ईरान के अमल से पश्चिम एशिया के देशों में उत्पन्न हुए एहसास पर एक नज़र
(last modified Thu, 05 Dec 2024 12:10:54 GMT )
Dec ०५, २०२४ १७:४० Asia/Kolkata
  • ईरान के अमल से पश्चिम एशिया के देशों में उत्पन्न हुए एहसास पर एक नज़र
    ईरान के अमल से पश्चिम एशिया के देशों में उत्पन्न हुए एहसास पर एक नज़र

पार्सटुडे- ईरान और इस्राईल के मध्य टकराव से ईरान के पड़ोसी देशों को एक सकारात्मक संदेश यह गया है कि इस टकराव का कारण सैनिक क्षेत्र में ईरान की ताक़त थी।

पार्सटुडे- समाचार पत्र "आरमान" में सैय्यद मोहम्मद हुसैनी ने एक लेख में लिखा है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान ने अपनी घोषित नीति के परिप्रेक्ष्य में हालिया महीनों में प्रयास किया कि ईरान ने प्रतिरोध के मोर्च पर और जो काम पड़ोसी देशों के संबंध में किया उसे अलग- अलग देखा जाना चाहिये।

 

ईरान की प्रतिरक्षा शक्ति का आधार निवारक्ष शक्ति की मज़बूती है और उसका उद्देश्य शांति व सुरक्षा स्थापित करना और अतिग्रहणकारी ज़ायोनी सरकार की विस्तारवादी कार्यवाहियों से मुक़ाबला है।

 

ईरान यह दिखाने का प्रयास कर रहा था कि अमेरिका और इस्राईल के मुक़ाबले में वह REALISTIC LOGIC पर अमल कर रहा है जबकि पड़ोसी देशों के संबंध में वह Idealistic logic पर अमल कर रहा है।

 

सात अक्तूबर 2023 के बाद से प्रतिरोधक मोर्चे और ज़ायोनी सरकार के बीच

लड़ाई आरंभ हो जाने से ईरान और ज़ायोनी सरकार के बीच भी विवाद व टकराव तेज़ हो गया और इस विवाद व टकराव के बहुत से सकारात्मक व नकारात्मक बिन्दु हैं।

 

इसका एक सकारात्मक बिन्दु यह है कि पड़ोसी देश इस बात को समझ गये कि ईरान की प्रतिरक्षा नीति का आधार आत्मरक्षा और निवारक है। ईरान ने "वादये सादिक़ एक" सच्चा वादा एक और "वादये सादिक़ दो" यानी सच्चा वादा दो से यह सिद्ध कर दिया कि ईरान की प्रतिरक्षा शक्ति का आधार आत्मरक्षा और निवारक है और इन कार्यवाहियों से पड़ोसी देशों और क्षेत्र में यह संदेश चला गया कि ईरान की प्रतिरक्षा शक्ति पूरी तरह निवारक है और ईरान जंग में विस्तार नहीं चाहता है मगर राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा में लेशमात्र भी संकोच से काम नहीं लेगा।

 

यह बात क्षेत्रीय और पड़ोसी देशों ने देख लिया और ईरान ने अपने क्रियाकलापों से दर्शा दिया कि इस्लामी गणतंत्र ईरान को ज़ायोनियों ने किस तरह सैनिक धमकी दी थी और ईरान ने किस तरह ज़ायोनियों को करारा और मुंहतोड़ जवाब दिया।

 

ईरान पर ज़ायोनी सरकार ने जो हमला किया उसका अरब देशों विशेषकर सऊदी अरब और मिस्र द्वारा भर्त्सना व निंदा किया जाना और तुर्की का यह कहना, कि ईरान को ज़ायोनी सरकार के हमलों के मुक़ाबले में अपनी ज़मीन की रक्षा करने और जवाब देने का अधिकार है, इस बात की महत्वपूर्ण अलामत है कि पड़ोसी और अरब देशों ने अच्छी तरह समझ लिया कि ईरान की प्रतिरक्षा शक्ति आत्म रक्षा के लिए और निरोधक है और पड़ोसी देशों की इस समझ से ईरान के साथ संबंधों को मज़बूत बनाने और उनमें प्रगति में बहुत मदद मिलेगी।

 

इस आधार पर अमेरिका और ज़ायोनी सरकार से ईरान के टकराव व विवाद से कुछ बातें पड़ोसी देशों के लिए सिद्ध हो गयीं।

  1.  ईरान क्षेत्र के किसी भी देश के ख़िलाफ़ युद्ध आरंभ नहीं करेगा और उसकी प्रतिरक्षा शक्ति का आधार केवल आत्मरक्षा और निरोधक है।
  1.  ईरान स्वेच्छा से क्षेत्र में शांति व सुरक्षा स्थापित करने और इस्लामी जगत के सार्वजनिक हितों के लिए प्रयास करता है। 
  2.  प्रतिरोधक मोर्च पर ईरान की जो सैनिक प्रतिक्रिया है उसमें और पड़ोसियों के साथ ईरान की नीति में किसी प्रकार का विरोधाभास नहीं है बल्कि ईरान और प्रतिरोधक मोर्चे दोनों एक दूसरे की मज़बूती का कारण हैं।  
  3. ईरान हस्तक्षेत्र करने वाली विदेशी शक्तियों के संबंध में REALISTIC LOGIC पर अमल करता है जबकि पड़ोसी देशों के संबंध में Idealistic logic पर अमल करता है।
  4.  शिया मुसलमानों से डराना और ईरानोफ़ोबिया पश्चिमी संचार माध्यमों के अफ़साने हैं और इनकी कोई वास्तविकता नहीं है। MM

 

कीवर्ड्सः ईरान की प्रतिरक्षा शक्ति, ईरान और क्षेत्र के देश, ईरान की नज़र पड़ोसी देशों के साथ, ईरान और इस्राईल, सच्चा वादा ऑप्रेशन