सीमुर्ग़ की कहानी-3
हमने बताया था कि एक निर्धन व्यक्ति समुद्र में डूबकर आत्महत्या करना चाहता था, लेकिन सीमूर्ग़ ने उसकी सहायता की और उसे मछली दी जिसके पेट में हीरा और सोना भरा हुआ था।
एक धोखेबाज़ व्यक्ति रास्ते में थोड़े से आटे के बदले में उससे मछली ले लिया करता था। लेकिन जब उस व्यक्ति को उस मछली की वास्तविकता के बारे में पता चला तो उसने उस व्यक्ति को मछली देने से इनकार कर दिया। इसलिए उन दोनों में झगड़ा होने लगा और सिपाही उन दोनों को पकड़कर राजा के दरबार में ले गए। राजा ने उस व्यक्ति से कहा कि वह सीमूर्ग़ को उसके पास लेकर आए। राजा के लड़के ने उस परिंदे को आज़ाद कर दिया। राजा को बहुत ग़ुस्सा आया और उसने अपने बेटे की गर्दन मारने का आदेश दिया, लेकिन राजा के लड़के ने सीमूर्ग़ का पंख आग में डाल दिया। सीमूर्ग़ उसे एक दूसरे देश में ले गया।
वहां राजा की लड़की से इसकी शादी हो गई। जब राजा को इसकी ख़बर मिली तो उसने आदेश दिया कि उन दोनों की हत्या कर दी जाए। इस बार भी राजकुमार ने राजा से कहा कि हत्या करने से पहले उसे अपनी पत्नी के साथ नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी जाए।
राजा ने अनुमति देदी, पति और पत्नी छत पर गए। पहले उन्होंने नमाज़ पढ़ी और उसके बाद राजकुमार ने सीमूर्ग़ के पंख को जला दिया। सीमूर्ग़ तुरंत उपस्थित हो गया। राजकुमार ने कहा कि वह उसे और उसकी पत्नी को वहां से ले जाए, क्योंकि उनकी जान ख़तरे में है। सीमूर्ग़ ने उन दोनों को अपनी पीठ पर सवार किया और जंगल में कहीं दूर ले गया। जंगल में उन्हें उतारकर वह ख़ुद समुद्र में अपने पंख धोने चला गया। जब वह वापस आया तो उसने अपने पंखों को सुखाने के लिए एक बाज़ू को एक पहाड़ पर रखा और दूसरे को दूसरे पहाड़ पर फैला दिया। मौसम ठंडा था इसलिए राजकुमार सूखी लड़कियों को जमा किया और उनमें आग लगा दी ताकि कुछ गर्मी पहुंचे।
जैसे ही आग भड़की उसने आसपास के पेड़ों और जंगल को अपनी चपेट में ले लिया, यहां तक कि सीमूर्ग़ के पर भी चपेट में आ गए। सीमूर्ग़ ने पंख फड़फड़ाए और पहाड़ पर अपने परों को मार मार कर उनकी आग बुझाई। उसके बाद लड़के की ओर देखकर कहा कि उसने उसके परों को जला दिया है और अब वह उसकी सहायता के लिए नहीं आ सकता और उसे अब वहीं रहना होगा। सीमूर्ग़ उड़कर चला गया और राजकुमार और उसकी पत्नी वहीं जंगल में ही रह गए। कुछ समय यूं ही बीत गया, उसके बाद ईश्वर ने उन्हें एक लड़का दिया। यह बच्चा जब भी उबकाई लेता था उसके मूंह से लाल निकलते थे और जब रोता था तो उसकी आँखों से आँसू के बजाए मोती झड़ते थे। उन्होंने उसका नाम रखा लाल मोती। राजकुमार ने जब देखा कि वे बिना खाने पानी और सिर पर छत के नहीं रह सकते तो अपनी पत्नी से कहा कि जहां बैठी हुई हो वहीं रहना मैं इधर उधर होकर अभी आता हूं। वह चलते चलते समुद्र पर पहुंच गया।
उसने नाव बनाने वाले एक व्यक्ति को देखा और उससे कहा कि वह उसके लिए एक नाव बनाए। समुद्र के बीच में पहुंचकर उसने उस व्यक्ति से कहा कि वह जाकर अपने बीवी बच्चों को लाना चाहता है, लेकिन अब वापसी का रास्ता नहीं था। पत्नी ने देखा कि कुछ दिन बीतने के बाद भी उसका पति वापस लौटकर नहीं आया है। उसने बच्चे को गोद में उठाया और समुद्र के तट पर पहुंच गई। उसने एक मुट्ठी लाल नाव बनाने वाले को दिए और कहा कि उसके लिए एक नाव बनाकर दे। उसके बाद वे उसमें बैठे और समुद्र के उस पर एक शहर पहुंच गए। मां और बेटा नाव से उतरे। राजा की लड़की शहर में इधर उधर घूमते घूमते जब थक गई तो उसने अपने बच्चे को एक मस्जिद के सामने बैठाया और ख़ुद एक बुड़िया के द्वार पर पहुंच गई। उसने उस बूढ़ी से कहा कि वह उस पर कृपा करे और सिर छिपाने के लिए उसे कोई जगह देदे। बूढ़ी ने उसका हाथ पकड़ा और उसे घर के भीतर ले गई। राजा की लड़की उसके घर का काम काज करने लगी।
दूसरी ओर जब सुबह को मस्जिद को पेश नमाज़ मस्जिद में नमाज़ पढ़ने पहुंचे तो देखा कि मस्जिद के द्वार के सामने एक बच्चा पड़ा हुआ रो रहा है और उसके चेहरे के पास बहुत से मोती इकट्ठा हो गए हैं। उन्होंने बच्चे को उठाया और अपने घर ले गए। पेश नमाज़ ने अपनी पत्नी से कहा कि ईश्वर ने यह बच्चा उनके लिए भेजा है, वह उसकी देखभाल करे। पत्नी ने बच्चे को बहलाया और सुला दिया। पेश नमाज़ के घर में इतने अधिक लाल और मोती जमा हो गए कि अब उन्हें किसी चीज़ की कमी नहीं थी। बच्चा पेश नमाज़ के घर में बड़ा हुआ। एक दिन मां का जब अपने बेटे से सामना हुआ तो उससे पूछा कि तू किसका बेटा है। लड़के ने कहा पेश नमाज़ का। राजा की लड़की ने कहा, नहीं तू मेरा बेटा है। अच्छी तरह ख़ुद को आईने में देखना। देख तेरा चेहरा मुझसे मिलता है।
लड़के ने राजा की लड़की की ओर देखा और एक नज़र अपने ऊपर डाली और अपने दिल में कहा कि यह सही कह रही है उनका चेहरा कितना अधिक मिलता जुलता है। उसने कुछ नहीं कहा और घर वापस लौट आया। सुबह जब उसने देखा कि पेश नमाज़ क़ुरान पढ़ रहे हैं तो उनसे कहा कि उसे वास्तविकता बताएं। पेश नमाज़ ने पूरी घटना उसे बताई। उसके बाद से जब भी वह उबकाई लेता था और जो लाल गिरते थे उन्हें एकत्रित करके अपनी मां को ले जाकर देता था। ऐसे ही समय बीत रहा था कि एक दिन उसने अपनी मां से जाकर कहा, पेश नमाज़ ने उसके लिए एक लड़की का चयन किया है और वह उससे उसका विवाह करवाना चाहते हैं। शादी के दिन वह आए और घोड़े का रास्ता रोककर कहे कि यह लड़का मेरा है और दुल्हन भी। इस राज्य का राजा अपने होश व हवास खो चुका है, लेकिन जब भी होश में आता है तो वह न्याय करता है। संभवतः वह भाग्यशाली रहे और उस समय राजा होश में हो और उसे न्याय मिल जाए। जब शादी का दिन आ पहुंचा तो राजा की लड़की पेश नमाज़ के घर पहुंच गई। जब दूल्हा घोड़े पर सवार किया तो वह दौड़ी और घोड़े के सामने खड़ी हो गई और चिल्लाने लगी, यह लड़का मेरा है इसलिए दुल्हन भी मेरी ही है। राजा कि जो इस शादी में उपस्थित था, अचानक उसे होश आ गया और उस घटना के बारे में उसे पता चला। उसने कहा कि उस महिला को उसके पास लाया जाए।
महिला ने राजा के सामने अपनी पूरी दास्तान बयान कर दी। लेकिन आपको यह सुनकर आश्चर्य होगा कि उस राज्य का राजा वही राजा का लड़का था कि जो इस महिला का पति और लड़के का बाप था। उसने ईश्वर का शुक्रिया अदा किया और राजा की लड़की से कहा कि उनसे अलग होने के कुछ दिन बाद वह जंगल पहुंचा था लेकिन उसने उन्हें वहां नहीं पाया। उसने अपने लड़के को गले से लगा लिया। पति और पत्नी वर्षों बाद एक दूसरे से मिले। राजा ने आदेश दिया कि शहर सजाया याए और जश्न की व्यवस्था की जाए। वह अपने बेटे और पत्नी को अपने साथ महल में ले गया। (SM)
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