Apr ३०, २०२३ १४:४० Asia/Kolkata

30 अप्रैल 2023 को ईरान में फार्स की खाड़ी का राष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है।

सन 1622 में दक्षिणी ईरान के जल क्षेत्र से पुर्तगाल के उपनिवेशवादियों की वापसी हुई थी।  इसीलिए 30 अप्रैल को, फार्स की खाड़ी के राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

फ़ार्स की खाड़ी का क्षेत्रफल 237000 वर्ग किलोमीटर है।  यह ओमान सागर और ईरान तथा अरब प्रायद्वीप के बीच में स्थित है।  फार्स की खाड़ी, विश्व की तीसरी सबसे बड़ी खाड़ी है।  यहां पर प्राकृतिक गैस और तेल के बहुत बड़े-बड़े भण्डार हैं जिसके कारण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इसका रणनीतिक महत्व है। 

इसका प्राचीन नाम ख़लीजे फार्स या दरियाए पार्स रहा है।  हालिया कुछ वर्षों के दौरान फार्स की खाड़ी के कुछ तटवर्ती अरब देशों ने वर्चस्व वादियों के उकसावे मेंं आकर फार्स की खाड़ी का नाम बदलने के प्रयास शुरू कर दिये।  हालांकि इसका प्राचीन नाम फ़ार्स की खाड़ी ही है। 

14 मई सन 1999 में  संयुक्त राष्ट्रसंघ के सचिवालय के आदेशानुसार इस्लामी गणतंत्र ईरान तथा अरब प्रायद्वीप के बीच में स्थित जलमार्ग का नाम "फार्स की खाड़ी" है।  राष्ट्रसंघ ने यह भी आदेश दिया है कि उसके आधिकारिक कामों में इस क्षेत्र को फार्स की खाड़ी के नाम से ही प्रयोग किया जाए।  ईरान की सांस्कृतिक पहचान को जब लक्ष्य बनाया जाने लगा तो इस्लामी गणतंत्र ईरान की क्रांति की सर्वोच्च परिषद ने हुरमुज़ जलडमरू मध्य से पुर्तगालियों के वापसी के दिन को, फार्स की खाड़ी का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया। 

यह क्षेत्र प्राचीनकाल से ही बड़ी शक्तियों के टकराव का केन्द्र रहा है।सन 1506 ईसवी में पुर्तगाल के नाविक नेतृत्व में पुर्तगालियों ने फ़ार्स की खाड़ी में क़दम रखा था।  सन 1622 में ईरान की सेना ने इमाम क़ुली ख़ान के नेतृत्व में पुर्तगालियों को यहां से बाहर निकाल दिया था।  इसके बाद ब्रिटिश उपनिवेश वादियों ने एक काल खण्ड तक फ़ार्स की खाड़ी पर नज़र लगाए रखी जो बाद में यहां से वापस जाने पर विवश हुए।  ब्रिटेन ने ईरान के दक्षिण में बूशहर पर चार बार हमले किये थे लेकिन चारों बार उनको ईरानियों द्वारा विफल बना दिया गया। 

फ़ार्स की खाड़ी का क्षेत्र आज भी पूरी दुनिया में विशेष स्ट्रैटेजिक स्थति का स्वामी है।  ईरान के लिए इसका विशेष महत्व है क्योंकि  ईरान का लगभग सारा ही तेल, फ़ार्स की खाड़ी और हुरमुज़ जल डमरू मध्य से निर्यात किया जाता है।  इसी क्षेत्र से ईरान का लगभग 80 प्रतिशत व्यापार भी होता है।  यही कारण है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान का मानना है कि इस क्षेत्र को पड़ोसियों और सभी के लिए शांति का क्षेत्र होना चाहिए।  एसे में फार्स की खाड़ी के निकटवर्ती देशों को यहां पर शांति बनाए रखने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।

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