पत्रकार की सबसे बड़ी विशेषता मौत से न डरना हैः पैमान जिबिल्ली
(last modified Tue, 28 Feb 2023 08:55:34 GMT )
Feb २८, २०२३ १४:२५ Asia/Kolkata

तेहरान में सोमवार को मीडिया के शहीदों की याद में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।

आईआरआईबी के इन्टरनैश्नल काफ्रेंस सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम में ईरान, इराक़, यमन, सीरिया, अफ़ग़ानिस्तान, लेबनान और फ़िलिस्तीन के शहीद मीडिया कर्मियों के परिजनों ने भी भाग लिया।

वर्तमान समय में प्रतिरोधक गुटों को पश्चिमी एशिया में बहुत प्रभावी गुटों की दृष्टि से देखा जा रहा है।  यह प्रतिरोधक गुट, अपनी सक्रियता वाले देशों में सैन्य क्षेत्रों के अतिरिक्त सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में भी भागीदारी करते हैं।  यह गुट आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष और अवैध ज़ायोनी शासन के अत्याचारों के मुक़ाबले में सबसे आगे रहते हैं।  यह प्रतिरोधी गुट वर्चस्ववादियों के षडयंत्रों को सार्वजनिक करते हुए अपनी ज़िम्मेदारियों को उचित ढंग से निभा रहे हैं। 

पिछले एक दशक के दौरान जब पश्चिमी एशिया में आतंकी गुट अपनी हिंसक एवं आतंकी कार्यवाहियों में लिप्त थे उस समय इन प्रतिरोधी गुटों की ज़िम्मेदारी बहुत बढ़ चुकी थी।  पश्चिमी एशिया में सक्रिय आतंकी गुटों को अरब शासकों, पश्चिमी शक्तियों और अवैध ज़ायोनी शासन का खुला समर्थन हासिल था जो आज भी बाक़ी है।  यह सारे के सारे आतंकी गुट पूरी तरह से प्रतिरोध गुटों के मुक़ाबले में थे।  वास्तवव में प्रतिरोधक संचार माध्यमों ने इस एक दशक के दौरान इन विध्वंस गुटों की वास्तविकता और उनके षडयंत्रों को लोगों के सामने खोल कर रख दिया। 

इस प्रकार से एक तरह से आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में प्रतिरोधक संचार माध्यम ने  प्रतिरोधक गुटों के साथ योगदान किया।  इन्होंने जहां पर शत्रु के षडयंत्रों से पर्दा उठाया वहीं पर उसके नर्म युद्ध का भी डटकर मुक़ाबला किया।  दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि प्रतिरोधी संचार माध्यम ने नर्म युद्ध के मुक़ाबले में भी उनको मुंहतोड़ जवाब दिया।

इसी संदर्भ में ईरान के रेडियो और टेलिविज़न केन्द्र के प्रमुख पैमान जिबिल्ली ने कहा कि नर्म युद्ध में शत्रु कभी भी हथियारों का प्रयोग नहीं करता है।  उसमे वह विचारों और दृष्टिकोणों को बदलने के प्रयास करता है।  वह वास्तविकता को बदलते हुए हमें गुमराह करता है।  उन्होंने कहा कि प्रतिरोधक मीडिया के शहीदों ने दोनो प्रकार के युद्धों में शत्रु का डटकर मुक़ाबला किया।  यहां पर एक ध्यानयोग्य विषय यह भी है कि अधिकांश संचार माध्यम, बड़ी शक्तियों के समर्थन के कारण शांतिपूर्ण एवं अच्छे माहौल में अपना काम करते हैं जबकि प्रतिरोधक मीडिया हमेशा ही चुनौतियों और ख़तरों से भरे वातावरण में काम करता है। 

एसे में उनकी जान के लिए हमेशा ही ख़तरा बना रहता है।  दुश्मनों की हमेशा उनपर नज़र रहती है और वे हमेशा की उनपर घात लगाकर हमला करने की कोशिश में रहता है।  इसका कारण यह है कि उसको पता है कि वे वास्तविकताओं को उजागर करने के प्रयास करते हैं।  इसी संदर्भ में पैमान जिबिल्ली ने कहा कि आईआरआईबी की विदेशी सेवा के संचार माध्यमों ने इस मार्ग में 10 से अधिक शहीद दिये है।  उनका कहना था कि पत्रकार की सबसे बड़ी विशेषता, मौत से न डरना होती है।

हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए

हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए

हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब कीजिए!

ट्वीटर पर हमें फ़ालो कीजिए 

फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक करें