Apr २६, २०१६ ११:३८ Asia/Kolkata
  • जवान तीग़-3

हमने कहा था कि प्राचीन समय में एक राजा था जिसके कोई संतान नहीं थी।

एक भिक्षु ने उसकी आकांक्षा पूरी कर दी थी। उसने राजा को एक सेब दिया था और कहा था कि इस सेब को खाने से उसके यहां बेटा पैदा होगा जिसका नाम “जवाने तीग़” रखा जाना चाहिये। उसके बाद महान ईश्वर ने राजा को बेटे के अलावा तीन लड़कियां भी दीं। जो कुछ भिक्षु ने कहा था सब पूरा हो गया। वर्षों का समय बीत गया उसके बाद राजा का निधन हो गया। मरने से पहले राजा ने अपने बेटियों के विवाह के बारे में अपने बेटे से कुछ सिफारिशें की थीं जिन्हें बेटे ने पूरा किया।

 

एक दिन “जवाने तीग़” ने महल के एक कमरे में चालिस चोटियों वाली महिला की तस्वीर देखी जिसके बाद वह उसका प्रेमी हो गया और वह अपने दो साथियों एक खगोल शास्त्री और दूसरे समुद्री नाविक के साथ उसकी खोज में निकल पड़ता है। इसके अलावा वह अपने साथ कबूतर, बिल्ली और शिकारी कुत्ता भी लेकर जाता है। वह रास्ते में एक नगर के लोगों को ख़तरनाक अजगर की मुसीबत से मुक्ति दिलाता है। अंततः काफी कठिनाई और बूढ़ी महिला के मार्गदर्शन के से वह चालिस चोटियों वाली महिला को ढूंढ कर उससे विवाह कर लेता है। चालिस चोटियों वाली महिला अपनी नौकरानियों के साथ एक दिन नहाने गयी थी। एक नौकरानी ने अनजाने में कंघी से उसका एक बाल उखाड़ दिया।

 

चालिस चोटियों वाली महिला इस बात को न समझे इसके लिए उसने उसके बाल को एक लकड़ी में बांध कर नदी में बहा दिया। नदी का पानी उसके बाल और लकड़ी को हारूत व मारूत के नगर तक बहा कर ले गया। राजा का लड़का वहां से गुज़र रहा था कि उसकी नज़र उस लकड़ी पर पड़ी जिसमें चालिस चोटियों वाली महिला का बाल लपेटा हुआ था। उसने अपने नौकरों से लकड़ी लाने और उसमें लिपटे बाल को खोलने का आदेश दिया। जब लकड़ी पानी से निकाली गयी और बाल को उससे खोला गया तो राजा के बेटे को बताया गया कि बाल किसी महिला का है और वह १२ गज़ लंबा है। राजा के बेटे ने कहा मुझे वह महिला चाहिये। जैसे भी हो उसे ढूंढ कर यहां लाया जाये।

 

 

दरबार में एक बूढ़ी महिला थी जिसे आटा और शीरा बहुत पसंद था। उसने राजा के बेटे से कहा अगर मेरी सुराही को आटे और शीरे से भर दो तो मैं तुम्हारे लिए उस लड़की को ला सकती हूं। राजा के बेटे ने उसकी सुराही को आटे और शीरे से भरने का आदेश दिया। बूढ़ी महिला ने अपनी सुराही को बग़ल में लिया और रास्ता चल पड़ी यहां तक कि वह चालिस चोटियों वाली महिला के घर पहुंच गयी। उसने दरवाज़ा खटखटाया और कहा मैं बूढ़ी हूं। रास्ता भटक गयी हूं मुझे रात भर अपने घर रुकने दो, कल सुबह मैं चली जाऊंगी।

 

 

घर के अंदर से आवाज़ आई तुम अंदर आ जाओ जितने दिन रहना चाहो रहो। बूढ़ी महिला १०-२० दिन तक उसके यहां रही ताकि चालिस चोटियों वाली महिला के विश्वास को अच्छी तरह जीत ले। एक दिन वह चालिस चोटियों वाली महिला के पास बैठ कर उसके बालों को सहला रही थी ताकि वह सो जाये। बूढ़ी महिला ने उससे पूछा तुम्हारा पति दिन को कहां जाता है? उस समय चालिस चोटियों वाली महिला ने कहा वह शिकार के लिए पहाड़ों पर जाता है। बूढ़ी महिला ने कहा तो तुमने इतनी सारी धन-दौलत कहां से इकट्ठा कर ली है? चालिस चोटियों वाली महिला ने कहा मेरे पास हज़रत सुलैमान की एक अंगूठी है मैं जो भी चाहती हूं वह मेरे लिए अंजाम देती है और मैं जहां जाना चाहती हूं वह ले जाती है। बूढ़ी महिला ने कहा तो वह अंगूठी कहां है? क्या तुम उसे मुझे दिखा सकती हो? चालिस चोटियों वाली महिला ने कहा वह अंगूठी “जवाने तीग़” के पास है। बूढ़ी महिला ने कहा जब मैं तुम्हारे घर आई तो तुम्हारा पति घर पर नहीं था। अगर तुम्हारे घर कोई मेहमान आ जाये तो तुम क्या करोगी? चालिस चोटियों वाली महिला ने थोड़ा सोचा और अपने आपसे कहा बूढ़ी महिला ग़लत तो नहीं कह रही है।

 

 

बेहतर है कि अंगूठी अपने पास ही रखूं। रात को जब जवाने तीग़ घर आया तो चालिस चोटियों वाली महिला ने अंगूठी वाली सारी बात उसे बताई। जवाने तीग़ ने कहा कोई बात नहीं है अंगूठी तुम ही रखो। ध्यान रखना कहीं ग़ायब न हो जाये। एक रात जब चालिस चोटियों वाली और उसका पति दोनों सो रहे थे तो बूढ़िया ने चालिस चोटियों वाली की जेब से अंगूठी निकाल ली और जवाने तीग़ की कमर में बंधा चाकू भी खोल कर उसे समुद्र में फेंक दिया और दोबारा आकर चालिस चोटियों वाली महिला के सिरहाने बैठकर कहने लगी।

 

 

हे सुलैमान की अंगूठी मुझे हारूत व मारूत के नगर ले चल। अंगूठी भी दोनों को यानी बूढ़िया और चालिस चोटियों वाली महिला को हारूत व मारूत के नगर ले गयी। बिल्ली, कबूतर और शिकारी कुत्ता जवाने तीग़ के सिरहाने खड़े रहे और जवाने तीग़ बेहोश ज़मीन पर पड़ा रहा यहां तक कि उसका जो साथी खगोलशास्त्री था उसने देखा कि आसमान से जवाने तीग़ का तारा लापता है।

 

 

वह समझ गया कि जवाने तीग़ पर कोई मुसीबत आ पड़ी है और यह सोचकर वह नाविक के घर चल पड़ा। जब वह नाविक के घर के पहुंचा तो उससे कहा निश्चित रूप से जवाने तीग़ पर कोई मुसीबत आ पड़ी है। आओ दोनों उसके घर चलते हैं। दोनों चल पड़े। रास्ता चलते चलते गये यहां तक कि दोनों जवाने तीग़ के घर पहुंच गये। उस समय बिल्ली ने ज़बान खोली और बोली तुम लोग जवान को समुद्र पार कराओ और हम लोग चालिस चोटियों वाली की खोज में निकलते हैं। तीनों चालिस चोटियों वाली की खोज में निकल पड़े। जब वे तीनों हारूत व मारूत के नगर पहुंच गये तो उन्हें गाने की आवाज़ सुनाई दी। वे समझ गये कि चालिस चोटियों वाली महिला और राजा के लड़के की शादी है। बिल्ली लोगों के बीच से होते हुए चालिस चोटियों वाली के पास पहुंच गयी। चालिस चोटियों वाली बिल्ली को देखते ही पहचान गयी और उसने उसे सहायता करना आरंभ कर दिया। इस पर बूढ़ी महिला ने चालिस चोटियों वाली से कहा बिल्ली को हाथ न लगाओ बीमार हो जाओगी।

 

 

चालिस चोटियों वाली ने बुढ़िया को बाहर निकालने का आदेश दिया और उसे बाहर निकाल दिया गया। बिल्ली भी बूढ़िया के पीछे-पीछे चल दी यहां तक कि वह एक खंडहर में पहुंच गयी। बूढ़ी ने थोड़ी रोटी और मांस को जो शादी से चुराई थी वहां पर ज़मीन में छिपा दिया और चली गयी। बिल्ली वहीं रह गयी। इतने में उसने देखा कि चूहों का राजा उस खाने के पास आया है जिसे बुढ़िया ने ज़मीन में दफ्न किया था। अचानक बिल्ली कूदी और चूहे की गर्दन पकड़ ली और वह उसे बूढ़ी के घर में ले गयी। सभी चूहे एकत्रित हो गये ताकि बिल्ली को अपने राजा को न खाने दें। बिल्ली ने चूहों से कहा अगर तुम लोग उस अंगूठी को ढूंढ दो जिसे बुढ़िया ने मेरे मालिक से चुराई है तो मैं तुम्हारे राजा को स्वतंत्र कर दूंगी। चूहों ने बहुत ढूंढ़ा पर कहीं भी अंगूठी नहीं मिली। अंत में एक चतुर चूहा आगे आया और कहा मैं समझता हूं कि उपर जो ताक़ है उसमें है। क्योंकि एक दिन मैंने देखा था कि बुढ़िया वहां कुछ छिपा रही है। मैंने उसे उठाना चाहा परंतु उसने लकड़ी उठा कर मारी मेरा पैर टूट गया। इसके बाद दूसरे चूहे ताक़ पर गये और वहां उन्हें एक पोटली मिली। बिल्ली ने उसे खोला तो देखा कि वही अंगूठी है। उसके बाद उसने चूहों के राजा को स्वतंत्र कर दिया और उसके बाद वह विवाह समारोह में लौट आयी और अंगूठी को चालिस चोटियों वाली महिला को दे दिया। चालिस चोटियों वाली महिला ने दुल्हे से दो रकअत हाजत की नमाज़ पढ़ने की अनुमति मांगी।

 

दुल्हे ने उसे अनुमति दे दी। चालिस चोटियों वाली नमाज़ पढ़ने के लिए छत पर चली गयी। उसने अंगूठी पहना और कहा हे सुलैमान की अंगूठी मुझे वहीं ले चल जहां तू बेहतर जानती है।

                           

जवाने तीग़ के साथी नाविक ने समूचे समुद्र को खंगाल मारा ताकि चाकू ढूंढ और उसे समुद्र से बाहर निकाल सके। जैसे ही उसे समुद्र में चाकू मिला जवाने तीग़ होश में आ गया। होश में आते ही वह चालिस चोटियों वाली की खोज में चल पड़ा। जब वह जा रहा था तो देखा कि रास्ते में चालिस चोटियों वाली, कबूतर, बिल्ली और शिकारी कुत्ता खुशी से उछलते- कूदते आ रहे हैं। चालिस चोटियों वाली ने अपने पति से कहा अब यहां रहने लायक़ नहीं है। चलो जो कुछ भी है उसे इकट्ठा करते हैं और तुम्हारे शहर चलते हैं। जवाने तीग़ ने उसकी बात मान ली और रास्ते को उन्होंने कई पड़ाव में बांट लिया यानी जवाने तीग़ सबसे पहले अपनी बहन के घर गया और उसके बाद वहां से सब लोग उसके साथ हो लिये। उसके बाद सब नाविक के घर गये और उसे भी अपने साथ ले लिये।

 

 

उसके बाद वे लोग जवाने तीग़ के साथी ख़गोलशास्त्री के घर गये और वहां पर सब इकट्ठा हो गये और उसके बाद सब मिलकर जवाने तीग़ के नगर रवाना हो गये। जवाने तीग़ की मां अपने बेटे के वियोग में अंधी हो चुकी थी। वह अपने बेटे को न पहचान सकी। चालिस चोटियों वाली महिला ने जवाने तीग़ की मां के सिर और चेहरे पर अपना हाथ फिराया तो उसकी आंखों की रोशनी पलट आयी और वह दोबारा पहले जैसी सुन्दर हो गयी। उसके बाद सब लोग खुशी २ एक साथ रहने लगे।

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