारे में मासूमी नेजाद अपनी रिपोर्ट में कहते हैं कि बहुत से परिवार इस बात से चिंतित हैं कि कहीं स्कूल में उनके बच्चे मादक पदार्थों की जाल में न फंस जायें। विशेषज्ञों के अनुसार इटली और दूसरे यूरोपीय देशों में जो लोग मादक पदार्थों के सेवन का शिकार हो रहे हैं उनमें ध्यान योग्य संख्या जवानों की है। इसी प्रकार प्राप्त आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि गत दो वर्षों के दौरान इटली के स्कूलों में छात्रों के मध्य मादक पदार्थों के सेवन में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इटली यूरोप का दूसरा देश है जहां 18 वर्ष से कम आयु के जवान सबसे अधिक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। यही नहीं इटली में कोकिन और हीरोइन का सबसे अधिक सेवन होता है।

ब्रिटेन में वेश्यावृत्ति और मादक पदार्थों से बहुत अधिक धन कमाया जाता है। इस बात के दृष्टिगत इस देश के राष्ट्रीय आंकड़ा विभाग ने वेश्यावृत्ति और मादक पदार्थों से होने वाली आमदनी को कुछ वर्षों से राष्ट्रीय आमदनी में शुमार कर लिया है। समाचार पत्र गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार यह एसी स्थिति में है जब जर्मनी, हंगरी, हालैंड, आस्ट्रिया और यूनान जैसे यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में वेश्यावृत्ति और मादक पदार्थों से होने वाली आमदनी का शुमार वर्षों से राष्ट्रीय आमदनी में हो रहा है। समाचार पत्र गार्डियन ने वर्ष 2014 में अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि ब्रिटेन के आंकड़ा विभाग की घोषणा के अनुसार इस देश ने पिछले वर्ष 12 दशमलव सात अरब पाउंड वेश्यावृत्ति और मादक पदार्थों से कमाया है। इस समाचार पत्र ने वेश्यावृत्ति और मादक पदार्थों से होने वाले भारी मुनाफे की ओर करते हुए प्रस्ताव दिया है कि ब्रिटेन की सरकार को बजट घाटे और ऋण का सामना है इसलिए बेहतर है कि वेश्यावृत्ति और मादक पदार्थों से होने वाली आमदनी पर भी सरकार टैक्स लगा दे। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वेश्यावृत्ति और मादक पदार्थों के बारे में जो आंकड़ा पेश किया गया है उसमें वेश्यावृत्ति और मादक पदार्थों के समस्त आंकड़े शामिल नहीं हैं और इसमें केवल ब्रिटेन के अंदर होने वाले मादक पदार्थों यानी केवल चरस का क्रय- विक्रय शामिल है।

उल्लेखनीय है कि केवल लंदन में चार हज़ार से अधिक बच्चे और नौजवान मादक पदार्थों से जुड़े कारोबार में सक्रिय हैं। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार लंदन में होने वाले मादक पदार्थों के कारोबार में जो बच्चे और नौजवान शामिल हैं उनमें 46 प्रतिशत एसे नौजवान हैं जिनकी उम्र 15 से 19 साल है। इन लोगों का प्रयोग ब्रिटेन के विभिन्न नगरों में मादक पदार्थों और पैसों के लाने और ले जाने में किया जाता है। यही नहीं इनमें से बहुत से बच्चे और नौजवान एसे भी हैं जिन पर चाकू से हमले भी होते हैं।                   

लगभग एसा कोई दिन नहीं गुज़रता जब अमेरिका में फायरिंग और जानी नुकसान की ख़बर न सुनाई दे किन्तु मादक पदार्थों के सेवन से इस देश में मरने वालों की संख्या गोली बारी या सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या से बहुत अधिक है। अमेरिका में ऊंची- ऊंची इमारतों, टावरों और बड़े- बड़े शापिंग सेन्टर व माल के पास एसे लोग भी रहते हैं जिनके चेहरे और होलिये से स्पष्ट है कि वे मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। लोग सड़कों के किनारे अजीब- ग़रीब दशा में इधर- उधर फिरा करते हैं और मादक पदार्थों का क्रय -विक्रय बहुत ही आसान तरीक़े से होता है। अमेरिका से प्राप्त आधिकारिक आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि इस देश में मादक पदार्थों का सेवन ख़तरनाक समस्या में परिवर्तित हो चुका है। अमेरिका के आधिकारिक संचार माध्यमों और आंकड़ों के आधार पर अब हर आयुवर्ग के लोग मादक पदार्थों की लत में शामिल हो गये हैं इस प्रकार कि हीरोइन, गांजा और भांग की तरह मादक पदार्थों का सेवन ख़तरनाक सतह तक पहुंच गया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में प्रतिवर्ष दो करोड़ चालिस लाख से अधिक लोग मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और इनकी उम्र 12 वर्ष से अधिक होती है और इसमें नौजवान भी शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में गांजा और भांग का सबसे अधिक सेवन नौजवान करते हैं। इस आंकड़े के अनुसार 12 से 17 साल से कम उम्र के 26 लाख अमेरिकी नौजवान मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। प्रकाशित जानकारियों के अनुसार 18 से 25 वर्ष के अमेरिकियों में पिछले सात वर्षों में हीरोइन का प्रयोग दोगुना से अधिक हो गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010 में जो लोग मादक पदार्थों का सेवन करते थे उनमें से 70 प्रतिशत मर्द थे जबकि 2017 में मादक पदार्थों का सेवन करने वाली अमेरिकी महिलाओं की संख्या में ध्यान योग्य वृद्धि हुई और मादक पदार्थों का सेवन करने वाले 45 प्रतिशत से अधिक का संबंध महिलाओं से था। बहुत अधिक मादक पदार्थों के सेवन के कारण अमेरिका में जिन लोगों की मौत होती है उनमें से अधिकांश की उम्र 50 वर्ष से कम होती है।

दुनिया के अधिकांश देशों में मादक पदार्थों का व्यापार और उसका सेवन मना है परंतु राजनीतिक लक्ष्यों को साधने के लिए मादक पदार्थों के व्यापार और उसके सेवन के पीछे अमेरिका की गुप्तचर सेवा की भूमिका देखी जा सकती है। कई साल पहले पीटर डेल और जानथन मारशल ने एक किताब लिखी थी जिसका शीर्षक था “कोकिन नीति, केन्द्रीय अमेरिका में मादक पदार्थ, सेना और सीआईए” यह किताब वर्ष 1991 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में उन्होंने लिखा था” मादक पदार्थों से मुकाबले के संबंध में अमेरिकी सरकार का दावा सही नहीं है और मादक पदार्थों के संबंध में गतिविधियां अंजाम देने के बारे में सीआईए को अमेरिकी सरकार से निर्देश मिलते हैं। इस संबंध में सीआईए एक्सटेसी गोलियों पर विशेष ध्यान देती है जबकि यह गोलियां विश्व स्तर पर मना हैं। इसका अर्थ यह है कि सीआईए इन गोलियों को दुनिया के इंसानों पर वर्चस्व जमाने की कुंजी समझती थी और वह सैनिकों, चिकित्सकों, सरकारी प्रतिनिधियों, छात्रों और मनोरोगियों पर इसके प्रभावों की समीक्षा करती थी।

विश्व स्तर पर की जाने वाली समीक्षा इस बात की सूचक है कि मादक पदार्थों के व्यापार के दिशा- निर्देशन में सीआईए का हाथ है। जेफ़री केलर ने “सफेद मौत,सीआईए और मादक पदार्थ” शीर्षक के अंतर्गत एक किताब लिखी है। इस किताब में उन्होंने मादक पदार्थों का सौदा करने वालों के साथ गत पचास वर्षों के सीआईए के संबंधों का रहस्योद्घाटन किया है। इसी प्रकार इन लोगों ने अपनी किताब में लिखा है कि अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले का एक कारण मादक पदार्थ थे। क्योंकि अमेरिकी सरकार मादक पदार्थों के व्यापार को दोबारा सीआईए के वर्चस्व में देना चाहती थी। कुछ पश्चिमी विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका से बाहर सीआईए जो गतिविधियां करती है उसका खर्च मादक पदार्थों के व्यापार से पूरा होता है इस आधार पर यह बात समझी जा सकती है कि अमेरिका, अफगानिस्तान में अशांति के जारी रहने पर क्यों ध्यान देता है।

अंतरराष्ट्रीय स्रोतों और आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार मादक पदार्थों और संगठित अपराधों से जिस पैसे की टर्निंग होती है वह एक हज़ार अरब डालर से अधिक होती है। अब सवाल यह उठता है कि इतना अधिक पैसा किस प्रकार अंतरराष्ट्रीय आर्थिक तंत्रों के माध्यम से इधर से उधर होता है जबकि जो लोग और संगठन अमेरिका का वर्चस्ववादी नीतियों के विरोधी हैं उनके खिलाफ बड़ी आसानी से प्रतिबंध लगा दिये जाने हैं। इस सवाल के जवाब को अमेरिका और पश्चिमी देशों और उनकी खुफिया सेवाओं से पूछना चाहिये जिनके मादक पदार्थों के व्यापार और उसकी ट्रांज़िट में उल्लेखय भूमिका है। 20 वर्षों से अधिक समय से 42 यूरोपीय व पश्चिमी देश और अमेरिका अफगानिस्तान में मौजूद हैं और इन देशों की उपस्थिति का परिणाम मादक पदार्थों की खेती और उसके व्यापार में वृद्धि के अलावा कुछ और नहीं रहा है। इस प्रकार से कि वर्ष 2001 में अफगानिस्तान में मादक पदार्थों का उत्पादन 200 टन से कम था और वर्ष 2018 में यह उत्पाद 50 गुना अधिक हो गया। रोचक बात यह है कि इस अवधि में विदेशी सैनिक भी अफगानिस्तान में मौजूद हैं। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद का कहना है कि इस उपस्थिति का परिणाम जवान पीढ़ी को विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचारों, मादक पदार्थों और नशे की बुराई में डूबाने के अलावा कुछ और नहीं रहा है। साम्राज्यवादी और अहंकारी नीति ने मादक पदार्थों का उत्पाद करने वाले देश के अलावा स्वयं पश्चिमी देशों के लोगों के विभिन्न वर्गों को भी अपनी चपेट में ले लिया है और उन पर नकारात्म परिणाम डाले हैं।

 

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