Apr २७, २०१६ १३:०५ Asia/Kolkata

आतंकवादी गुट दाइश ने अपने अस्तित्व में आने के समय से ही मानवता के विरुद्ध जघन्य अपराध किये हैं जो अब भी जारी हैं।

 इन अपराधों में न केवल लोगों की हत्या और लूटपाट है बल्कि एतिहासिक धरोहरों का विनाश भी इसका एक हिस्सा है। सीरिया के एतिहासिक नगर पालमीरा का नष्ट किया जाना भी दाइश की आपराधिक गतिविधियों का एक भाग है।   

सीरिया का विश्वविख्यात एतिहासिक पालमीरा नगर हाल ही स्वतंत्र हुआ है। इसे सीरिया के सैनिकों ने मार्च के अन्तिम सप्ताह में आतंकवादी गुट दाइश के चंगुल से मुक्त कराया है। पालमीरा के परिवेष्टन के दौरान न केवल यह कि दाइश ने यहां पर सैकड़ों लोगों का जनसंहार किया बल्कि इस नगर की एतिहासिक धरोहरों को भी नष्ट कर दिया।



पालमीरा नगर को पलमायरा या तदमुर भी कहा जाता है। यह नगर, जहां पर लगभग दो हज़ार वर्ष प्राचीनकाल की एतिहासिक धरोहरें पाई जाती थीं, उनमें से अधिकांश को दाइश के आतंकवादियों ने नष्ट कर दिया। पालमीरा जैसे एतिहासिक नगर के दाइश के हाथों में पड़ने से पहले तक सीरिया में जारी जनसंहार के बारे में यूनेस्को सहित अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों ने लगभग मौन धारण कर रखा था। इस नगर के आतंकवादियों के हाथों में पड़ने के बाद उनका मौन टूटा जिससे एसा लगता है कि उनकी दृष्टि में हज़ारों निर्दोषों के जनसंहार का कोई विशेष महत्व नहीं है।

दाइश के आतंकवादियों ने पालमीरा के परिवेष्टन के दौरान इस एतिहासिक नगर के ऐम्फिथीएटर को लोगों की हत्या के उद्देश्य से प्रयोग किया। इन आतंकवादियों ने सीरिया के विश्व प्रसिद्ध पुरातनविद ख़ालिद अलअसअद की इसी स्थान पर हत्या करके उनकी लाश को लटका दिया था। दाइश के आतंकवादियों ने इसी प्रकार पालमीरा नगर में स्थित दो हज़ार वर्ष प्राचीन कुछ उपासना स्थलों बाल शामीन या बाल उपासना स्थल और ताक़े नुसरत आदि को भी ध्वस्त कर दिया। इसके अतिरिक्त इन आतंकवादियों ने पालमीरा में स्थित कई प्राचीन मक़बरों को भी नष्ट किया है।

सीरिया में गृहयुद्ध आरंभ होने से पहले तक पर्यटन उद्योग को इस देश की अर्थव्यवस्था में विशेष स्थान प्राप्त था। सैकड़ों नहीं बल्कि हज़ारों सीरियावासी इस देश के पर्यटन उद्योग से जुड़े हुए थे और विदेशी मुद्रा की आय का यह एक बहुत अच्छा स्रोत था। सीरिया के गृहयुद्ध से पहले तक डेढ लाख से अधिक पर्यटक केवल पालमीरा नगर को देखने आया करते थे किंतु पिछले कुछ वर्षों से जारी युद्ध के कारण अब कोई भी, पर्यटन के उद्देश्य से सीरिया नहीं जाता। इस प्रकार कहा जा सकता है कि पर्यटन से सीरिया की आय लगभग समाप्त हो चुकी है।

दाइश के आतंकवादियों ने सीरिया में मानवता विरोधी जो अपराध किये हैं उनकी गिनती संभव नहीं है। इन आतंकवादियों ने विश्व विख्यात नगर पालमीरा के अतरिक्त सीरिया की राजधानी दमिश्क़ के निकटवर्ती एतिहासिक क्षेत्रों तथा हलब और अन्य नगरों के एतिहासिक अवशेषों को भी बहुत क्षति पहुंचाई। आतंकवादियों ने उत्तरी सीरिया में स्थित डेड सिटी नामक एतिहासिक स्थल को भी नष्ट कर दिया।



इस्लाम का दम भरने वाले आतंकवादी गुट दाइश ने पैग़म्बरे इस्लाम (स) की नवासी हज़रत ज़ैनब के रौज़े पर भी कई बार हमले किये। इन आतंकवादियों ने उन महापुरूषों के मज़ारों को भी नष्ट किया जिनको मुसलमान बहुत ही सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। स्वयं को मुसलमान बताने वाले इन आतंकवादियों ने पैग़म्बरे इस्लाम (स) के कई साथियों के मक़बरे तोड़ दिये जिन्हें असहाबे पैग़म्बर कहा जाता है। दाइश के आतंकवादियों ने इस्लाम के जिन महापुरूषों या असहाबे पैग़म्बरे के मक़बरे नष्ट किये हैं उनमें ओवैसे क़रनी, अम्मार बिन यासिर और उबै बिन क़ैस नख़ई आदि सम्मिलित हैं। दाइश की ही भांति फ़्री सीरियन आर्मी ने दमिश्क़ में स्थित इस्लाम के एक अन्य महापुरूष हजर बिन उदैइ का मक़बरा नष्ट कर दिया।

सीरिया में जारी गृहयुद्ध के आरंभ होने के समय यूरोप के सुरक्षा अधिकारियों ने इस ओर से सचेत किया था कि निकट भविष्य में सीरिया, अलक़ाएदा का समर्थन करने वाले आतंकवादियों का पर्यटन स्थल बन जाएगा जैसा कि हम इस समय देख रहे हैं। यहां पर यह बात उल्लेखनीय है कि सीरिया की वैध सरकार के विरुद्ध सक्रिय आतंकवादी गुट स्वयं को धार्मिक दर्शाने के प्रयास करते हैं किंतु उनका व्यवहार और उनकी जघन्य कार्यवाहियां बताती हैं कि उनका धर्म से कोई लेनादेना नहीं है।

उदाहरण स्वरूप दो साल पहले सीरिया में सक्रिय आतंकवादी गुट दाइश के एक कमांडर ने घोषणा की थी कि सीरिया में उन सभी गिरजाघरों को तोड़ दिया जाएगा जो इस्लाम के उदय के बाद बनाए गए हैं। दाइश के इस कमांडर की घोषणा से पता चलता है कि वे कितने कट्टरपंथीं हैं। यदि ग़ौर किया जाए तो पता चलेगा कि यह आतंकवादी न केवल कट्टरपंथी हैं बल्कि इनका उद्देश्य विभिन्न धर्मों के बीच मतभेद फैलाना भी है। पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने अपने जीवनकाल में ईश्वरीय धर्मों के मानने वालों के उपासना स्थलों को कभी नष्ट करने का आदेश जारी नहीं किया। इससे पता चलता है कि दाइश या अन्य आतंकवादी गुटों का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है।

सीरिया की राजधानी दमिश्क़ को इतिहास का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। यह विश्व का सबसे प्राचीन नगर है। दमिश्क़, लगभग दस हज़ार वर्ष ईसापूर्व से मानव जाति का जीवन स्थल रहा है। यही कारण है कि सीरिया को विश्व की प्रथम राजधानी कहा जाता है। दमिशक़ ने बहुत सी प्राचीन सभ्यताओं को पैदा होते और फलते फूलते देखा है। सीरिया का यह नगर बहुत से राजाओं और शासन श्रंखलाओं की राजधानी रहा है। सन 636 के बाद से जबसे दमिश्क़, इस्लामी जगत की राजधानी बना, इस्लाम के महत्वपूर्ण नगर के रूप में परिवर्तित हो गया। थोड़े ही समय के बाद यह नगर ओमवी शासन श्रंखला की राजधानी बन गया और इसमें तेज़ी से विकास हुआ। कहते हैं कि दमिश्क़ में बहुत से एसे इतिहासकार, कवि, लेखक, विद्वान, विचारक, खगोलशास्त्री, साहित्यकार और महापुरूष पैदा हुए जिन्होंने विश्व ख्याति अर्जित की और उनके कारनामे इतिहास की पुस्तकों में मौजूद हैं।

सीरिया के नगरों में से एक नगर पालमीरा भी है जिसे अरबी भाषा में तदमुर कहा जाता है। यह सीरिया के होम्स प्रांत में स्थित है। यहां पर बहुत से एतिहासिक अवशेष मौजूद थे। (हेलेनेस्टिक और बीज़ान्टिन साम्राज्य) के काल में सीरिया, सभ्यता का एक महत्वपूर्ण केन्द्र था। यहां पर एसी बहुत सी इमारतें मौजूद थीं जिन्हें देखकर मनुष्य आश्चर्यचकित रह जाता है।

पालमीरा नगर में सामान्यतः अरब, यहूदी, ओमवी और आरामी रहा करते थे। इस नगर के खण्डहरों के निकट तदमुर नगर स्थित है किंतु वर्तमान समय में इस पूरे क्षेत्र को पालमीरा या तदमुर के नाम से जाना जाता है। यह प्राचीन नगर अश्कानियों, यूनानियों और पालमीरियों की मिश्रित संस्कृतियों का मिश्रण रहा है। पालमीरा को मरूस्थल के मोती के नाम से भी जाना जाता है। बताया जाता है कि पालमीरा में विश्व के प्राचीनतम खण्हरों में से एक खण्हर स्थित है जो यूनेस्को में पंजीकृत है।

पालमीरा के बहुत से खण्डहरों का संबन्ध पहली और दूसरी शताब्दी से है। प्राचीनकाल में यह नगर विश्व के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केन्द्रों में से एक था। पालमीरा नगर पहली और दूसरी शताब्दी की कला एवं वास्तुकला का परिचायक है जिसमें यूनानी, रूमी, प्राचीन ईरानी और स्थानीय संस्कृतियों का मिश्रण देखने को मिलता है। पालमीरा का खण्हर एक हज़ार से अधिक स्तंभों वाला है जहां पर बहुत बड़ा क़ब्रिस्तान है। यहां पर 500 से अधिक मक़बरे मौजूद हैं।



पालमीरा नगर को अशकानियों ने बनाया था जो शामात के मरूस्थल तक फैला हुआ था। बाद में रोमियों के हमले के कारण यह ईरान से निकलकर रोमियों के हाथों लग गया। बाद में पालमीरा नगर महारानी ज़नूबिया या जेनोबिया की राजधानी बन गया। पालमीरा नगर, सुनहरे स्तंभों वाला नगर था जो लगभग 100 वर्ष ईसापूर्व, एशिया और यूरोप के बीच अति महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र था। सन 274 ईसवी में रोम के सम्राट औरेलियन ने इस सुन्दर नगर पर क़ब्ज़ा करके उसको नष्ट कर दिया था। पालमीरा में बहुत सी सांस्कृतिक धरोहरें और एतिहासिक प्रमाण पा जाते हैं।

23 अगस्त सन 2015 को सीरिया के पुरातन विभाग ने बताया था कि दाइश के आतंकवादियों ने बाल शामीन नामक उपासना स्थल को विस्फोटक पदार्थ से नष्ट कर दिया है जिसके कारण उसके इर्दगिर्द बने बहुत से स्तंभ गिर गए हैं। बाल शामीन नामक उपासना स्थल का संबन्ध पहली ईस्वी शताब्दी से है।

पालमीरा, यूनान और रोम के नगरों से बहुत प्रभावित था। यूनानी और रोमी नगरों में सामान्यतः ऊंचे ऊंचे स्तंभों वाले बड़े चौराहे हुआ करते थे। यह सारी चीज़ें पालमीरा में भी पाई जाती हैं।

जबसे पालमीरा नगर दाइश के आतंकवादियों के हाथ लगा है उन्होंने चुनचुनकर इस नगर के एतिहासिक अवशेषों को नष्ट किया है। दाइश के आतंकवादी पालमीरा में निर्दोषों की हत्या के साथ ही साथ वहां के एतिहासिक स्थलों को भी तोड़ रहे थे। इन आतंकवादियों ने पालमीरा में स्थित एक अति महत्वपूर्ण एवं प्राचीन प्रतिमा को नष्ट कर दिया। सीरिया के पुरातन विभाग के प्रमुख अब्दुल करीम ने दाइश की इस इतिहास विरोधी कार्यवाही के बाद बताया कि यह प्रतिमा धातु से बनाई गई थी और उसे रेत से भरी हुई एक बोरी में रखा गया था ताकि इस एतिहासिक प्रतिमा को हर प्रकार की संभावित क्षति से सुरक्षित रखा जा सके। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद दाइश के आतंकवादियों ने उसे बाहर निकालकर नष्ट कर दिया। सीरिया के पुरातन विशेषज्ञ ने दाइश की इस कार्यवाही को पालमीरा की सांस्कृतिक धरोहरों के विरुद्ध दाइश के जघन्य अपराध की संज्ञा दी है।


ख़ूंख़ार आतंकवादी गुट दाइश की इन समस्त हिंसक एवं विध्वसंक कार्यवाहियों के बावजूद सीरिया के सैनिकों ने 27 मार्च 2016 को एतिहासिक नगर पालमीरा को दाइश के चंगुल से मुक्त करा लिया।

पालमीरा को स्वतंत्र कराने के साथ ही सीरिया के सैनिकों ने इस नगर से उन बारूदी सुरंगों और विस्फोटक पदार्थों को निष्क्रय बनाने का कार्य आरंभ कर दिया है जिसे दाइश ने अपने नियंत्रण के दौरान यहां पर लगाया था। हालांकि सीरिया की सेना ने पूरी शक्ति के साथ पालमीरा नगर को स्वतंत्र करा लिया है किंतु इस नगर के जो चित्र सामने आए हैं उनसे यह पता चलता है कि दाइश के आतंकवादियों ने मरूस्थल के इस मोती को इतनी अधिक क्षति पहुंचाई है कि इस मोती की चमक अब मांद पड़ गई है।