जानबूझकर जापान को अपमानित क्यों करना चाहते हैं अमेरिकी अधिकारी ?
(last modified Thu, 16 May 2024 10:41:05 GMT )
May १६, २०२४ १६:११ Asia/Kolkata
  • कुछ अमेरिकी अधिकारी जानबूझकर जापान को अपमानित क्यों करना चाहते हैं?
    कुछ अमेरिकी अधिकारी जानबूझकर जापान को अपमानित क्यों करना चाहते हैं?

पार्सटुडे- अगस्त 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले के औचित्य के बारे में अमेरिकी अधिकारियों के हालिया बयानों के बाद जापान में चिंताएं बढ़ती जा रही हैं।

टोक्यो ने, जो परमाणु हथियारों के उपयोग से संबंधित बातों का विरोध करता है, वाशिंगटन को अपनी पोज़ीशन स्पष्ट रूप से बता दी है लेकिन अमेरिकी अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने में वह बुरी तरह नाकाम रहा है।

रिपब्लिकन पार्टी के एक सीनियर सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने 8 मई को एक बैठक में जापान पर परमाणु हमले का बचाव किया था।

यह बयान ऐसे समय में आया है कि जब ग्राहम ने फ़िलिस्तीनियों की दयनीय स्थिति और दुर्दशा पर इस्राईल के समर्थन का एलान किया है।

एक टेलीविजन कार्यक्रम में उन्होंने परमाणु बम के हमले को जिसमें अमेरिकियों द्वारा निर्दोष जापानियों का नरसंहार किया गया था, सही फ़ैसला क़रार दिया।

उन्होंने अमेरिकी युद्धोन्मादी इतिहासकारों के भ्रामक तर्क का सहारा लिया कि यदि हमने इतनी संख्या में जापानियों को न मारा होता, तो युद्ध समाप्त नहीं होता।

अलबत्ता, अमेरिका ने जापानी नागरिकों के नरसंहार के बाद दुनिया में युद्ध और हत्याओं पर लगाम नहीं लगाई और वियतनाम, कंबोडिया, लीबिया, इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान जैसे देशों में हत्याओं का बाज़ार गर्म रहा... इसीलिए, ऐसा लगता है कि इस तर्क का उपयोग जापानियों और दुनिया के अन्य लोगों को केवल धोखा देने के लिए ही किया जाता है।

ग्राहम ने सीनेट की विशेष समिति की बैठक में इस्राईल को मज़बूत और ताक़तवर हथियार उपलब्ध कराने की ज़रूरत पर भी जोर दिया था।

जापानी कैबिनेट के सचिव योशिमासा हयाशी ने ग्राहम के बयान को "बहुत दुर्भाग्यपूर्ण" बताया था।

उन्होंने कहा: "परमाणु हमले ने कई लोगों की जान ले ली, कई प्रकार की बीमारियों सहित लोगों को ऐसी पीड़ाओं का सामना करना पड़ा जिनके बारे में बताया नहीं जा सकता जबकि बहुत ही दयनीय मानवीय स्थिति भी पैदा हो गयी थी"।

जापान सरकार ने एक कमज़ोर प्रतिक्रिया में अमेरिकी सरकार और ग्राहम के कार्यालय को बस यह सूचित किया कि परमाणु हथियारों का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय क़ानून की भावना के अनुरूप नहीं था।

दुर्भाग्य से यह कहना पड़ रहा है कि जापानी इतिहासकारों और मीडिया ने वैश्विक स्तर पर परमाणु हमले की वास्तविकताओं की अधिक सटीक ढंग से फैलाने का प्रयास तक नहीं किया।

इसके अलावा, जापान और अमेरिका के बीच पाया जाने वाला उच्च स्तरीय के सहयोग और टोक्यो के वाशिंगटन के अधीन रहने के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 1 मई को जापान, चीन और रूस को "विदेशी विरोधी" क़रार दे दिया लेकिन टोक्यो सरकार ने इस बयान का भी कड़ाई से विरोध नहीं किया।

ऐसा लगता है कि कुछ अमेरिकी सीनेटर, विशेष रूप से लिंडसे ग्राहम जैसे लोग, जानबूझकर जापान को अपमानित करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि संभवतः अमेरिका की राजनीतिक और वैचारिक पोज़ीशन को मज़बूत कर सकें और जापानी सरकार और राष्ट्र पर अमेरिका के मनोवैज्ञानिक प्रभुत्व और वर्चस्व को बनाए रखें।

यह ऐसी चीज़ें है जो जापानी राष्ट्र को इतिहास की दर्दनाक यादें, याद दिलाती हैं।

निश्चित रूप दुनिया के लिए यह बहुत ही अजीब बात है कि जापानी अधिकारी, एक महान इतिहास, एक बुद्धिमान राष्ट्र और जापान की कई क्षमताओं के साथ, साम्राज्यवादी पश्चिम के मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक प्रभुत्व से बाहर निकलने के लिए तैयार नहीं हैं और न ही ऐसा करने की उनमें कोई इच्छा शक्ति पायी जाती है कि वह किसी के अधीन और वर्चस्व में रहने के बजाए वैश्विक समीकरणों में एक निर्णायक समाज की भूमिका निभाएं और साम्राज्यवाद का मुकाबला करते हुए राष्ट्रों के बीच वास्तविक शांति फैलाने में मदद करें।

कीवर्ड्स: जापान और अमेरिका, जापानी शक्ति, जापान और चीन, जापान पर परमाणु हमला (AK)

 

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