Mar २१, २०२२ १४:३७ Asia/Kolkata

ईरान में प्रचलित हिजरी शम्सी कैलेंडर का साल 1400 पूरा हुआ और 21 मार्च 2022 से इस कैलैंडर का नया साल 1401 शुरू हो गया।

कई साल से जारी परम्परा के अनुसार इस बार भी साल की समाप्ति और नए साल की शुरुआत पर इस्लामी क्रांति के लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने जनता के नाम संदेश जारी किया। अपने वीडियो संदेश में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने बीते साल की कड़वी और मधुर घटनाओं का जायज़ा लेते हुए नए साल के लिए बुनियादी गतिविधियों की दिशा निर्धारित की।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अपने संदेश में पहले मधुर घटनाओं का ज़िक्र करते हुए चुनावों के बारे में बात की। यह राष्ट्रपति चुनाव थे जिनके नतीजे में राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी की सरकार बनी जो कोरोना महामारी के चलते प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद बड़ी तनमयता से जनता की सेवा कर रही है। ईरान को कोरोना की महामारी के साथ ही अमरीका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों के अमानवीय दबाव का भी सामना है। पश्चिमी देश यह कोशिश कर रहे हैं कि ईरान के हालात इतने ख़राब हो जाएं कि देश की जनता इस्लामी शासन के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दे। इस लक्ष्य के लिए यह देश ईरान को दवाओं से भी वंचित रखने की कोशिश करते हैं।

इस तरह की अमानवीय नीतियों का सामना करते हुए ईरान प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। ईरान की जनता ने अपने प्रतिरोध का लोहा सारी दुनिया से मनवाया है और इस प्रतिरोध की सराहना सुप्रीम  लीडर ने अपने संदेश में भी की जबकि इससे पहले भी वे कई बार ईरानी राष्ट्र के प्रतिरोध की प्रशंसा कर चुके हैं। नौरोज़ के संदेश में सुप्रीम लीडर ने कहा कि सन 1400 की एक मधुर घटना यह थी कि अमरीकियों ने हाल ही में इक़रार किया कि हमें ईरान के ख़िलाफ़ अधिकतम दबाव की नीति में शर्मनाक शिकस्त हुई। ईरानी क़ौम को फ़तह मिली। कोई भी व्यक्ति अकेले इसका श्रेय नहीं ले सकता। पूरी ईरानी क़ौम के प्रतिरोध के नतीजे में इतनी बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। यह साबित हो गया कि साम्राज्यवाद के मुक़ाबले में ईरानी क़ौम जिस रास्ते पर चल रही है वह बिल्कुल दुरुस्त है।

इस्लामी क्रांति के नेता के संदेश में कुछ अन्य उपलबधियों का भी ज़िक्र था। उन्होंने कहा कि एक और विषय कोरोना की महामारी का गंभीरता से मुक़ाबला था। वाक़ई सही अर्थों में संघर्ष हुआ, मुक़ाबला किया गया। इस ख़तरनाक बीमारी से होने वाली मौतें रोज़ाना कई सौ की दर से घटकर एक ज़माने में तो 20 तक और 18 तक पहुंच गईं।

ईरान ने कोरोना वायरस की महामारी का सफलता के साथ मुक़ाबला किया और इसके लिए सरकार और आर्म्ड फ़ोर्सेज़ और चिकित्सा विभाग के साथ ही बड़ी संख्या में स्वयंसेवियों ने भूमिका निभाई। इस आपदा के समय पूरा देश एकजुट नज़र आया और सबने एक परिवार के सदस्यों के रूप में काम किया।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई के संदेश के अनुसार बीते साल के कड़वे अनुभावों में जनता की आर्थिक तंगी थी जिसे दूर किया जाना ज़रूरी है। आर्थिक क्षेत्र में मूल चूल सुधार लाने के लिए सुप्रीम लीडर कई साल से बड़ी तनमयता से काम कर रहे हैं और हर साल के लिए नारा और बुनियादी लक्ष्य निर्धारित करते समय वे आर्थिक विषय को केन्द्र में रखते हैं।

ईरान की कोशिश यह है कि देश की अर्थ व्यवस्था की तेल की आमदनी पर निर्भरता कम है और सरकार रेवेन्यु के लिए विविध स्रोत विकसित करे। देश की अर्थ व्यवस्था की बुनियादें और स्तंभ इतने मज़बूत हों कि बाहरी पाबंदियों से वह संकट में न पड़े। सुप्रीम लीडर ने इसी लक्ष्य के तहत प्रतिरोधक अर्थ व्यवस्था का विचार पेश किया है जो आर्थिक विशेषज्ञों की लंबी बहसों और अध्ययन के बाद निर्धारित किया जाने वाला मज़बूत माडल है। ईरान इसी दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है। इसी संदर्भ में इस्लामी क्रांति के नेता ने इसा साल के लिए यह नारा चुना है “रोज़गार पैदा करने वाला नालेज बेस्ड प्रोडक्शन।

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