Mar ०१, २०२३ १९:३२ Asia/Kolkata
  • अमेरिकी-पश्चिमी मीडिया द्वारा ईरान के ख़िलाफ़ छेड़ी गई जंग का क्यों हिस्सा बन रही है भारतीय मीडिया? झूठ को सच और सच को झूठ बनाना सबके लिए है हानिकारक!

भारत में आए दिन मिड डे मील खाकर बीमार होने वाले स्कूली बच्चों की ख़बरें सामने आती रहती है, लेकिन कभी भी कोई इन ख़बरों को इस तरह पेश नहीं करता है कि बच्चों को स्कूल जाने से रोकने के लिए मिड डे मील की गुणवत्ता को ख़राब किया गया था। लेकिन अगर ईरान में इस तरह की कोई छोटी सी भी घटना घटती है तो पश्चिमी मीडिया उसे तिल का ताड़ बनाकर पेश करता है।

इस्लामी गणराज्य ईरान के साथ अमेरिकी और पश्चिमी मीडिया की दुश्मनी के बारे में तो सब जानते हैं। यही कारण है कि ईरान में छोटी सी छोटी भी कोई घटना होती है तो अमेरिकी-पश्चिमी मीडिया उसको ऐसा पेश करने की कोशिश करती है कि जैसे ईरान ने परमाणु बम धमाका कर दिया हो। लेकिन यहां एक बात जो समझ में नहीं आती है वह यह है कि भारतीय मीडिया भी बिना किसी सबूत और जांच के उन झूठी ख़बरों को अपने समाचारपत्रों और टीवी चैनलों का हिस्सा बना लेती है। हाल ही में ईरान में होने वाले दंगों के बारे में भी अमेरिकी-पश्चिमी मीडिया द्वारा ईरान के ख़िलाफ़ किए जाने वाले व्यापक स्तर के दुष्प्रचारों के दौरान भी भारतीय मीडिया का यही रवैया देखने को मिला था। अब जब ईरान के एक स्कूल में मिड डे मील खाकर कुछ बच्चे बीमार पड़ गए तब भी अमेरिकी-पश्चिमी मीडिया ने ईरान के ख़िलाफ़ तुरंत मोर्चा खोल दिया और लगातार झूठी ख़बरों का सहारा लेकर विश्व जनमत को गुमराह करने का काम किया जा रहा है। इस घटना को वे इस तरह पेश कर रहे हैं कि जैसे बच्चों को जानबूझकर इस तरह का खाना दिया गया है और वे उसे खाकर बीमार पड़ गए हैं, इसकी वजह यह बताई जा रही है कि क्योंकि देश की सरकार यह नहीं चाहती हैं कि बच्चे स्कूल जाएं इसलिए ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है।

सोचने वाली बात है कि जिस देश में बच्चों की शिक्षा पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाता हो। जिस देश की साक्षरता क्षेत्र के लगभग सभी देशों से सबसे ज़्यादा है। उस देश पर ऐसे आरोप लगाया जाना कितना सही है। ईरान में साक्षरता की उच्च दर है क्षेत्रीय मानकों के अनुसार और विकास की तुलनीय दरों पर कई अन्य देशों की तुलना में ईरान एक उच्च शिक्षित आबादी वाला देश है। विदेशों की सर्वेक्षण एजेंसियों द्वारा जारी की गई रिपोर्टों के मुताबिक़ भी ईरान में सस्ती शिक्षा, सबसे सस्ता अध्ययन, सबसे अच्छी उच्च शिक्षा के लिए ऑनलाइन प्रवेश, सबसे सस्ते पाठ्यक्रमों में और विदेशों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए ईरान सबसे अच्छा और सस्ता देश है। उस देश पर इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं कि यहां बच्चों को स्कूल जाने से रोकने के लिए मिड डे मील में ज़हर दिया जा रहा है। जबकि यहां यह बताना भी ज़रूरी है कि जब दुनिया के बहुत सारे देश मिड डे मील के बारे में सोचते और जानते भी नहीं थे तब भी ईरान में स्कूली बच्चों के लिए यह सुविधा उपलब्ध थी। आज भी ईरान में न केवल स्कूली बच्चों बल्कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भी खाना लगभग फ्री ही दिया जाता है। यह केवल और केवल इसलिए कि कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित न रहे। यही कारण है कि दुनिया में सबसे शिक्षित आबादी वाले देशों में ईरान का नाम अग्रणी सूची में रहता है।

ईरान के पुलिस डिपार्टमेंट के चीफ़ अहमद रज़ा रादान

इस बीच ईरान में मिड डे मील की वजह से बच्चों के बीमार पड़ने की घटना ने पूरे देश को दुखी किया है। वहीं इस बहुत तेज़ी से जांच भी की जा रही है। ईरान के पुलिस डिपार्टमेंट के चीफ़ अहमद रज़ा रादान ने भी कहा है कि स्कूली बच्चियों को ज़हर दिए जाने के मामले में हमें अस्ली ज़िम्मेदार की तलाश है और यह जांच बहुत जल्द पूरी कर ली जाएगी। जनरल रादान ने कहा कि इस सिलसिले में ठोस क़दम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इंटेलीजेन्स विभाग और अन्य संस्थाएं भी इस मसले की जांच कर रही हैं, हमें बहुत जल्द अच्छा नतीजा मिलने की उम्मीद है। जनरल रादान से सवाल किया गया कि यह घटना जान बूझ कर अंजाम दी गई है या ग़लती से हुई है तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हमारी पहली तरजीह इस घटना के अस्ली ज़िम्मेदार को तलाश करने की है उसके बाद ही यह पता चलेगा कि खाने में ज़हर मिलाने का काम जान बूझ कर किया गया या ग़लती से हो गया। कुल मिलाकर जांच युद्धस्तर पर जारी है और दोषी भी जल्द ही गिरफ़्तार कर लिए जाएंगे। वहीं मीडिया की ज़िम्मेदारी बनती है कि सच लोगों तक पहुंचाएं न कि झूठ को इतना फैलाएं कि लोगों को सच ही झूठ लगने लगे और झूठ सच यह सबके लिए हानिकारक है। (रविश ज़ैदी R.Z)

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