हमने आपको 1981 में थोपे गये युद्ध के दूसरे साल के अंतिम तीन महीनों में रणक्षेत्र में घटने वाली घटनाओं के बारे में बताया था।
हमने " फ़्तहूल मुबीन" नामक सैन्य अभियान की कुछ उपलब्धियों की चर्चा की थी जो ईरान पर थोपे गए आठ वर्षीय युद्ध के दूसरे वर्ष आरंभ हुआ था।
हमने 80 के दशक में इराक़ के सद्दाम शासन द्वारा थोपी गयी जंग के आरंभिक वर्षों की एक बहुत ही अहम घटना का उल्लेख किया।
हमने बताया था कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की धरती पर सद्दाम सरकार के हमले और कुछ क्षेत्रों पर क़ब्ज़े के एक साल बाद किस तरह ईरानी जियालों ने सामेनुल अइम्मा नामक आप्रेशन सितम्बर 1981 में किया।
हमने सद्दाम की अत्याचारी सरकार द्वारा अस्सी के दशक में ईरानी राष्ट्र के ख़िलाफ़ किए जाने वाले अतिक्रमण के मुक़ाबले में ईरानी जनता के आठ वर्षीय साहसपूर्ण प्रतिरोध के दौरान, युद्ध शुरू होने के एक वर्ष बाद ईरानी सेना के पहले बड़े सैन्य अभियान के बारे में बात की थी।
इस कार्यक्रम श्रंखला में हम 1980 के दशक में इराक़ के सद्दाम सरकार की ओर से इस्लामी गणतंत्र ईरान पर थोपे गए आठ वर्षीय युद्ध के दौरान ईरान की जनता के महान प्रतिरोध और साहस व क़ुरबानी के भावना के बारे में बता रहे हैं।
हमने ईरान पर सद्दाम के हमले के आरंभिक वर्ष में ईरान की आर्थिक व राजनीतिक समस्याओं का उल्लेख किया था।
1980 के दशक में सद्दाम के बासी शासन द्वारा ईरान पर हमलों और ईरानी राष्ट्र के पवित्र प्रतिरक्षा के आठ वर्षीय काल के दौरान ईरानी जनता की भूमिका पर चर्चा करेंगे।
ईरान के खिलाफ सद्दाम सरकार द्वारा छेड़ा गया युद्ध जो आठ वर्षों तक जारी रहा, कई आयामों से महत्वपूर्ण है और यह युद्ध अपने भीतर, ईरानी जियालों की वीरता व साहस की अनगिनत कहांनियां समेटे है।
इससे पहले हमने असंगठित युद्ध में डाक्टर मुस्तफा चमरान की शूरवीरता को बयान किया था।