सुप्रीम कोर्ट से भी आगे निकली भारत की केन्द्र सरकार
एक रिपोर्ट में सामने आया है कि 29 दिसम्बर, 2023 से इस साल 15 फ़रवरी, जब सुप्रीम कोर्ट ने गुमनाम राजनीतिक फंडिंग की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द किया, तक सरकार ने एक करोड़ रुपये मूल्य के 8 हज़ार 350 बॉन्ड छापे थे।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कुल मिलाकर साल 2018, जब योजना शुरू की गई थी, से अब तक सरकार ने 35 हज़ार 660 करोड़ रुपये के बॉन्ड मुद्रित किए जिनमें एक करोड़ रुपये के 33 हज़ार और 10 लाख रुपये के 26 हज़ार 600 बॉन्ड शामिल थे।
यह जानकारी वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा कमोडोर लोकेश के. बत्रा द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन के जवाब में दी है।
आरटीआई जवाब के अनुसार, चुनावी बॉन्ड के कमीशन और मुद्रण पर सरकार ने 13.94 करोड़ रुपये खर्च किया, जबकि इस योजना के तहत अधिकृत वित्तीय संस्थान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने योजना शुरू होने के बाद से 30 चरणों में बिक्री के लिए कमीशन के रूप में जीएसटी सहित 12.04 करोड़ रुपये का शुल्क लिया।
जानकारी से पता चलता है कि दानदाताओं और राजनीतिक दलों से कोई कमीशन या जीएसटी नहीं लिया गया। उल्लेखनीय है कि 15 फरवरी को लोकसभा चुनावों की अधिसूचना जारी होने से बमुश्किल कुछ हफ्ते पहले एक ऐतिहासिक फैसले में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने चुनावी बॉन्ड योजना को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसे लागू करने के लिए कानूनों में किए गए बदलाव असंवैधानिक हैं।
इस योजना को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना के अधिकार के संवैधानिक अधिकार का ‘उल्लंघन’ मानते हुए अदालत केंद्र के इस तर्क से सहमत नहीं हुई कि इसका उद्देश्य पारदर्शिता लाना और राजनीतिक फंडिंग में काले धन पर अंकुश लगाना था। (AK)
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