Sep ०८, २०२० १४:४८ Asia/Kolkata

स्वीट्ज़रलैंड सहित पश्चिमी व यूरोपीय देशों में कुछ एसी भी महिलाएं हैं जो अपने एक दिन के बच्चे को अस्पताल के कूड़ेदान में डाल देती हैं और ब्रिटेन में एसे भी स्कूल हैं जहसं के कुछ बच्चे स्कूल में आने के बाद कूड़ेदान में खाना तलाश करते हैं।

संयुक्त राष्ट्रसंघ ने वर्ष २०१८ की एक रिपोर्ट में घोषणा की थी कि अमेरिका में चार करोड़ लोगों को निर्धनता का सामना है जबकि एक करोड़ ८० लाख लोग पूर्ण निर्धन हैं।

 

डोनल्ड ट्रंप जब से अमेरिका का राष्ट्रपति बने हैं तब से अमेरिका में आर्थिक और रोज़गार की स्थिति के बेहतर होने के बारे में कई रिपोर्टें प्रकशित हो चुकी हैं परंतु समाचार पत्र न्यूयार्क टाइम्स ने यह मानकर अपनी विशेष रिपोर्ट में लिखा है कि थोड़ी देर के लिए मान लें कि यह रिपोर्टें सही हैं।

वाशिंग्टन पोस्ट और यूएसटूडे जैसे बहुत से समाचार पत्रों और टाइम जैसी पत्रिका और इसी प्रकार अमेरिका में निर्धनता का आंकड़ा पेश करने के लिए विशेष की गयी साइटों ने विस्तार से अमेरिका में निर्धनता और पूर्ण निर्धनता के बारे में लेख लिखे और रिपोर्टें दी हैं।

अमेरिका में ज़िन्दगी गुज़ारने की सतह दूसरे बहुत सारे देशों से अच्छी है इसलए अगर वहां कोई सामान्य ज़िन्दगी गुज़ारता है तो वह गरीब नहीं है क्योंकि उसी सतह की ज़िन्दगी दूसरे देशों में लोग गुज़ारते हैं और उन्हें गरीब नहीं समझा जाता है।

यूरोप एक दूसरा स्थान है जहां बहुत से लोग निर्धनता की ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं जबकि कुछ लोग यह सोचते हैं कि अमेरिका के बाद यूरोप दुनिया का स्वर्ग है। मौजूद आंकड़ों के अनुसार समूचे यूरोप के २० प्रतिशत लोगों को निर्धनता का सामना है।

वर्गभेद, खाने के लाले पड़ना, बच्चों की निर्धनता और यहां तक कि खाने का प्रबंध करने के लिए ऋणी हो जाना जैसे वे विषय हैं जिनका ब्रिटेन को सामना है र कुछ दिनों व महीनों में इस देश के संचार माध्यमों द्वारा ये विषय प्रकाश में आते हैं।

यूरोप में निर्धनता का विषय केवल ब्रिटेन तक सीमित नहीं है। जिस सुपर मार्केट का हमने ब्रिटेन में खुलनू का नाम लिया है उसकी दूसरी शाखायें फ़्रांस और जर्मनी सहित दूसरे यूरोपीय देशों में भी हैं।

 

यूरो न्यूज़ की रिपोर्ट भी इस बात की सूचक है कि यूरोपीय महाद्वीप को निर्धनता और भूख के संकट का सामना है। यूरो न्यूज़ लिखती है कि यूरोप के हर चार नागरिक में से एक कोनिरध्नता के खतरे का सामना है र इस बीच यूरोप की महलाओं और बच्चों को विशेष रूप से निर्धनता के ख़तरे का समाना है।

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