माजरा क्या था? ईरानी तेल चुराने पर क्यों उतर आया अमरीका?
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आज यह ख़बर सारी दुनिया के मीडिया की सुर्खियों में है कि अमरीका ने ईरानी तेल टैंकर चोरी करने की कोशिश की लेकिन ईरान की क्रांति संरक्षक फ़ोर्स आईआरजीसी की नौसेना ने इस कोशिश को नाकाम बना दिया।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
Nov ०३, २०२१ २०:२३ Asia/Kolkata
  • माजरा क्या था? ईरानी तेल चुराने पर क्यों उतर आया अमरीका?

आज यह ख़बर सारी दुनिया के मीडिया की सुर्खियों में है कि अमरीका ने ईरानी तेल टैंकर चोरी करने की कोशिश की लेकिन ईरान की क्रांति संरक्षक फ़ोर्स आईआरजीसी की नौसेना ने इस कोशिश को नाकाम बना दिया।

अमरीका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा रखे हैं ताकि ईरान की अर्थ व्यवस्था की कमर टूट जाए लेकिन अब जब अमरीका को अपना यह मंसूबा नाकाम होता दिखाई दे रहा है तो वह बुरी तरह तिलमिलाया हुआ है।

हुआ यह है कि अमरीका ने ईरान का तेल लेकर जा रहे टैंकर को ओमान सागर में अपने नियंत्रण में ले लिया और उस पर लदा तेल दूसरे टैंकर में स्थानान्तरित करके उसे किसी अज्ञात गंतव्य की ओर रवाना कर दिया। ठीक उसी समय ईरान की क्रांति संरक्षक फ़ोर्स आईआरजीसी की नौसेना ने हेलीकाप्टरों की मदद से कार्यवाही करते हुए उस तेल टैंकर को अपने नियंत्रण में ले लिया जिसमें ईरानी टैंकर का तेल स्थानांतरित किया गया था। ईरानी जवान इस टैंकर को ईरान के जेल क्षेत्र में ले आए।

विदित रूप से तो यह समुद्री डकैती का मामला नज़र आता है लेकिन अस्ली माजरा यह है कि अमरीका के भारी दबाव और प्रतिबंधों के बावजूद ईरान का तेल निर्यात बढ़ रहा है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा था कि वह ईरान का तेल निर्यात ज़ीरो बैरल तक पहुंचा देंगे लेकिन उनका सत्ताकाल तो ज़रूर ख़त्म हो गया ईरान का तेल निर्यात ख़त्म नहीं हुआ।

अमरीका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी ईरान पर लगे प्रतिबंधों को जारी रखा है और कोशिश में हैं कि ईरान का तेल निर्यात बढ़ने न पाए लेकिन वह देख रहे हैं कि अमरीका की पाबंदियां नाकाम हो रही हैं और भारी दबाव के बावजूद ईरान का तेल निर्यात बढ़ रहा है। इन हालात में अमरीका की इस नई हरकत से अंदाज़ा होता है कि अमरीका अपनी नाकामियों से बुरी तरह तिलमिलाया हुआ है।

आंकड़ों से साफ़ ज़ाहिर है कि ईरान में सैयद इब्राहीम रईसी की सरकार बनने के बाद से तेल का निर्यात बढ़ने लगा है। अब अमरीका ने ईरान से तेल ख़रीदने वाले देशों पर दबाव डालने और उन्हें डराने के बजाए ईरान का तेल चुराने की कोशिश शुरू कर दी है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि अमरीका की क्या हालत हो गई है कि वह दिन दहाड़े डकैती पर उतर आया है। और इससे बड़ी बात यह है कि अमरीका की यह डकैती नाकाम बना दी गई।

अमरीका लगातार अपने मंसूबों की नाकामी का दृष्य देखकर अब इस हालत में पहुंच गया है कि कोई नई पराजय नहीं देखना चाहता मगर यह भी एक सच्चाई है कि अमरीका के चाहने या न चाहने से ज़मीनी हक़ीक़त तो बदलने वाली नहीं है।

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