Dec २१, २०२२ १४:०९ Asia/Kolkata
  • ईरान में दंगों से निराश यूरोपीय देशों ने फिर से परमाणु वार्ता और परमाणु समझौते के महत्व पर दिया बल

मंगलवार को जॉर्डन की राजधानी अम्मान में बग़दाद कांफ़्रेंस-2 के इतर यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल के साथ मुलाक़ात में ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने 2015 परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से वार्ता की ताज़ा स्थिति का जायज़ा लिया।

इस बैठक में ईरान के विदेश मंत्री ने 2015 के परमाणु समझौते के अन्य पक्षों से रचनात्मक और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और बहुपक्षीय समझौते को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से लंबे समय से रुकी हुई वार्ता को अंतिम रूप देने के लिए आवश्यक राजनीतिक निर्णय लेने का आह्वान किया।

उन्होंने वियना वार्ता को अंतिम रूप देने के लिए ईरान की तत्परता जताई, जो महीनों के कठिन और गहन प्रयासों और प्रस्ताव पैकेजों पर आधारित थी। उन्होंने समझौते में शामिल अन्य पक्षों से राजनीतिकरण से बचने और एक अच्छे समझौते तक पहुंचने के लिए आवश्यक राजनीतिक निर्णय लेने का आह्वान किया।

इस मुलाक़ात में यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने हालिया महीनों में ईरान को लेकर यूरोपीय संघ के रूख़ का स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि परमाणु समझौता और परमाणु वार्ता दूसरे सभी मामलों से अलग है और यह संघ परमाणु वार्ता को परिणाम तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। बोरेल ने इस संबंध में एक ट्वीट में लिखाः हमने सहमति जताई कि संपर्क बनाए रखें और परमाणु समझौते को वियना वार्ता के आधार पर बहाल करें।

ऐसा लगता है कि ईरान में दंगों के शांत होने से ब्रसल्स ने दंगों और अशांति से जो उम्मीद लगा रखी थी, उससे उसे निराशा हासिल हुई है, जिसकी वजह से परमाणु समणौते की बहाली को लेकर यूरोपीय संघ के रुख़ में स्पष्ट बदलाव हुआ है।

यह वही यूरोपीय संघ है, जो कुछ दिन पहले तक ईरान में दंगों और दंगाईयों का समर्थन कर रहा था और देश में शांति की स्थापना के लिए तेहरान द्वारा किए जा रहे प्रयासों की आलोचना कर रहा था। 12 दिसम्बर को यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद, एक बयान भी जारी किया गया था, जिसमें ईरान से अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का पालन करने की मांग की गई थी। इसके अलावा, यूरोपीय परिषद ने दंगाईयों की गिरफ़्तारी को रोके जाने पर बल दिया था।

अमरीका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने ईरान में अशांति के बाद से ईरान के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया था और व्यापक दुष्प्रचार किया था। यहां तक कि दंगाईयों का समर्थन करते हुए परमाणु वार्ता को महत्वहीन बताते हुए दरकिनार कर दिया था। लेकिन अब यही यूरोप है, जिसे अपनी ग़लती का एहसास हो गया है, जिसके बाद उसे फिर से परमाणु समझौते का महत्व समझ में आ रहा है।

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