Apr २६, २०१६ ११:३६ Asia/Kolkata
  • जवान तीग़-2

प्राचीन समय में एक राजा था जिसके कोई बेटा नहीं था।

 एक भिक्षु ने उसकी मांग पूरी कर दी। भिक्षु ने उसे एक सेब दिया और कहा कि इस सेब के खाने से उसके यहां बेटा पैदा होगा और उसका नाम “जवाने तीग़” रखा जाये। उसके बाद महान ईश्वर की कृपा से राजा के यहां बेटे के अलावा तीन बेटियां भी पैदा होती हैं। जो कुछ भिक्षु ने कहा था वह व्यवहारिक हो गया।

 

कई वर्षों का समय बीत गया। राजा का निधन हो गया। राजा मरने से पहले अपनी लड़कियों के विवाह के बारे में अपने बेटे जवाने तीग़ से सिफ़ारिश करता है और बाप की जितनी भी सिफ़ारिशें होती हैं, जवाने तीग़ उन सबको अंजाम देता है। एक दिन जवाने तीग़ ने महल के एक कमरे में “चेहल गीस” अर्थात चालिस चोटियों वाली महिला की तस्वीर देखी और वह उसका प्रेमी हो गया। वह अपने दो साथियों एक खगोलविद और दूसरे नाविक के साथ उसकी खोज में निकल पड़ा। वह अपने साथ कबूतर, बिल्ली और शिकारी कुत्ते को भी ले लेता है। जिस शहर में वह पहले पहुंचता है वहां के लोगों को वह सात देवों की मुसीबत से मुक्ति दिलाता है। उस शहर के राजा ने जो कुछ उसे भेंट किया उसे उसने अपने एक साथी खगोल विद को दे दिया और उस नगर से चल दिया। जब वह दूसरे नगर में पहुंचा तो देखा कि एक अजगर ने रास्ता रोक रखा है। वहां के लोगों को हर दिन सात लड़की और सात देग उसके लिए आश या विशेष प्रकार का खाना ले जाना पड़ता है ताकि उन्हें खाने के बाद उसके बदले में उन्हें थोड़ा पानी दे। जवाने तीग़ ने कहा कि नगर के राजा को सूचना दे दी जाये कि मैं इस अजगर की हत्या कर दूंगा वह इसके बदले में जो भी देना चाहे दे दे।

 

 

जब उसने जवाने तीग़ की बात सुनी तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ। उसने कहा हमारी पूरी सेना उसे मार न सकी तो यह अकेला कैसे मार देगा? राजा ने कहला भेजा कि अगर तुम इस अजगर को मार दोगे तो मैं तुम्हारे साथ अपनी लड़की का विवाह करने के लिए तैयार हूं और साथ ही अपनी आधी सम्पत्ति भी तुम्हें दे दूंगा।

 

 

अगले दिन सुबह लोग सात लड़कियों और एक देग को लेकर अजगर के पास गए ताकि वह उन्हें खाये और उसके बदले में थोड़ा पानी उन्हें दे। “जवाने तीग़” अजगर के सिरहाने खड़ा हो गया और अजगर ने जैसे ही खाने के लिए अपना सिर ऊपर उठाया, उसने उसपर करारा वार करके उसके सिर के दो टुकड़े कर दिये। उसके बाद राजा ने सात दिन और सात रात जश्न मनाया और अपनी लड़की का विवाह जवाने तीग़ से कर दिया और अपनी आधी सम्पत्ति भी उसे दे दी। उस वक्त जवाने तीग़ ने वहां के राजा से अपनी यात्रा का उद्देश्य बताया और सम्पत्ति एवं लड़की दोनों को अपने नाविक साथी के हवाले कर दिया और स्वयं बिल्ली, कबूतर और शिकारी कुत्ते को लेकर चालिस चोटियों वाली महिला की खोज में चल पड़ा। वह पहाड़ों और जंगलों से गुज़रता जा रहा था यहां तक कि वह एक ऐसे घर में पहुंच गया जो पर्वत के आंचल में था। उसने घर का दरवाज़ा खटखटाया। उससे एक महिला निकली।

 

 

“जवाने तीग़” ने उससे कहा हे महिला मुझे कोई स्थान दे दे ताकि मैं रात यहां गुज़ार सकूं। महिला ने कहा इस समय मेरा पति नहीं है और अगर वह लौटा और तुम्हें घर में देख लिया तो तुम्हारे सिर को तुम्हारे शरीर से अलग कर देगा। “जवाने तीग़” ने कहा मुझे अंदर आने दो। महिला ने घर की छत से देखा कि उसका पति आ रहा है। उसने “जवाने तीग़” को तिजोरी के अंदर बंद कर दिया और बाहर से उसमें ताला लगा दिया। जब महिला का पति आया तो उसने अपने पति से कहा एक अजनबी मेहमान है। क़सम खाओ कि जब तुम उसे देखोगे तो उसे कुछ नहीं कहोगे। पति ने क़सम खाई कि वह अजनबी मेहमान को कुछ नहीं कहेगा, उसे कोई कष्ट नहीं पहुंचायेगा। इसके बाद महिला ने “जवाने तीग़” को तिजोरी से बाहर निकाला। उसके पति ने कहा हे महिला तू अपने भाई को भी नहीं पहचानती? “जवाने तीग़” ने जैसे ही यह बात सुनी वह तुरंत समझ गया कि यह महिला उसकी छोटी बहन है और इस बात से वह बहुत प्रसन्न हुआ। पूरी रात उसने अपनी बहन के घर में गुज़ारा और अपनी यात्रा का उद्देश्य उसने अपने बहनोई से बयान किया।

 

 

सुबह हुई तो उसके बहनोई ने “जवाने तीग़” का हाथ पकड़ा और उसे एक टीले पर ले गया। वहां से उसने पहाड़ के आंचल में एक दूसरा मकान दिखाया और कहा वहां तुम्हारी बड़ी बहन का घर है और उस पहाड़ के बाद से उसके पति का क्षेत्र है। अगर तुम अपनी मंझली बहन के घर जाना चाहते हो तो वह वहां से तुम्हारा पथ-प्रदर्शन करेगी और अगर चालिस चोटियों वाली महिला के पास जाना चाहते हो तो उसका रास्ता वह बेहतर ढंग से जानती है। जवाने तीग़ चल पड़ा। चलते चलते वह अपनी बड़ी बहन के घर पहुंच गया। उसने एक रात उसके घर में गुज़ारी। जब सुबह हुई तो उसके बहनोई ने अपनी मां के लिए एक पत्र लिखा और हज़रत सुलैमान की अंगूठी जवाने तीग़ को दे दी और कहा इस पत्र में मैंने अपनी मां के लिए लिखा है कि वह तुम्हें चालिस चोटियों वाली महिला के घर का मार्गदर्शन करे। इसके बाद उसने जवाने तीग़ को अपनी मां के घर का पता बताया और दोनों ने एक दूसरे से विदा ली।

 

 

सूरज डूबने वाला था कि वह अपने बहनोई की मां के घर पहुंच गया। बूढ़ी महिला ने कहा रात यहां गुज़ारो ताकि सुबह मैं जल्द चालिस चोटियों वाली के घर की ओर तुम्हारा मार्गदर्शन करूं। अगले दिन सुबह- सवेरे उसके बहनोई की मां उसे घर ले गयी जिसमें सात कमरे थे। उसने उसे कुंजी का गुच्छा पकड़ाया और कहा यहां सात कमरे हैं और जब तुम सब कमरों को खोल दोगे और सातवें कमरे में पहुंच जाओगे तो चालिस चोटियों वाली महिला को वहां देखोगे। जाओ और मज़बूती से उसके दोनों कांधों को पकड़ लो और जब वह कहे कि तुम कौन हो? तो तुम कह देना कि तुम्हारी मौत हूं तुम्हारी जान लेने आया हूं तो वह तुमसे कहेगी कि क्यों मेरी जान ले रहे हो? तो तुम कहना कि ७० साल हो गये तुम विवाह नहीं कर रही हो। जवाने तीग़ ने बूढ़िया की सिफ़ारिशों को अंजाम दिया। जब चालिस चोटियों वाली महिला की नज़र जवाने तीग़ पर पड़ी तो वह उसकी दिवानी हो गयी और दोनों ने एक दूसरे से विवाह कर लिया और वहीं पर वे रह गये। एक दिन चालिस चोटियों वाली महिला स्नान के लिए गयी और अपनी चालिस नौकारियों को भी साथ ले गयी ताकि हर एक उसकी एक चोटी को धोये। जब चालिस चोटियों वाली महिला की एक नौकरानी उसे कंघी कर रही थी तो उसने कंघी से उसकी चोटी से एक बाल उखाड़ लिया। चालिस चोटियों वाली महिला को इस बात की भनक लगे बिना उसने बाल को एक लकड़ी से बांध कर नदी में फेंक दिया। पानी लकड़ी को बहा कर ले गया यहां तक कि वह हारूत-मारूत के नगर पहुंच गया।

  फ़ेसबुक पर हमें लाइक करें, क्लिक करें