ईरान में सुन्नी मुसलमानों की कितनी मस्जिदें हैं?
ईरान एक शीया बाहुल्य देश है किन्तु यहां पर विभिन्न जातियों और समुदाय के लोग रहते हैं। ईरान में शीया, सुन्नी, सिख, ईसाई और यहूदी समुदाय के लोग आपस में मिलजुकर रहते हैं। हालिया दिनों में सऊदी अरब और उसके पिट्ठु मीडिया ने यह अफ़वाह फैलाना आरंभ किया है कि ईरान में रहने वाले सुन्नी मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है और वहां पर सुन्नी मुसलमानों की मस्जिदें तक नहीं हैं।
हम आपको बताते चले कि ज़ाहेदान शहर में स्थित मक्की मस्जिद, ईरान में सुन्नी मुसलमानों की सबसे बड़ी मस्जिद है। जिन लोगों ने ईरान की यात्रा की हैं उनको अच्छी तरह पता है कि ईरान में सुन्नी समुदाय की लगभग 15 हज़ार मस्जिदें हैं जिनमें देश में मौजूद 55 लाख से अधिक लोगों पर आधारित सुन्नी समुदाय के लोग नमाज़ पढ़ते हैं और अपने धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। सीस्तान ब्लोचिस्तान, कुर्दिस्तान, गुलिस्तान सहित अन्य शहरों में सुन्नी समुदाय के लोग पूरी आज़ादी के साथ अपने धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
ईरान में 70 हज़ार मस्जिदों में से 15 हज़ार मस्जिदें सुन्नी मुसलमानों की हैं जबकि आबादी के अनुसार हर पांच सौ सुन्नी मुसलमानों पर एक मस्जिद है, इस प्रकार ईरान में सुन्नी समुदाय की मस्जिदों का अनुपात ईरानी शीया मुसलमानों की मस्जिदों के अनुपात से नौ गुना अधिक है और स्वयं तेहरान और उसके उपनगरीय क्षेत्रों में सुन्नी समुदाय की 11 मस्जिदें हैं जिनमें जमाअत की नमाज़ के अतिरिक्त जुमे की नमाज़ भी आयोजित होती हैं। इस समय तेहरान ही में अहले सुन्नत की 9 मस्जिदें मौजूद हैं जिसमें रोज़ाना नमाज़ और विभिन्न दिनों में दूसरे प्रोग्राम होते रहते हैं।
यह मस्जिदें निम्नलिखित हैं:(1) सादक़िया स्क्वाएर पर स्थित सादक़िया मस्जिद। (2) दिलावरान स्ट्रीट पर स्थित तेहरान पार्स मस्जिद (3) पुराने हाईवे पर स्थित शहरे क़ुद्दस मस्जिद। (4) फ़त्ह हाईवे पर ख़लीजे फार्स नामक मस्जिद। (5) दानिश टाऊन में मस्जिदुन्नबी नामक मस्जिद। (6) मिलार्द रोड पर स्थित मस्जिदे हफ़्त जूब। (7) शहरियार में स्थित मस्जिदे वहीदिया। (8) अकबराबाद में स्थित मस्जिदे नसीमे शहर। (9) शहरियार तिराहे पर मस्जिदे रज़ियाबाद।
ईरान में इस समय अहले सुन्नत मस्जिदों की संख्या पंद्रह हजार है जो शिया मस्जिदों से ज्यादा है। इसलिये कि बहुत से शहरों में रौज़े या इमाम ज़ादों के मज़ार भी हैं इसलिए उन जगहों पर भी नमाज़े जमाअत होती हैं और चूंकि मस्जिद के विशेष नियम होते हैं इसलिए बहुत सी जगहों पर मस्जिद के बजाये बैतुस सलात (नमाज़खाना) बनाया जाता है। इसी तरह इस्लामी इंक़ेलाब के बाद से हर स्कूल, कॉलेज और हर दफ़्तर व संस्था में नमाज़ ख़ाने मौजूद हैं जिनमें जमाअत के साथ नमाज़ें होती हैं। (AK)