क़तर के विदेश उपमंत्री की ईरान यात्रा
(last modified Tue, 28 Mar 2023 07:41:39 GMT )
Mar २८, २०२३ १३:११ Asia/Kolkata

क़तर के विदेश उपमंत्री ने ईरान की यात्रा के दौरान इस देश के विदेशमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा के सचिव से अलग-अलग भेंटवार्ताएं कीं।

ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली शमख़ानी ने क़तर के विदेश उपमंत्री मुहम्मद बिन अब्दुल अज़ीज़ अलख़लीफ़ी के साथ मुलाक़ात की।  इस मुलाक़ात में उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों के साथ डिप्लोमैसी के अन्तर्गत हर क्षेत्र में सहयोग एवं विस्तार, ईरान की प्राथमिकता में शामिल है।  उनका कहना था कि इस बारे में हम किसी भी प्रकार की किसी सीमा के पक्षधर नहीं हैं। 

इस मुलाक़ात में क़तर के विदेश उपमंत्री मुहम्मद बिन अब्दुल अज़ीज़ अलख़लीफ़ी ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान के साथ संबन्धों को मज़बूत बनाने को हमारी विदेश नीति में प्राथमिकता हासिल है।  उन्होंने कहा कि व्यापारिक सहयोग में तेज़ी लाकर आधारभूत परियोजनाओं को लागू करने के लिए दोनो देश संयुक्त रूप से प्रयास तेज़ किया जाना चाहिए। 

क़तर के विदेश उपमंत्री की तेहरान यात्रा एसी स्थति में हुई है कि जब इस्लामी गणतंत्र ईरान ने पड़ोसी देशों के साथ सहयोग एवं सहकारिता की नीति को आगे बढ़ाते हुए पड़ोसियों के साथ डिप्लोमैटिक संबन्धों को विस्तृत किया है।  इस संदर्भ में ईरान और सऊदी अरब के बीच होने वाले समझौते का उल्लेख किया जा सकता है।  क़तर सहित दुनिया के कई देशों ने इस समझौते का स्वागत किया है जिनका मानना है कि यह क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता के प्रभावी सिद्ध होगा। 

दो महत्वपूर्ण इस्लामी देश होने के नाते ईरान और क़तर विशेष महत्व के स्वामी हैं।  क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर दोनो देशों के समान दृष्टिकोण पाए जाते हैं।  जब सऊदी अरब, संयुक्त अरब इमारात, बहरैन और मिस्र ने क़तर के विरुद्ध प्रतिबंध लगाए थे तो एसे में ईरान ने क़तर का साथ देते हुए प्रतिबंधों को निष्क्रय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।  हालांकि ईरान और क़तर के बीच मधुर संबन्धों के बावजूद उनके मध्य व्यापारिक लेनदेन वैसा नहीं है जैसा होना चाहिए था।  तेहरान और दोहा के बीच 200 मिलयन डालर से लेकर 250 मिलयन डालत तक का व्यापार होता है।  दोनो देशों में पाई जाने वाली संभावनाओं को देखते हुए यह बहुत कम है। 

ईरान और क़तर के बीच व्यापारिक आदान-प्रदान के मार्ग की कई बाधाए हैं जिनमें से करेंसी, क़तर के लिए मंहगा परिवहन और ईरानी व्यापारियों के आवास की समस्या जैसी बातों का उल्लेख किया जा सकता है।  हालांकि ईरान की 13वीं सरकार ने पड़ोसी देशों के साथ संबन्धों में विस्तार की नीति को अपनी प्राथमिकता में रखा है।  इसी संदर्भ मेंं हालिया कुछ महीनों के दौरान ईरान और क़तर के बीच कूटनीतिक, आर्थक एवं व्यापारिक शिषटमण्डलों का आना जाना देखा जा रहा है। 

कुछ महीने पहले ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने क़तर की यात्रा की थी जिसमें सहयोग के 14 समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए थे।  इससे पता चलता है कि दोनो ही देश परस्पर संबन्ध विस्तार के इच्छुक हैं।  शायद यही कारण है कि क़तर के विदेश उपमंत्री ने अपनी तेहरान यात्रा के दौरान ईरान के साथ संबन्धों में विस्तार को क़तर की विदेश नीति में सर्वोपरि बताया है।

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