ईरान के इस्फ़हान नगर के यहूदी इबादतख़ानों पर एक नज़र
इस्फ़हान में यहूदियों के कई उपासना स्थल हैं जिनको synagogue सिनेगॉग कहा जाता है।
पार्सटुडे- ईरान के केन्द्र में स्थित इस्फ़हान नगर सारे ही आसमानी धर्मों के टूरिस्टों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। ईरान के भीतर यहूदियों के उपासनागृहों की उपस्थति, उनकी मरम्मत और उचित देखभाल, इस बात की साक्षी है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, देश के भीतर अल्पसंख्यकों की आज़ादी पर कितना ध्यान देता है।
इस्फ़हान में बसने के बाद यहूदियों को वहां पर अपने लिए उपासनागृह या synagogue बनाने का अवसर उपलब्ध हुआ। यहूदियों के यह उपासनागृह, विभिन्न कालों में मौजूद रहे हैं। वर्तमान समय में क़ाजार काल से संबन्धित उनके यह उपासना स्थल आज भी बाक़ी हैं।
यहूदी इबादतख़ानों की वास्तुकला, लगभग ईसाइयों के गिरजाघरों जैसी है लेकिन उनका एक अंतर यह है कि उनके भीतर किसी भी प्रकार का डेकोरेशन नहीं है। यहूदियों की यह परंपरा है कि वे दीवारों पर इंसानों के चित्र नहीं बनाते।
सजावट के हिसाब से यहूदी उपासना गृहों की इमारतों में मेहराबों पर तो थोड़ी चित्रकारी होती है किंतु वहां पर उन चबूतरों या ऊंचे स्थानों का अभाव है जिन पर बैठकर धार्मिक आयोजन संपन्न किये जाते हैं। इनकी वास्तुकला साधारण और पर्यावरण के अनुकूल तथा टिकाऊ होती है।
इस्फ़हान नगर के सात यहूदी उपासनागृहों को अब तक ईरान की राष्ट्रीय धरोहर की सूचि में शामिल किया जा चुका है।
अमू शाइया सिनेगॉग
इस्फ़हान में जो सबसे प्राचीन सिनेगॉग है उसका नाम "अमू शाइया" है। यह वहां के जूईबारे क्षेत्र में स्थित है। यहां से सबसे निकट मुसलमानों के मुहल्ले के पास "मेरानीसियान" सिनेगॉग मौजूद है।
इस इमारत के हर गुंबददार मेहराब के ऊपरी हिस्से पर रोशनदान है जिसके माध्यम से उपासना स्थल के भीतर रौशनी आती है। इस सिनेगॉग का बाहरी भाग बहुत सादा सा है जबकि उसके आंतरिक भाग को कई तरह से सजाया गया है।
मोला याक़ूब सिनेगॉग
इस्फ़हान के जूएबारे मुहल्ले के कमाल रोड पर वहां के एक कवि कमालुद्दीन इस्माईल के मक़बरे के निकट सौ साल पुराना यह यहूदी उपासना स्थल है।
इस मक़बरे के तहख़ाने में इस्फ़हान में रहने वाले बहुत से प्रमुख यहूदियों की क़ब्रे हैं। यहीं पर इसके बनवाने वाले मौला याक़ूब की भी क़ब्र है। इस उपासना स्थल में प्रवेश, इसके दक्षिणी भाग से होता है।
इसके दूसरे भाग में सीढ़ियों का एक रास्ता है जो महिलाओं के लिए बनाई गई है जो इमारत के दक्षिणी छोर से जुड़ी हुई है। ऊपर की ओर एक खिड़की है जो धार्मिक दृषटि से बैतुल मुक़द्दस की ओर खुले रहने के आदेश का पालन कर रही है। जूबियार क्षेत्र में पाए जाने वाले अधिकांश सिनेगॉग की ही भांति इस उपासना स्थल में भी एक केन्द्रीय गुंबद बना हुआ है।
मोलानिसान सिनेगॉग
इस यहूदी उपासनास्थल को बने हुए 87 साल पूरे हो चुके हैं। विदित रूप से बहुत सादा होने के बावजूद यह आज भी इस्फ़हान के सुन्दर सिनेगॉग्स में से एक है। इसका फर्श, गली की सतह से लगभग एक मीटर नीचे हैं। इस इमारत का रास्ता एक छोटे से मार्ग से होकर उपासना स्थल और आंगन की ओर जाता है।
हालांकि यह सिनेगॉग दूसरे सिनेगॉग की तरह ही बना हुआ है किंतु इसकी छत पर किया गया काम अन्य सिनेगॉग से कुछ भिन्न है। इसके भीतर तौरेत के लिए एक स्थान को बहुत ही ख़ूबसूरती से सजाया गया है जो देखने वाले को अपनी ओर आकर्षित करता है।
इस सिनेगॉग के पश्चिमी हिस्से में दो बड़ी खिड़कियां हैं जहां पर अलग-अलग अवसरों पर तौरेत रखी जाती है। इसके पूर्वी भाग में एक अलग जगह को महलाओं से विशेष किया गया है जो उसका पूर्वी हिस्सा है। एक हिसाब से यह उपासनागृह से मिला हुआ है।
शकरा सिनेगॉग
इस यहूदी उपासना स्थल में लगे हुए एक पर्दे पर हेब्रू भाषा में लिखे अंकों से पता चलता है कि इसका निर्माण 198 साल पहले हुआ था। इस इमारत को कुछ इस तरह से बनाया गया है कि इसमें प्रविष्ट होने के बाद कुछ क़दम चलकर एक दालान पड़ेगा जहां अंधेरा रहता है। यह हिस्सा गली की ऊंचाई से तीन सीढ़ी नीचे है। यहां पर पहुंच कर बाहरी हिस्से से संपर्क पूरी तरह से कट जाता है। इसका कारण यह बताया गया है कि इस तरह से सिनेगॉग में आने वाले का संपर्क यहां पर पहुंचकर बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कट जाए ताकि यहां पर आने वाले को एक आध्यात्मिक वातारण के लिए तैयार किया जा सके। इस उपासना गृह में प्रवेश, बैतुल मुक़द्दस वाली पूर्वी दिशा से होता है।
केटर डेविड सिनेगॉग
इस समय इस्फ़हान में स्थित केटर डेविड सिनेगॉग में लगभग 500 साल पहले लिखी गई एक प्राचीन तौरेत मौजूद है। इसको किसी हलाल जानवर की खाल पर लिखा गया है। यहूदियों की परंपरा के अनुसार इस धार्मिक ग्रंथ के कुछ हिस्से को हर दिन पढ़ा जाता है ताकि एक साल में कम से कम एक बार पूरी तौरेत पढ़ी जा सके।
इस्लामी गणराज्य ईरान में रहने वाले अल्पसंख्यकों को पूरी आज़ादी हासिल है। वे लोग बिना किसी रुकावट के अपने धार्मिक कार्यक्रमों को आयोजित कर सकते हैं। हालांकि कुछ यूरोपीय देशों में मुसलमानों को अपनी धार्मिक गतिविधियां करने की अनुमति नहीं है। वहां पर मुसलमान लड़कियां, स्कूलों में हिजाब के साथ नहीं जा सकतीं।
ईरान में रहने वाले यहूदी यहां पर न केवल अपने धार्मिक कार्यक्रमों को करने के लिए स्वतंत्र हैं बल्कि उनको संसद में अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजने का भी अधिकार है। यह वह काम है जो इस्राईल में संभव नहीं है। अवैध ज़ायोनी शासन, बैतुल मुक़द्दस में रहने वाले मुसलमानों को राजनीतिक मामलों में किसी भी भूमिका की की अनुमति नहीं देता है जबकि वहां के मूल निवासी वे ही हैं।
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