छह मीज़ाइल तीन संदेश!!!
जब तेहरान में आतंकवादी कार्यवाही हुई तो सभी टीकाकारों का यह कहना था कि ईरान बहुत जल्द ही इन हमलों का बदला लेगा और दाइश के ठिकानों को निशाना बनाएगा।
ईरान ने सीरिया के दैरिज़्ज़ूर प्रांत में स्थित दाइश के ठिकानों को मध्यम दूरी के मीज़ाइलों से निशाना बनाया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इन हमलों पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं देखने में आईं। ऐसा प्रतीत होता है कि आईआरजीसी की ओर से दाइश के विरुद्ध यह हमले तीन संदेश लिए हुए हैं।
(१) पहला संदेश केवल दाइश से विशेष नहीं है बल्कि समस्त आतंकवादी तत्वों के लिए है। ईरान ने इस मीज़ाइल हमले से समस्त आतंकवादी गुटों को यह स्पष्ट संदेश दिया कि हम दूसरे देशों की भांति नहीं हैं, यदि तुम लोग लंदन, पेरिस, अंकारा और अन्य शहरों को आतंकवादी कार्यवाहियों का निशाना बनाते हो और तुम्हें किसी जवाबी कार्यवाही का सामना नहीं करना पड़ता तो कभी यह न सोचना कि तेहरान भी ऐसा ही है। ईरान किसी भी आतंकवादी कार्यवाही का मुंहतोड़ उत्तर देगा, इसीलिए ईरान की ओर से सीरिया में दाइश के ठिकानों पर हमलों का लक्ष्य केवल बदला लेना नहीं था बल्कि दाइश सहित अन्य आतंकवादी गुटों को यह विश्वास दिलाना था कि वह ईरान में आतंकवादी कार्यवाहियां करने का ख़्याल मन से निकाल दें। यह मीज़ाइल हमले वास्तव में एक प्रकार की रक्षा रणनीति घोषित की जा सकती है।

(२) निसंदेह ईरान की ओर से दाइश के विरुद्ध मीज़ाइल हमलों का दूसरा संदेश अमरीकी अधिकारियों के लिए था। पिछले कुछ दिनों के दौरान अमरीका के नेतृत्व में घटक सेना ने कई बार दक्षिणी सीरिया में सीरिया की सेना और स्वयं सेवी बलों को हमलों का निशाना बनाया है। इसी प्रकार अमरीका ने दक्षिणी सीरिया में कुछ ऐसी सैन्य गतिविधियां आरंभ कर रखी हैं जिसका परिणाम ईरान से टकराव के रूप में निकल सकता है। इसीलिए ईरान ने दाइश के विरुद्ध इन मीज़ाइल हमलों के माध्यम से अमरीका को सचेत किया है कि उसके पास सीरिया के हर क्षेत्र में अमरीका को निशाना बनाने की भरपूर क्षमता पायी जाती है और वह यह न सोचे कि ईरानी सेना के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्यवाही पर प्रतिक्रिया सामने नहीं आएगी। निश्चित रूप से अमरीकी अधिकारी भी यह संदेश प्राप्त कर चुके होंगे और अब यह देखना है कि वह इसके मुक़ाबले में क्या नीति अपनाते हैं?

यहां पर महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि दैरिज़्ज़ूर अभियान में ईरान ने वही मीज़ाइल प्रयोग किए हैं जो कुछ दिन पूर्व अमरीका की ओर से लगाए गये प्रतिबंधों का भाग थे, इसीलिए अमरीका के लिए एक और स्पष्ट संदेश यह था कि ईरान अपने मीज़ाइल कार्यक्रम पर किसी भी प्रकार का दबाव स्वीकार नहीं करेगा और हर क़ीमत पर यह कार्यक्रम जारी रखेगा। दूसरी ओर अमरीका ने हाल ही में जार्डन से मिली सीरिया के सीमावर्ती क्षेत्र में हिमेरस मीज़ाइल सिस्टम लगाने की घोषणा की की है। इस मीज़ाइल सिस्टम का उद्देश्य दक्षिणी सीरिया में अपना नियंत्रण स्थापित करना और क्षेत्र में मौजूद अपनी सेनाओं का बचाव करना बता गया है। इसीलिए ईरान की ओर से सीरिया की धरती पर दाइश के विरुद्ध मीज़ाइल हमलों को इस अमरीकी कार्यवाही का जवाब बताया जा सकता है।

(3) ईरान की ओर से दाइश के विरुद्ध इन मीज़ाइल हमलों का तीसरा संदेश इस्राईल, सऊदी अरब और उसके घटकों के लिए था। पिछले कुछ दिनों के दजरान सऊदी अरब ने इस्राईल के इशारे पर क्षेत्र में ईरान विरोधी गठबंधन बनाने के प्रयास तेज़ कर दिए हैं। यह प्रयास उस समय चरम पर पहुंचे जब अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने सऊदी अरब का दौरा किया था, इसीलिए ईरान का हालिया मीज़ाइल हमला, क्षेत्र में अपने विरुद्ध सक्रिय शक्तियों को एक चेतावनी है। ऐसी शक्तियों को सचेत करना है जो गठबंधन बनाकर क्षेत्र में ईरान की शक्ति को सीमित करने के प्रयास कर रही हैं। जैसा कि इन मीज़ाइलों के बाद इस्राईल के टीवी चैनल 7 ने घोषणा की है कि ईरान की ओर से जारी बयान में अमरीका, इस्राईल और उसके घटकों को धमकी भरा संदेश दिया गया है।

सीरिया में दाइश के ठिकानों पर ईरान के मीज़ाइल हमलों में एक और महत्वपूर्ण और रणनैतिक बिन्दु भी पा जाता है। रिपोर्टों से पता चलता है कि संभवतः दाइश रक़्क़ा शहर में संभावित पराजय के बाद दैरिज़्ज़ूर को अपनी नयी राजधानी के रूप में चुन चुका है। दूसरी ओर सीरिया की सेना और उसके घटक बल भी दैरिज़्ज़ूर को दाइश के नियंत्रण से स्वतंत्र कराने के लिए व्यापक अभियान की तैयारियों में व्यस्त हैं। इसीलिए ईरान की ओर से दाइश के विरुद्ध मीज़ाइल हमलों के लिए दैरिज़्ज़ूर का चयन अकारण नहीं था बल्कि इसका एक उद्देश्य दाइश के विरुद्ध जारी आप्रेशन में सीरिया की सेना की मदद करना भी था। इसी प्रकार इन मीज़ाइल हमलों को अरब देशों में मौजूद मतभेद, तेहरान में आतंकवादी हमलों और सीरिया में ईरान समर्थित स्वयं सेवी बलों को अमरीका की ओर से निशाना बनाए जाने से हटकर समझना संभव नहीं है जबकि आने वाले दिनों में हम नये परिवर्तनों के साक्षी होंगे। (AK)
अख़्तर रिज़वी
“लेखक के विचार से पार्स टूडे का सहमत होना आवश्यक नहीं है”