Mar २१, २०२२ २३:१७ Asia/Kolkata
  • संघर्ष के लिए ईरानी राष्ट्र ने सही मार्ग का चयन किया हैः वरिष्ठ नेता

वरिष्ठ नेता ने कहा कि राष्ट्र ने वर्चस्ववाद के मुक़ाबले के लिए बिल्कुल सही रास्ता अपनाया है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान, यूक्रेन और यमन में घटने वाली घटनाएं, वर्चस्ववाद से संघर्ष के लिए ईरान द्वारा चुने गए रास्ते की पुष्टि करती हैं।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने सोमवार को नौरोज़ की बधाई देते हुए विश्व में घटने वाली विभिन्न घटनाओं का उल्लेख किया।  उन्होंने कहा कि इन घटनाओं में ग़ौर करने से यह बात स्पष्ट होती है कि विश्व वर्चस्ववाद से संघर्ष में ईरानी राष्ट्र ने जिस मार्ग का चयन किया है वह बिल्कुल सही है।

वरिष्ठ नेता का कहना था कि इस बारे में ईरानी राष्ट्र ने प्रतिरोध, दुश्मन के सामने घुटने न टेकने, स्वावलंबन की सुरक्षा तथा देश और व्यवस्था की आंतरिक मज़बूती के लिए जो फैसला किया वह राष्ट्रीय था और सही भी था।  ईश्वर ने ईरानी राष्ट्र के लिए आशा की जो भूमिकाएं प्रशस्त की हैं उनकी ओर संकेत करते हुए आपने कहा कि शत्रुओं को ईरानी राष्ट्र की इस आशा से क्रोधित होने दो।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अफ़ग़ानिस्तान की अत्याचरग्रस्त जनता पर होने वाले अत्याचारों और वहां पर 20 वर्षों तक अमरीका के अपराधों की ओर संकेत करते हुए कहा कि यूक्रेन संकट इसका एक स्पष्ट उदाहरण है।  वहां के राष्ट्रपति को पश्चिम द्वारा सत्ता में लाया गया था किंतु अब वे भी उन्हीं के विरुद्ध ऊंची आवाज़ में बात कर रहे हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने यमन के घटनाक्रम, वहां पर हर रोज़ होने वाली बमबारी तथा सऊदी अरब द्वारा हाल में 70 लोगों को फांसी दिये जाने के बारे में कहा कि इस प्रकार की घटनाएं यह बताती हैं कि विश्व का संचालन इस समय ख़ूंख़ार भेड़ियों द्वारा किया जा रहा है। 

आपने कहा कि यूक्रेन के घटनाक्रम में जातिवाद का एक आयाम दिखाई दिया।  कालों को गोरों से अलग करना और ट्रेन से कालों को उतारना या पश्चिमी संचार माध्यमों में पश्चिम वासियों का इस बात पर खेद जताना कि मध्यपूर्व की जगह युद्ध यूरोप में क्यो हो रहा है, यह सब पश्चिम के जातिवाद के बहुत ही स्पष्ट उदाहरण हैं। 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अत्याचारों के बारे में पश्चिम के दोहरे मानदंड के संदर्भ में कहा कि अगर उनका अनुसरण करने वाले देशों में अत्याचार होता है तो वे अपनी कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दिखाते है।  वे इन अत्याचारों के बावजूद मानवाधिकारों के समर्थन का ढिंढोरा ही पीटते रहते हैं। अपने इसी झूठे दावे से वे स्वतंत्र देशों से ज़बरदस्ती पैसा वसूलते हैं। 

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि वर्तमान समय में अत्याचार की दृष्टि से इतिहास अपने सबसे बुर दौर से गुज़र रहा है।  इस समय दुनिया के लोग सीधे तौर पर अत्याचारों और दोहरे मानदंडों को देख रहे हैं।  उन्होंने अपने आज के भाषण में अपने पिछले साल के नौरोज़ के भाषण का हवाला देते हुए, जिसमें उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को अमरीकी प्रतिबंधों से न जोड़ने की बात कही थी, कहा कि सौभाग्यवश देश की नई नीति दर्शाती है कि अमरीकी प्रतिबंधों के बाक़ी रहते प्रगति की जा सकती है, विदेश से व्यापार को बढाया जा सकता है, क्षेत्रीय देशों से समझौते किये जा सकते हैं और तेल तथा अन्य क्षेत्रों में उपलब्धियां अर्जित की जा सकती हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयुतल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने यह भी कहा कि हम यह बिल्कुल नहीं कहते कि प्रतिबंधों को हटवाने के प्रयास न किये जाएं।  आप का कहना था कि वे लोग जो इस समय इस बारे में प्रयास कर रहे हैं वे अपने प्रयासों को जारी रखें।

आपने कहा कि हमे देश का संचालन इस प्रकार से करना चाहिए कि प्रतिबंध हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकें।  वरिष्ठ नेता कहा कि यही वजह है कि इस साल भी हम अपने उसी अनुरोध को दोहरा रहे हैं कि देश की अर्थव्यवस्था को प्रतिबंधों से न जोड़ा जाए।

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