आईआरजीसी फ़ोर्स के तत्कालीन कमांडर मोहसिन रेज़ाई ने जब जंग ख़त्म होने में कुछ महीने बचे थे तो क्या कहा था?
हम प्रोग्राम शौर्यगाथा में 80 के दशक में ईरान पर इराक़ के बासी सद्दाम शासन के हमले के मुक़ाबले में ईरानी राष्ट्र की पवित्र प्रतिरक्षा और इस दौरान ईरानी राष्ट्र के वीर सपूतों के शौर्य के बारे में आपको बता रहे हैं।
ख़ुर्रमशहर की फ़तह को इराक़ के ख़िलाफ़ जंग में इस्लामी गणतंत्र ईरान के प्रतिरोध व सफलता की अमूतपूर्ण गाथा माना जाता है।
हमने ख़ुर्रमशहर को आज़ाद कराने के लिए बैतुल मुक़द्दस अभियान के दूसरे चरण के बारे में आपको बताया था।
आपको याद होगा कि पिछले कार्यक्रम में हमने बैतुल मुक़दद्स अभियान के दूसरे चरण और ख़ुर्रमशहर की नाकाबंदी पर चर्चा की थी।
हमने ख़ुर्रमशहर को आज़ाद कराने के लिए विशाल अभियान बैतुल मुक़द्दस शुरु करने हेतु सेनाओं की तय्यारी के बारे में बताया।
हमने आपको उस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के बारे में बताया जहां बैतुल मुक़द्दस सैन्य अभियान अंजाम पाया था।
हमने इस्लामी गणतंत्र ईरान की भूमि पर इराक़ के अतिक्रमण के दूसरे साल में चौथे महाअभियान के बारे में बताया जो १९८२ के मई महीने में शुरु हुआ था ।
कार्यक्रम में बैतुल मुक़द्दस अभियान की तय्यारी और ख़र्रम शहर की आज़ादी पर चर्चा करेंगे।