ईरान की रक्षा के लिए सबसे आगे होंगे इराक़ के सुन्नी मुसलमान
इराक़ के सुन्नी मुसलमानों के वरिष्ठ धर्मगुरू “मुफ़्ती शेख़ मेहदी अस्समीदई” ने कहा है कि अगर इस्लामी गणतंत्र ईरान पर कोई बुरा वक़्त पड़ता है तो इराक़ के सुन्नी मुसलमान उसकी रक्षा के लिए सबसे आगे होंगे।
इर्ना समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान पर अमेरिका द्वारा एक बार फिर लगाए गए प्रतिबंधों पर इराक़ी प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए विवादित बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इराक़ के वरिष्ठ सुन्नी धर्मगुरू और बग़दाद की जामा मस्जिद “उम्मुत्तबूल” के इमाम, मुफ़्ती शेख़ मेहदी अस्समीदई ने कहा है कि ईरान की रक्षा के लिए हम सबसे आगे होंगे और दुश्मन को ईरानी सेना से टकराने से पहले हमसे टकराना होगा। उन्होंने कहा कि इराक़ की जनता ईरानी राष्ट्र के कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है और हमारी इस एकता को दुनिया की कोई शक्ति नहीं तोड़ सकती। मुफ़्ती शेख़ मेहदी ने कहा कि इराक़ की जनता यह कैसे भूल सकती है कि जब साम्राज्यवादी शक्तियों का समर्थन प्राप्त तकफ़ीरी आतंकावदी गुट दाइश ने इराक़ पर हमला करके हज़ारों बेगुनाहों का जनसंहार किया था तब अगर कोई सबसे से पहले इराक़ी जनता की मदद के लिए आगे आया तो वह केवल ईरान ही था।
विश्व प्रख्यात इराक़ के सुन्नी मुसलमानों के वरिष्ठ धर्मगुरू मुफ़्ती शेख़ मेहदी अस्समीदई ने कहा कि कट्टरपंथी यहूदी और चरमपंथी ईसाई इस समय एक साथ मिलकर ईरान के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में हम कैसे ईरान को अकेला छोड़ सकते हैं? अस्समीदई ने कहा कि दुनिया देखेगी कि अगर ईरान पर कोई भी कठिन समय पड़ेगा तो सबसे पहले हम उसकी रक्षा के लिए वहीं मौजूद रहेंगे। उन्होंने बिना नाम लिए इराक़ के कुछ अमेरिकी समर्थन प्राप्त राजनेताओं को कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि देश का कोई भी सुन्नी मुसलमान इस बात को स्वीकार नहीं करेगा कि इराक़, ईरान विरोधी मोर्चे में शामिल हो या हमारे देश की ज़मीन ईरान विरोधी कार्यों के लिए इस्तेमाल की जाए।
उल्लेखनीय है कि इराक़ के वरिष्ठ सुन्नी धर्मगुरू मुफ़्ती शेख़ मेहदी अस्समीदई ने इराक़ सहित तमाम अरब देशों के शासकों और राजनेताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि, अमेरिका द्वारा ईरान के ख़िलाफ़ बनाए जा रहे आर्थिक दबाव पर ख़ुश होने वाले देशों के शासकों, वह समय दूर नहीं जब तुम अमेरिका की ग़ुलामी के चक्कर में अपनी कुर्सी गवां बैठोगे और फिर तुमको तुम्हारे ही देश में एक इंच ज़मीन भी नसीब नहीं होगी। (RZ)