मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है वही होता है जो मंज़ूरे खुदा होता है, इस्लामी क्रांति के दुश्मनों को क़दम-क़दम पर मिलती हार
इस्लामी क्रांति के संरक्षक बल आईआरजीसी के डिप्टी कमांडर-इन-चीफ़ ने कहा है कि इस्लामी क्रांति पूरी शान और मज़बूती के साथ आगे बढ़ रही है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, आईआरजीसी के डिप्टी कमांडर-इन-चीफ़ ब्रिगेडियर जनरल अली फ़दवी ने अपने एक बयान में कहा है कि दुश्मनों द्वारा क़दम-क़दम पर डाली जाने वाली सभी बधाओं को अपने पैरों तले रौंदते हुए इस्लामी क्रांति निरंतर विकसित हो रही है और तेज़ी से आगे बढ़ रही है। ईरान की इस्लामी क्रांति 11 फ़रवरी वर्ष 1979 में स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में सफल हुई थी। जिसके बाद से आज तक इस्लामी क्रांति की रौशनी दुनिया के कोने-कोने में पहुंच रही है। इस क्रांति ने राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास सहित ईरानी समाज के विभिन्न क्षेत्रों में मूलभूत परिवर्तन किए हैं। साथ ही दुनिया के वे देश जो साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ नहीं उठा पाते थे उन्हें इस्लामी क्रांति ने ऐसा हौसला दिया है कि आज छोटे से छोटा देश भी ज़ुल्म के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ उठाने से संकोच नहीं करता है।

समाचार एजेंसी इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार, आईआरजीसी के डिप्टी कमांडर-इन-चीफ़ ब्रिगेडियर जनरल अली फ़दवी ने अपने बयान में कहा है कि इस्लामी क्रांति, एक ऐसी सरकार है की जिसकी जड़ें 2,500 साल पुरानी हैं, इसे ऐसे ध्वस्त कर दिया गया था कि जैसे यह सरकार कभी थी ही नहीं, लेकिन जब ईरान की ज़मीन पर फिर से इस्लामी शासन का सूर्योदय हुआ तो इस्लामी क्रांति के लिए शत्रुता भी शुरू हो गई और आठ वर्षों में जब इराक़ के बासी शासन ने ईरान पर हमला किया था तो उस समय उसका साथ देने के लिए दुनिया भर के 87 देश एकत्रित हो गए थे, जिससे पता चलता है कि उनकी दुश्मनी ईरान से नहीं थी बल्कि इस्लामी क्रांति से थी। जनरल फ़दवी ने कहा कि अल्लाह ने वादा किया है कि उसपर विश्वास रखने वाले हमेशा शैतान का साथ देने वालों पर विजयी होंगे। उन्होंने ने कहा कि यही कारण है कि 43 वर्ष का लंबा समय इस्लामी क्रांति की सफलता को बीत रहा है और दुश्मनों के सभी षड्यंत्रों के बावजूद आज भी इस्लामी क्रांति गौरवपूर्ण तरीक़े से आगे बढ़ रही है। (RZ)
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