Apr २२, २०२४ १८:५४ Asia/Kolkata
  • ईरान की बढ़ती नौसैनिक शक्ति से वर्चस्ववादी शक्तियों में डर
    ईरान की बढ़ती नौसैनिक शक्ति से वर्चस्ववादी शक्तियों में डर

तेहरान अब पश्चिम के वर्चस्ववादी मोर्चे को भारी नुक़सान पहुंचाने की स्थति में आ चुका है।

पार्सटुडे-हालिया महीनों के दौरान बढ़ते क्षेत्रीय तनाव के बीच वह बिंदु जो बहुत स्पष्ट हुआ है वह है विश्व में ईरान के एक नौसैनिक शक्ति के रूप में परिवर्तित होना।  यह वह विषय है जो वर्चस्ववादी शक्तियों को बिल्कुल भी पसंद नहीं है।  उनकी इस सोच के विपरीत, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीका के स्वतंत्र देश इससे लाभ उठाएंगे।

पिछले कुछ महीनों के दौरान पश्चिमी एशिया में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव और तनाव व्याप्त रहा है।  इसी बीच हमास की ओर से अलअक़सा तूफ़ान के सफलतापूर्वक अंजाम दिये जाने के बाद से फ़िलिस्तीन का ग़ज़्ज़ा क्षेत्र, अवैध ज़ायोनी शासन की ओर से आरंभ किये गए युद्ध का रणक्षेत्र बना हुआ है।  यह युद्ध पिछले छह महीनों से लगातार जारी है।  ग़ज़्ज़ा युद्ध में अबतक एक लाख से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और घायल हो चुके हैं।

इस युद्ध के दौरान क्षेत्र में प्रतिरोध के मोर्चे के समर्थक कई गुटों ने अवैध ज़ायोनी शासन के विरुद्ध थका देने वाला सैन्य अभियान आरंभ कर रखा है जिसका उद्देश्य, ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनियों की ओर से किये जाने वाले हमलों के ज़ोर को कम करना रहा है।

इन बातों के बावजूद हालिया दिनों के दौरान इस्लामी गणतंत्र ईरान और अवैध ज़ायोनी शासन के बीच हम बढ़ते तनाव के साक्षी रहे हैं। 

हुआ यह था कि अवैध ज़ायोनी शासन ने सीरिया की राजधानी दमिश्क़ में ईरानी दूतावास के काउंस्लेट पर हमला कर दिया था।  इस हमले में ईरान के कुछ सैन्य सलाहकार शहीद हो गए थे जिनको सीरिया ने आधिकारिक निमंत्रण देकर बुलवाया था।

इस कायवाही के उत्तर में ईरान ने जवाबी कार्यवाही की घोषणा कर दी थी।  ईरान ने "सच्चे वादे" के स्लोगन के साथ जवाबी कार्यवाही करते हुए अवैध ज़ायोनी शासन पर ड्रोन और मिसइलों की बारिश कर दी।

बहुत से टीकाकार ईरान की इस कार्यवाही को दुनिया की सबसे बड़ी ड्रोन कार्यवाही का नाम दे रहे हैं।  यह वह आपरेशन था जिसने इस्राईल को स्ट्रैटेजिक नुक़सान पहुंचाया।  इन्ही घटनाओं के बीच यह बात उभर कर सामने आई कि ईरान, विश्व की एक बड़ी नौसैनिक शक्ति के रूप में परिवर्तित हो रहा है।

इस विषय ने अमरीका और औपनिवेशिक इतिहास रखने वाले देशों के लिए गंभीर चिंता पैदा कर दी है। 

इस संदर्भ में बहुत से राजनीतिक टीकाकार इस बिंदु की ओर संकेत कर रहे हैं कि हालिया वर्षों के दौरान ईरान ने स्ट्रैटेजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हुरमुज़ जलडमरू मध्य पर उल्लेखनीय ढंग से नियंत्रण स्थापित कर लिया है।  ऊर्जा परिवहन की दृष्टि से यह क्षेत्र, विश्व का ऐसा स्थान है जहां से विश्व का 60 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा का परिवहन होता है।

इसी बीच ईरान के एक निकट घटक अंसारुल्ला ने बाबुल मंदब स्ट्रेट पर अपने कंट्रोल को मज़बूत बनाते हुए वहां के समीकरणों को पूरी तरह से अपने हित में बदल दिया है।

बाबुल मंदब स्ट्रैट, इस्राईल और पश्चिमी शक्तियों के लिए विशेष स्ट्रटेजिक महत्व रखता है।  विश्व का 12 प्रतिशत से अधिक कन्टेर व्यापार का यातायात यहीं से होता है।

स्ट्रटेजिक महत्व के स्वामी स्ट्रैट्स पर ईरान और उसके घटकों की मज़बूत पकड़ के दृष्टिगत अमरीका के नेतृत्व में पश्चिम के वर्चस्ववादी मोर्चे के भीतर यह चिंता व्याप्त हो चुकी है कि तेहरान अब उस पोज़ीशन में पहुंच चुका है कि वह पश्चिम के वर्चस्ववादी मोर्चे को भारी नुक़सान पहुंचा सकता है।

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