Pars Today
आज ज़िलहिज्जा महीने की 10 तारीख है। हाजी हज संस्कार के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके हैं।
दोस्तो अरफ़ा का दिन एक ऐसा पवित्र दिन है कि जिस दिन हम एक ऐसी मन को सुकून देने वाली दुआ पढ़ते हैं कि जिस दुआ को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अरफ़ात के मरुस्थल में पढ़ी थी।
पवित्र हज के संस्कारों को आज हज़रत इब्राहीम के हज के तौर पर जाना जाता है, यह केवल एक इबादत नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के मुसलमानों के बीच एकता और एकजुटता के लिए किए जाने वाले प्रयासों का अभ्यास है।
हज, अल्लाह के सामने मुसलमानों के नतमस्तक होने का नमूना है