ईरान पर आरोप मढ़ने की अमरीका की कोशिश
पूर्वोत्तरी जार्डन में अमरीकी सैनिक छावनी पर रविवार की रात होने वाले हमले में कम से कम तीन अमरीकी सैनिक मारे गए और दर्जनों घायल हो गए। इसके बाद अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने दावा ठोंक दिया कि यह हमला सीरिया और इराक़ में ईरान के समर्थन से काम करने वाले संगठनों ने किया है।
हालिया महीनों में पश्चिमी एशिया में अमरीकी ठिकानों पर बार बार हमले हुए और हर हमले के बाद पश्चिमी अधिकारियों और मीडिया ने हमलों के लिए ईरान को ज़िम्मेदार ठहराने की कोशिश की और यह बात दोहराई कि हमले करने वाले संगठनों का ईरान समर्थन करता है। अलबत्ता ईरान ने हमेशा कहा कि वो रेज़िस्टेंस संगठनों का समर्थन करता है लेकिन यह संगठन अपने फ़ैसले ख़ुद करते हैं, ईरान उन्हें आदेश नहीं देता।
तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन के बाद यह साबित हुआ कि ज़ायोनी शासन का डिटरेंस ख़त्म हो चुका है। इसके बाद अमरीकी और ज़ायोनी गलियारों ने कोशिश की कि इस बड़ी शिकस्त की भरपाई के लिए यह प्रोपैगंडा कर रहे हैं कि इस्लामी गणराज्य ईरान की तरफ़ से रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ की सुरक्षा व इंटेलीजेंस मदद की वजह से यह आप्रेशन हुआ। इस्राईल के साथ मिलकर अमरीका ने फ़िलिस्तीनियों पर हमले तेज़ किए तो जवाब में इराक़ और सीरिया में अमरीकी ठिकानों पर रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ के हमले भी तेज़ हो गए हैं।
इराक़ और सीरिया में मौजूद रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ और यमनी फ़ोर्सेज़ ने अमरीका और ज़ायोनी शासन को बार बार चेतावनी दी है कि वे फ़िलिस्तीनियों पर हमले बंद करें।
ईरान भी शुरू से कहता आ रहा है कि अगर फ़िलिस्तीनियों पर अमरीका के समर्थन से ज़ायोनी शासन के हमले जारी रहते हैं तो इलाक़े में जंग और झड़पों का दायरा बढ़ जाएगा।
ईरान का यह भी मानना है कि सीरिया और इराक़ में इराक़ी फ़ोर्सेज़ के ठिकानों पर अमरीकी सैनिकों के हमलों की कई घटनाओं की वजह से अशांति और अस्थिरता बढ़ी है।
पश्चिमी एशिया में अमरीकी ठिकाने पर रविवार का हमला हालिया समय का बहुत बड़ा हमला था जो ग़ज़ा में जारी ज़ायोनी शासन के अपराधों का अमरीका की ओर से समर्थन किए जाने के नतीजे में अंजाम पाया।
इस समय इस हमले में ईरान के ख़िलाफ़ लगाए जाने वाले आरोप भी दरअस्ल ग़ज़ा में ज़ायोनी शासन के हाथों जारी नस्लीय सफ़ाए से जनमत का ध्यान हटाने की कोशिश है।
सच्चाई यह है कि इस्लामी गणराज्य ईरान ने अतिग्रहाकारियों के ख़िलाफ़ हमेशा आवाज़ उठाई है और पीड़ित राष्ट्रों की मदद की है। मगर इसका यह मतलब हरगिज़ नहीं है कि ईरान रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ के फ़ैसलों में किसी तरह का हस्तक्षेप करता है।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने इस बारे में कहा कि इलाक़े में रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ अपने कार्यक्रमों और गतिविधियों के लिए ईरान से आदेश नहीं लेतीं और ईरान उनके फ़ैसलों में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करता। वे फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में अपने फ़ैसले के अनुसार काम कर रही हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि ईरान के ख़िलाफ़ झूठे आरोप बार बार दोहराना भी उन तत्वों की साज़िश है जो इलाक़े में अमरीका को किसी नई झड़प में घसीटने की कोशिश में हैं।
यह तो ज़ाहिर है कि अमरीका और ज़ायोनी शासन की नीतियों और गतिविधियों की वजह से पश्चिमी एशिया के इलाक़े में अशांति बढ़ी है जबकि हालिया महीनों में ग़ज़ा पट्टी में ज़ायोनी शासन के हाथों जारी नस्लीय सफ़ाए के चलते हालात बहुत ख़राब हुए हैं।
हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए
हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए