ईरानी यल्दा में प्रकाश महोत्सव + तस्वीरें
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ईरानी यल्दा में प्रकाश महोत्सव
पार्स टुडे– ईरानी यल्दा के अवसर पर प्रकाश महोत्सव, यल्दा की रात के कार्यक्रमों के साथ तेहरान के मिल्लत पार्क में आयोजित किया गया।
ईरानी यल्दा में प्रकाश महोत्सव, यल्दा की रात के विशेष कार्यक्रमों के साथ 25 आज़र 1404 से शुरू हुआ है और 29 आज़र 1404 तक तेहरान के मिल्लत पार्क में जारी रहा। पार्स टुडे की इस रिपोर्ट में इस महोत्सव की एक झलक तस्वीरों के माध्यम से प्रस्तुत की गई है।
यल्दा की रात जो 30 आज़र (शरद ऋतु का अंतिम दिन) के सूर्यास्त से शुरू होकर 1 दै (सर्दियों का पहला दिन) के सूर्योदय तक जारी रहती है, नौरोज़ और चहारशनबे-सूरी की तरह ईरान के प्राचीन इतिहास और संस्कृति में गहरी जड़ें रखती है।
‘यल्दा’ शब्द सूरीयानी (सिरिएक) भाषा से लिया गया है और इसका अर्थ ‘जन्म’ या ‘उत्पत्ति’ होता है। इस पर्व का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। कुछ पुरातत्वविदों ने ईरानी महीनों से जुड़े मिट्टी के बर्तनों और पशु-आकृतियों के आधार पर यल्दा की परंपरा को लगभग सात हज़ार वर्ष पुराना आँका है।
यल्दा की लोकप्रिय रस्मों में से एक, इस महान ईरानी कवि के काव्य-संग्रह से फ़ाल-ए-हाफ़िज़ निकालना है। परिवार या सभा का बुज़ुर्ग दीवान-ए-हाफ़िज़ खोलता है, चुनी गई ग़ज़ल को पढ़ता है और उसका अर्थ समझाता है। हाफ़िज़ की अधिकांश कविताएँ प्रेमपूर्ण और आशा से भरी होती हैं, इसी कारण यल्दा की फ़ालें प्रायः ख़ुशी और उल्लास का कारण बनती हैं।
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