Sep १३, २०२० १८:०९ Asia/Kolkata
  • पश्चिमी जीवन की सच्चाई- 16

हम यह बतायेंगे कि पश्चिम में कुछ एसे लोग भी हैं जो शैतान की पूजा करते हैं।

यूरोप के आल्प पर्वत के नीचे से ट्रेन की लाइन गुज़राने की योजना थी। इसके लिए वर्ष 1992 में स्वीट्ज़रलैंड में एक रेफरेन्डम कराया गया। लगभग 64 प्रतिशत लोगों ने इस योजना के पक्ष में मत दिया। इस योजना पर काम शुरु हुआ और आल्प पर्वत को काटकर उसके नीचे से सुरंग बनाई गयी। 23 वर्षों बाद इस परियोजना के सबसे बड़े भाग का उद्घाटन हुआ जिस पर 12 अरब डालर से अधिक ख़र्च हुए। हफ्पोस्ट (HUFFPOST) पत्रिका ने इस परियोजना के उद्घाटन के बारे में लिखाः दुनिया की सबसे बड़ी रेल लाइन की सुरंग का उद्घाटन विचित्र तरीक़े से हुआ। सेन गोथर्ड सुरंग का जब उद्घाटन हुआ तो उस समय वहां यूरोपीय देशों के कुछ राष्ट्राध्यक्ष भी थे। रोचक बात यह है कि इस सुरंग का उद्घाटन शैतानी परस्ती के कार्यक्रम से हुआ। इस कार्यक्रम में शैतान की पूजा करने वालों ने अपने विशेष कार्यक्रम किये और इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले चकित रह गये।

पश्चिम के अधिकांश संचार माध्यमों ने शैतान की पूजा करने वालों के इस उद्घाटन समारोह के बारे में चुप्पी साध ली और कोई ख़बर नहीं दी परंतु इन्हीं संचार माध्यमों में से कुछ संचार माध्यमों और वेबसाइटों ने विचित्र ढंग से उद्घाटित होने वाले इस शैतानी कार्यक्रम के बारे में ख़बर दी और उसका विश्लेषण किया। जैसे इस उद्घाटन समारोह में सबसे पहले एक व्यक्ति बकरी के चेहरे का मास्क पहन कर आता है और आने के बाद ही वह मर जाता है और उसके बाद दोबारा ज़िन्दा हो जाता है फिर उसकी पूजा होती है। उसके बाद विश्व के शासक के रूप में उसकी ताजपोशी होती है यानी उसका राजतिलक होता है।

अमेरिकी राजनीतिक कार्यकर्ता और पत्रकार माइकल स्नाइडर ने इस समारोह का विवरण देते हुए कहा” इसमें म्यूज़िक, वीडियो, और टेलीविजन के सीरियल दिखाये गये और पुरस्कार भी दिये गये। वह लिखते हैं” अंधेरा छा रहा है और जब तक वह पूरी दुनिया पर नहीं छा जाता तब तक प्रसन्न नहीं होगा और इस समय के शासकों का साहस इतना बढ़ गया है कि जो मुसीबतें वे हम पर लाना चाहते हैं उसे वे छिपाते भी नहीं।

गोथर्ड सुरंग के उद्घाटन समारोह में जिन लोगों ने भाग लिया उसके दृष्टिगत यह समारोह विचारयोग्य है। जैसाकि आप जानते हैं कि आज की दुनिया को जिन मामलों का सामना है उनमें से एक यह है कि आज नये नये गुट व संप्रदाय अस्तित्व में आ गये हैं और इन सब का नारा इंसान का विकास और उसके जीवन को बेहतर बनाना होता है। इन गुटों की कुछ दिनों की सक्रियता के बाद बहुत से लोग इन गुटों से जुड़ जाते हैं और कुछ समय बीतने के बाद जब इन गुटों से जुड़ने वाले लोगों को यह पता चलता है कि ये गुट खोखले थे उनके अंदर कुछ नहीं था तो लोग यह बताने से कतराने लगते हैं कि वे अमुक गुट के सदस्य थे और धीरे- धीरे उन गुटों को भुला दिया जाता है परंतु उन गुटों के जो विनाशकारी प्रभाव थे उनके मिटने में काफी समय लगते हैं और उनके दुष्प्रभाव जनमत में लंबे समय तक बाकी रहते हैं। विनाशकारी गुटों में से एक शैतान की पूजा करने वालों का गुट है। यह गुट हालिया दशकों में पश्चिम में अस्तित्व में आया है। इस गुट का महत्वपूर्ण हथकंडा संगीत और यौन सुख है। यह गुट लोगों को यौन सुख और संगीत का आनंद कराकर उन्हें अपनी ओर आकर्षित करता है और जो नैतिक व मानवीय मूल्य हैं उसका पश्चिम में कोई महत्व नहीं है यही नहीं जो मानवीय मूल्यों की बात करता है उसे पिछड़ा हुआ समझा जाता है।

पश्चिमी समाज अब तक दो दौर से गुज़र चुका है एक माडर्निज़्म और दूसरा पोस्ट माडर्निज़्म और अब वह ट्रांस माडर्निज़्म के दौर में दाखिल हो चुका है। इस दौर में दृष्टिकोण व विचार बहुत बदल गया है इस दृष्टिकोण का रुख शिखर से पतन की ओर है। पहले गिरजाघर सब कुछ हुआ करते थे और उसके असीमित अधिकार होते थे बाद में गिरजाघर का स्थान इंसान को दे दिया गया और जो कुछ किया जाता था उसका आधार इंसान होता था पर अब उससे भी निचे गिर कर इंसान के स्वार्थ ने इंसान की जगह ले ली है। दूसरे शब्दों में ट्रांस माडर्निज़्म पश्चिमी समाज को पतन की ओर ले जा रहा है यहां तक कि बहुत से लोग शैतानी विचार धारा और उसके अनुपालन पर गर्व करते हैं और दिन- प्रतिदिन पश्चिमी समाजों में शैतानी विचार धारा व्यापक रूप धारण करती जा रही है।

कुछ लोगों का मानना है कि इस समय पश्चिमी समाजों में जो शैतान परस्ती व्याप्त है वह 19वीं शताब्दी में आरंभ हुई थी। विश्व के धर्मों और संस्कृतियों के बारे में पुस्तक लिखने वाले जान आर हिन्लेस का मानना है कि 19वीं शताब्दी के आरंभ में ब्रिटेन के कुछ गणमान्य व धनाढ़्य लोगों ने शैतान की पूजा करने वाले गुट की स्थापना लंदन में की। इन लोगों ने सर फ्रांसिस डैशवुड के नेतृत्व में यह कार्य किया और ये लोग फ्री मैनोसेरी गुट के सदस्य थे। इन लोगों ने लंदन में शैतान परस्त लोगों के जिस क्लब की स्थापना की थी उसका नाम "हेल फायर क्लब" था। उसके बाद लंदन यूरोप के शैतान परस्तों का गढ़ बन गया। इस पर आश्चर्य नहीं करना चाहिये। क्योंकि कुछ लोगों का मानना है कि वर्ष 1966 में अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के सन फ्रांसिस्को नगर में लैवी नाम के व्यक्ति ने शैतान परस्तों के उपासना स्थल की बुनियाद रखी और उसके बाद इस गुट ने अपनी सक्रियता आरंभ की। इस समय अमेरिका में शैतान परस्तों के लगभग 80 हज़ार केन्द्र सक्रिय हैं और इन केन्द्रों का मुख्यालय न्यूयार्क है। अभी कुछ साल पहले शैतान परस्तों ने अमेरिका के शिक्षा व प्रशिक्षा मंत्रालय से मांग की थी कि आरंभिक स्कूलों में शैतानी विचारों को पढ़ाने की अनुमति दी जाये।

 

अभी कुछ समय पहले अमेरिका के यूटा राज्य में एक 35 वर्षीय शिक्षक के कार्यों से छात्रों के माता- पिता चिंतित हो उठे। ब्रायन आल्टिस नामक शिक्षक पर 350 छात्रों को बहकाने और गुमराह गुमराह करने का आरोप है। एक छात्र ने कहा कि उसका शिक्षक उसे शैतान की पूजा करने वालों के गुट में ले गया और मुझे शरीर में छेद करने, दसियों लोगों से समलैंगिक संबंध बनाने और इंसानों का मल खाने जैसे कार्यों को अंजाम देने पर बाध्य होना पड़ा।

पिछले साल मार्च महीने में न्यूज़ीलैंड की एक मस्जिद और एक चर्च में एक ख़तरनाक व भयावह हमला हुआ था। यह हमला ब्रेनटोन टैरेन्ट नामक नस्लभेदी ने अंजाम दिया था। उस आतंकवादी हमले में 49 नमाज़ी शहीद हो गये जबकि दसियों घायल हो गये थे। उस आतंकवादी की जो पहली तस्वीर छपी थी वह न्यूज़ीलैंड की एक अदालत की थी जिसमें वह कैमरे के सामने था और अपने हाथ से 666 दिखा रखा था। यह पश्चिम में शैतान परस्तों की एक मशहूर अलामत है और शैतान परस्तों की जो अलामतें हैं उनके माध्यम से वह अपने विचारों के प्रचार- प्रसार के लिए प्रयोग करते हैं। शैतान परस्तों के कुछ चिन्ह इस प्रकार हैं। बैफोमेट नाम का बकरी या बकरा, पंखों वाले पांच तारे, टूटी हुई सूली, शैतान की आंख, 666, चीर- फाड़ करने वाले जानवरों के मास्क। इन चिन्हों को व्यक्तिगत चीज़ों में या सार्वजनिक स्थलों पर देखा जा सकता है। जैसे कपड़े, जूते, अंगूठी, घड़ी और गाड़ी में सजावटी छोटी गुड़िया आदि दसियों चीज़ें हैं जिसे लोग जाने- अनजाने में प्रयोग करते हैं। इन प्रतीकों को स्वीकार कर लिये जाने के बाद शैतानी विचारों का प्रचार- प्रसार बहुत सरल हो जायेगा।

आज पश्चिम में एसे युवाओं को देखा जा सकता है जो सामान्य हालत में नहीं रहते हैं और उनका प्रयास होता है कि वे एसा कपड़ा पहनें और बने संवरें कि देखने में डरावने लगें। वे एसे कंसर्टों में भाग लेते हैं जहां ऊंची आवाज़ में संगीत बजाये जाते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रम में शामिल लोगों में से कुछ स्वयं का परिचय शैतान परस्त के रूप में कराते हैं। शैतान परस्ती उन इंसानों का धर्म है जिनका रूप ही बदल दिया गया है जैसे इंसानों की वह नस्ल जो बंदर हो गयी।

शैतान परस्त अपने विचारों के प्रचार- प्रसार के लिए रैप और डेथ मेटल जैसी विभिन्न प्रकार की संगीतों का प्रयोग करते हैं और समाज के लोगों विशेषकर युवाओं को प्रभावित और अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसी प्रकार शैतान परस्त विचित्र कार्य भी अंजाम देते हैं जैसे बिल्ली के पैर उखाड़ लेते हैं, काट लेते हैं, चमगादड़ के सिर को उसके धड़ से अलग कर देते हैं, संगीत के यंत्रों को तोड़ना और इसी प्रकार खुद को आग लगा लेना जैसे दूसरे बहुत सारे कार्य हैं जिसे शैतान परस्त अंजाम देते हैं।  

 

अमेरिकी समाचार पत्रों और सामूहिक संचार माध्यमों की समीक्षा करने वाले इस परिणाम पर पहुंचे हैं कि हत्या, ज़बरदस्ती बलात्कार, सीमा से अधिक मादक पदार्थों का सेवन और संगीत के कार्यक्रमों में भाग लेने वालों में असाधारण रूप से आत्म हत्या बढ़ रही है। उदारहण स्वरूप हर कंसर्ट में भाग लेने के बाद पिन्क फ्लोएड गुट में औसतन 15 से 20 लोग आत्म हत्या करते और स्वयं को नुकसान पहुंचा लेते हैं। इसी प्रकार राक संगीत में बहुत से लोग स्वयं को घायल कर लेते हैं और यह चीज़ इस संगीत में एक सामान्य चीज़ के रूप में प्रचलित हो गयी है। पश्चिम में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार राक संगीत सुनने वाले हर सात युवा में से एक ने आत्म हत्या कर ली है।

आज पश्चिम में शैतान परस्ती एसी चीज़ हो गयी है जो युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। यह आकर्षण इस वजह से नहीं है कि वह बहुत अच्छी और वांछित है बल्कि इस वजह से है कि जो आध्यात्मिक व मानसिक शून्य है वह उसकी भरपाई के लिए विकल्प की भूमिका निभा रही है। पश्चिमी व औद्योगिक देशों के समाजों की जटिलता में वृद्धि, तकनीक में तीव्र गति से होने वाला विकास और इसी प्रकार शरीर व लिंग में होने वाला परिवर्तन पश्चिमी युवाओं में भय व चिंता का कारण बना है। इन युवाओं को एसी चीज़ की ज़रूरत है जो उन्हें मज़बूत और शक्तिशाली होने का आभास दिलाये यद्यपि वह वास्तव में मज़बूत न हो। शैतान परस्ती युवाओं की इस आवश्यकता का दुरुपयोग करके यह दिखाने के प्रयास में है कि वह उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती है और उसने उनकी आवश्यकता को सही तरह से समझा है। इसी वजह से शैतान परस्तों के जो मुखिया हैं वे हमेशा सामाजिक कठिनाइयों,  युवाओं की विफलताओं और वंचितताओं की ओर संकेत करते हैं और विभिन्न अंदाज़ में इस बात को बार- बार दोहराते रहते हैं। रोचक बात यह है कि शैतान परस्तों का गुट स्वयं को शक्तिशाली गुट के रूप में पेश करता है और अपने अनुयाईयों को शक्तिशाली होने का दावा करता है जबकि पवित्र कुरआन कहता है कि शैतान की ताक़त बहुत कमज़ोर है और वह केवल दिल में वसवसा और खयाल डालता है और यह भी केवल उसी समय प्रभावी होगा जब इंसान उसके बहकावे में आ जाये। इसी प्रकार महान ईश्वर पवित्र कुरआन में कहता हैः हे शैतान तू जान ले कि मेरे बंदों पर कदापि तू वर्चस्व नहीं जमा सकता और यही उनके लिए काफी है कि तेरा पालनहार उन सबका रक्षक है।

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