दुश्मनों से डटकर मुक़ाबला करने में ही जीत है, वरिष्ठ नेता
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ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने न्यायपालिका प्रमुख और अधिकारियों के साथ मुलाक़ात में कहा है कि दुश्मनों के मुक़ाबले में डट जाने का नतीजा, सफलता और प्रगति है।
(last modified 2023-11-29T09:15:15+00:00 )
Jun २८, २०२२ १६:५८ Asia/Kolkata
  • दुश्मनों से डटकर मुक़ाबला करने में ही जीत है, वरिष्ठ नेता

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने न्यायपालिका प्रमुख और अधिकारियों के साथ मुलाक़ात में कहा है कि दुश्मनों के मुक़ाबले में डट जाने का नतीजा, सफलता और प्रगति है।

इस मुलाक़ात में उन्होंने आगे कहाः 1360 शम्सी में बड़े और कड़वे घटनाक्रमों में इस्लामी गणतंत्र ईरान के प्रतिरोध के नतीजे में आश्चर्यजनक गौरव और सफलता की प्राप्ति का कारण दुश्मनों से नहीं डरना और डट जाना था और यही ईश्वरीय परंपरा हर ज़माने में लागू हो सकती है, क्योंकि 1401 का ख़ुदा वही 1360 का ख़ुदा है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने क़ुरान का हवाला देते हुए कहाः क़ुराने मजीद ईश्वरीय परंपराओं से संबंधित विषयों से भरा हुआ है, जिसका ख़ुलासा यह है कि अगर समाज दुश्मन के मुक़ाबले में डट जाए, ईश्वर पर भरोसा करे और अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करे, तो नतीजे में कामयाबी और सफलता हासिल होती है, लेकिन अगर उसमें मतभेद उत्पन्न हो जाएं, लोग आरामपंद बन जाएं, तो नतीजे में पराजय हासिल होती है।

आयतुल्लाह ख़ामेनई का कहना था कि दुश्मन कभी-कभी आंतरिक कमज़ोरियों के कारण कुछ ज़्यादा ही ख़ुश हो जाता है। 1360 से लेकर पिछले चार दशकों के दौरान, दुश्मन कुछ जगहों पर काफ़ी ख़ुश और उम्मीदवार हो गया था और उसे लगता था कि अब क्रांति की बिसात सिमटने वाली है। लेकिन यह उम्मीद हमेशा ही नाउम्मीदी में बदी, लेकिन उनकी समस्या यह है कि वे इस निराशा का कारण नहीं समझते हैं। msm

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