पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स की नौसेना के अभ्यास का संदेश समझिए
ईरान की पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स आईआरजीसी की नौसेना ने बुधवार को एरोस्पेस फ़ोर्स के सपोर्ट से तीन द्वीपों अबू मूसा, तुंबे कूचक और तुंबे बुज़ुर्ग के इलाक़े में अभ्यास किया। इसका सामरिक, भौगोलिक और राजनैतिक दृष्टि से बहुत अहम पैग़ाम है।
सामरिक दृष्टि से इस अभ्यास का महत्व इसके इस्तेमाल होने वाले रक्षा उपकरणों की वजह से बहुत ज़्यादा है। आईआरजीसी की नौसेना ने इस समुद्री अभ्यास में मिसाइसों से लैस तेज़ रफ़तार नौकाओं, आर्टिफ़िशियल इंटैलीजेंस से लैस ड्रोन विमानों और ड्रोन नौकाओं और सटीक निशाना लगाने वाले बैलेस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया। आईआरजीसी की नौसेना की इमाम मुहम्मद बाक़िर छावनी के आप्रेशनल कमांड के चीफ़ सरदार अली उज़माई ने कहा कि इस अभ्यास की बहुत ख़ास बात एआई से लैस ड्रोन विमानों और ड्रोन नौकाओं का इस्तेमाल है।
क़तर के अलजज़ीरा टीवी चैनल ने अपनी रिपोर्ट में रेखांकित किया कि इस अभ्यास में पहली बार नए प्रकार की युद्धक नौका का प्रयोग किया गया जो 600 किलोमीटर की रेंज के मिसाइलों, 120 किलोमीटर की रेंज वाले मिसाइलों से लैस हैं।
इस सैन्य अभ्यास का सामरिक पहलू से यह भी महत्व है कि इसमें अन्य भागों से तीनों द्वीपों में बहुत तेज़ गति से सैन्य बल को स्थानान्तरित किया गया। हेलीकाप्टरों और विमानों के माध्यम से सैन्य बल 15 मिनट से कम समय में इन द्वीपों में पहुंच गया।
इस अभ्यास का भौगोलिक महत्व इसलिए है कि तीनों द्वीपों पर ईरान के मालेकाना हक़ पर इसमें ज़ोर दिया गया और साबित किया गया कि ईरान की फ़ोर्सेज़ देश की धरती के एक एक इंच भाग की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हालिया दिनों फ़ार्स खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों और रूस की छठीं बैठक के बाद जारी बयान में तीनों ईरानी द्वीपों के बारे में बेबुनियाद दावे किए गए थे जिसके बाद रूस के राजदूत को तेहरान में विदेश मंत्रालय में तलब करके ईरान की आपत्ति से भी अवगत कराया गया था। इससे पहले चीन और फ़ार्स खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों की बैठक में इसी प्रकार के दावे किए गए थे तो उस समय ईरान ने चीन के राजदूत को तलब करके अपनी भारी आपत्ति दर्ज कराई थी।
आईआरजीसी की नौसेना के प्रमुख सरदार अली रज़ा तंगसीरी ने अभ्यास के उद्घाटन समारोह में कहा कि फ़ार्स खाड़ी के यह तीनों द्वीप ईरानी राष्ट्र का गौरव हैं और इस साहसी राष्ट्र के सपूतों की हैसियत से हमारा फ़र्ज़ है कि अपनी धरती की रक्षा करें।
इस सैन्य अभ्यास का महत्व अमरीका के घिसे पिटे दावे फिर दोहराए जाने की पहलू से भी। पिछले सप्ताह अमरीकी सेना की सेंट्रल कमांड ने फ़ार्स खाड़ी के इलाक़े में विशेष सैनिक दस्ते भेजने एफ़35 और एफ़16 युद्धक विमान तैनात करने की बात कही थी। इसलिए आईआरजीसी का सैन्य अभ्यास अमरीका की धमकियों के सामने ईरान की भरपूरी तैयारी के एलान के अर्थ में भी है।
आईआरजीसी के कमांडर इनचीफ़ सरदार जनरल हुसैन सलामी ने सैन्य अभ्यास की शुरुआत में ईरान के इस स्टैंड को दोहराया कि ईरान और उसके पड़ोसी देश आपस में मिलकर इलाक़े के जलक्षेत्रों की रक्षा करने में सक्षम हैं, विदेशियों की उपस्थिति की यहां कोई ज़रूरत नहीं है।
आईआरजीसी के सैन्य अभ्यास की मीडिया में बड़ी चर्चा रही। विदेशी मीडिया का ज़ोर ज़्यादातर इस पहलू पर था कि इस सैन्य अभ्यास से ईरान तीनों द्वीपों पर अपने मालेकाना अधिकार पर ज़ोर देना चाहता है और अमरीका की हालिया धमकियों का जवाब भी दे रहा है बीबीसी ने एक रिपोर्ट में एलान किया कि ईरान ने इस सैन्य से अमरीका को बता दिया है कि वो क्षेत्रीय ताक़त है और फ़ार्स खाड़ी और हुरमुज़ स्ट्रेट पर उसका पूरा नियंत्रण है।
हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए
हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए