Oct २६, २०२० १७:३६ Asia/Kolkata

चिकित्सा क्षेत्र में ईरानी वैज्ञानिक, अल्ज़ायमर के इलाज के लिए जड़ी बूटियों से दुनिया में पहली दवा बनाने में सफल हुए।

ईरान की जेहादे दानिशगाही संस्था एसीईसीआर के वैज्ञानिकों ने इस वा को बनाने में दिमाग़ की बीमारी के इलाज की प्राचीन ईरानी पद्धति व ज्ञान और आधुनिक दौर के वैज्ञानिक शोध दोनों की मदद ली और इस तरह वे इस क़ीमती दवा को बनाने और क्लिनिकल टेस्ट के बाद उसे दुनिया के सामने पेश करने में सफल हुए।

 

जेहादे दानिशगाही संस्था के हर्बल दवा रिसर्च  के प्रमुख डाक्टर शम्स अली रज़ाज़ादे कहते है: रिसर्च टीम के मेंबर ने प्रोडक्ट पेश करने के लिए बड़े पैमाने पर क्लिनिकल स्टड़ी की

। यह स्टड़ी अल्ज़ायमर के ४२ मरीज़ों पर की गयी जो इस बीमारी से हल्के से मीडियम लेवल तक पीड़ित थे और उनकी ओसत उम्र ६५ से ८० साल थी।

ईरान के मेडिकल फ़ील्ड के वैज्ञानिकों की यह दवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेश होने और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में जगह बनाने की सलाहियत रखती है।

ईरान के बूशहर की सदरा कंपनी ने महासागर में जलयात्रा करने वाला पहला जहाज़ बनाया है जिसकी ट्रेलर बाड़ी है।

 

पार्स मरीन कंपनी ने इस जहाज़ की डिज़ाइन की है जबकि बूशहर की सद्रा कंपनी ने इसे बनाया है।

ट्रेलर जहाज़ आधुनिक जहाज़ हैं जिनसे ख़तरनाक मौसम में शिकार और जलयात्रा भी कर सकते हैं। दुनिया के कम देश ट्रेलर जहाज़ की डिज़ाइन और इसे बना सकते हैं।

ईरान में इस्लामी क्रान्ति की सफलता के बाद, स्पेस और सैटलाइट टेक्नालोजी के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कोशिश शुरू हुयी। इस फ़ील्ड के विकास के लिए हालिया वर्षों में उचित बजट विशेष किया गया है।

 

इल्मो सनअत यूनिवर्सिटी की इलेक्ट्रिकल फ़ैकल्टी के उस्ताद डाक्टर मोहम्मद रज़ा मूसवी मीर कलाई ने इस यूनिवर्सिटी के दूसरे रिसर्च फेलो के साथ मिलकर एक फ़्रिक्वेन्सी वाला जीपीएस रिसेप्टर बनाया।

जैमिंग या डिसेप्शन जैसी रुकावट से पार पाकर सही लोकेशन का पता लगाना बहुत अहमियत रखता है और एसा जीपीएस रिसेप्टर ईरान की इल्मो सनअत यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक बनाने में कामयाब हो गए।

पारंपरिक इलाज के तरीक़े के मुताबिक़ जिस्म को मज़बूत बनाने के बारे में उस्ताद हुसैन ख़ैर अंदीश के विचार पेश हैं।

पारंपरिक उपचार शैली का एक नियम है जिसका जानना बहुत रोचक है। जब भी किसी समाज में मरीज़ ज़्यादा हों तो डाक्टर की सैलरी कम करना चाहिए। पुराने ज़माने में एसा ही था। कहा जाता था कि डाक्टर ने लापरवाही की है जिसकी वजह से बीमारियां बढ़ी हैं, इसिए डाक्टर की सैलरी कम करनी चाहिए। मौजूद दौर में अस्पतालों की तादाद बढ़ रही है, अस्पतालों में बेड़ बढ़ रहे हैं तो कहा जाता है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने बेहतर सेवा मुहैया की।

 

सबसे पहले हमें जिस्म के भीतर बाइल यानी पित्त का स्तर बढ़ाना होगा। अगर जिस्म में बाइल का लेवल बढ़ जाए तो जिस्म के भीतर इम्यून सिस्टम मज़बूत हो जाएगा। किस तरह , ठंडी हवा में सांस लेने से। जब हम ठंडी हवा में सांस लेते हैं तो पूरे बदन में मौजूद बाइल पहले फेफड़े की ओर, फिर दिल की ओर बढ़ता है। इसकी वजह यह है कि सर्दी , गर्मी को खींचती है। जब बाइल फेफड़े की गर बढ़ता है तो फेफड़ा गर्म हो जाता है।

ठंडे मौसम में भी लेटिस अर्थात सलाद पत्ता खाते हैं या ठंडी तासीर वाले पेय पीते हैं ताकि एक लुक़मा अधिक खाने की इच्छा पैदा हो। इस तरह ठंडी तासीर वाली चीजें आपको कमज़ोर करती हैं । इसलिए ठंडे माहौल में सांस लेने से सिर्फ़ फेफड़ा ही नहीं बल्कि दिल और पूरा बदन मज़बूत होता है। यही ठंडी हवा बपके दिमाग़ को भी मज़बूत बनाती है।

शारिरिक व मानसिक दृष्टि से मज़बूत होने के लिए सबसे पहली शर्त, ठंडी हवा में सांस लेना है। इसी वजह से बू ली सीना ने कहा था कि ठंडे इलाक़े के लोग, गर्म इलाक़े के लोगों की तुलना में अधिक शक्तिशाली होते हैं।

यह बात हमेशा याद रखिए कि घर का ट्रम्प्रेचर २२ डिग्री से ऊपर न हो। घर में ठंडक लग रही हो तो गर्म कपड़ा पहनिए। शरीर को मज़बूत करने की यह पहली शर्त है जिसके नतीजे में बप जाड़े के मौसम में ख़ुश रहेंगे।

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