Aug २६, २०२३ १८:०७ Asia/Kolkata

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के एक निजी स्कूल की शिक्षिका द्वारा अपनी क्लास बच्चों को एक-एक करके एक आठ वर्षीय मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने का निर्देश का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शिक्षिका के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली गयी जबकि मुस्लिम छात्र के पिता इरशाद ने समझौता होने की बात भी कह दी है।  

40 सेकेंड के इस वीडियो में क्लास के बच्चे पीड़ित छात्र को मारते नज़र आ रही हैं जबकि शिक्षिका उन्हें प्रोत्साहित करती दिखती हैं।

वीडियो में पीड़ित बच्चा रो रहा है और शिक्षका के कहने पर साथी छात्र उसे थप्पड़ मार रहे हैं। कैमरा के पीछे के शख्स से महिला कहती हैं कि मैंने तो डिक्लेअर कर दिया है, जितने भी मोहम्मडन बच्चे हैं, इनके वहां चले जाओ, उनकी बात पर कैमरा के पीछे वाला व्यक्ति सहमति ज़ाहिर करता है। इसके बाद मुस्लिम छात्र को मारने के बाद एक बच्चा बैठता है तो शिक्षक उससे कहती हैं, ‘क्या तुम मार रहे हो? ज़ोर से मारो न.’ फिर वो पूछती हैं, ‘चलो अब किसका नंबर है?’

पीड़ित छात्र के रोते रहने के बीच वो कहती हैं, ‘अबकी बार कमर पर मारो… चलो, मुंह पे न मारो अब मुंह लाल हो रहा है, कमर पे मारो सारे।

वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए डीएसपी रविशंकर ने मीडिया को बताया कि वायरल वीडियो मंसूरपुर थाना क्षेत्र के पास खुब्बापुर गांव के एक घर में संचालित होने वाले स्कूल का है और स्थानीय पुलिस इसकी जांच कर रही है।

इस बीच, बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला ने कहा कि वीडियो में दिख रही शिक्षक और उन्हें उकसाने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने मुज़फ़्फ़रनगर में संवाददाताओं से कहा कि स्कूल प्रबंधन के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की जाएगी।

बताया जाता है कि पीड़ित छात्र के पिता इरशाद किसान हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि घटना 24 अगस्त की सुबह लगभग 9 बजे की है। बच्चे के करीबी सूत्रों ने बताया कि बच्चे को पीटे जाने पर शिक्षिका ने कहा था कि मुसलमानों को पीटा जाना चाहिए।

बताया गया कि जब इरशाद ने इस बारे शिक्षिका से बात की तब उन्होंने इरशाद को कथित तौर पर धमकाया। इरशाद कहते हैं कि इसके बाद मैंने अपने बच्चे का एडमिशन कैंसल करवाने का फ़ैसला किया और उसे स्कूल भेजना बंद कर दिया।

बताया गया है कि वीडियो वायरल होने के बाद टीचर ने इरशाद से ‘माफ़ी’ मांगी और वादा किया कि ऐसा दोबारा नहीं होगा. इरशाद ने भी कथित तौर पर इस मामले को आगे न बढ़ाने का सोचा। शुरुआत में उन्होंने कहा था कि वे इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते क्योंकि उन्हें लगा कि उनकी बात ठीक से नहीं सुनी जाएगी और विवाद से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है।

इस बीच राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के प्रमुख प्रियांक कानूनगो ने जोर देकर कहा है कि वीडियो को आगे प्रसारित नहीं किया जाना चाहिए।

उधर नेताओं ने इस घटना को लेकर दुख जाहिर किया है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा कि मासूम बच्चों के मन में भेदभाव का ज़हर घोलना, स्कूल जैसे पवित्र स्थान को नफ़रत का बाज़ार बनाना, एक शिक्षक देश के लिए इससे बुरा कुछ नहीं कर सकता, ये भाजपा का फैलाया वही केरोसिन है जिसने भारत के कोने-कोने में आग लगा रखी है, बच्चे भारत का भविष्य हैं, उनको नफ़रत नहीं, हम सबको मिल कर मोहब्बत सिखानी है।

राज्यसभा सांसद और रालोद नेता जयंत सिंह ने कहा कि मुज़फ़्फ़रनगर स्कूल का वीडियो एक दर्दनाक चेतावनी है कि कैसे गहरी जड़ें जमा चुका धार्मिक भेदभाव हाशिये पर पड़े अल्पसंख्यक समुदायों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़का सकता है, मुज़फ़्फ़रनगर के हमारे विधायक यह सुनिश्चित करेंगे कि यूपी पुलिस स्वत: मामला दर्ज करे और बच्चे की शिक्षा बाधित न हो। (AK)

 

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