ईरान के साथ सहयोग जारी रखने पर रूस का बल
अमरीका ने 8 मई 2018 को परमाणु समझौते से निकलने की घोषणा कर दी और ट्रम्प प्रशासन ने दो चरणों में अगस्त और नवम्बर में ईरान के विरुद्ध उन प्रतिबंधों को वापस कर दिया जो परमाणु समझौते की वजह से समाप्त हुए थे। इस समय भी अमरीका ईरान के विरुद्ध अपने प्रतिबंधों के दबाव को जारी रखे हुए है।
इन सबके बावजूद अमरीका की ग़ैर क़ानूनी कार्यवाहियों का ईरान के परमाणु समझौते के सहयोगियों ने भी विरोध किया। इसी संबंध में रूस के उप विदेशमंत्री सर्गेई रियाबकोफ़ ने बल दिया कि अमरीका के प्रतिबंध और उसकी धमकियां, ईरान और रूस के बीच सहयोग को नहीं रोक सकते।
रियाबकोफ़ ने बल दिया कि रूस का इरादा है कि अमरीका द्वारा प्रतिबंधों की धमकी के बावजूद परमाणु क्षेत्र सहित ईरान के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग जारी रहेगा।
रूस के उप विदेशमंत्री रियाबकोफ़ ने ईरान और रूस के प्रतिबंधों के अनुभवों की ओर संकेत करतेे हुए कहा कि मास्को और तेहरान वाशिंग्टन के सामने कभी भी नहीं झुकेंगे।
अमरीकी विदेशमंत्रालय ने एक नई कार्यवाही करते हुए 3 मई 2019 को ईरान की परमाणु गतिविधियों के तीन मामलों को रद्द कर दिया। अमरीका की इस कार्यवाही का मुख्य लक्ष्य, ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधियों के मार्ग में नई रुकावटें पैदा करना है जिसे परमाणु समझौते की परिधि में और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव क्रमांक 2231 में स्वीकार किया गया है।
ट्रम्प प्रशासन बूशहर परमाणु बिजली घर तथा रेडियो मेडिसिन बनाने के लिए तेहरान के शोध रिएक्टर सहित ईरान की समस्त शांतिपूर्ण गतिविधियों में रुकावट पैदा करने के प्रयास में है। अब सवाल यह पैदा होता है कि ईरान की परमाणु गतिविधियां जो अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेन्सी की पूर्ण निगरानी में जारी है, इस परमाणु संस्था के क़ानून के विरुद्ध है? इसका जवाब नकारात्मक है।
बहरहाल ईरान से हर क्षेत्र में मुंह की खाने के बाद ट्रम्प प्रशासन अब ईरान की परमाणु गतिविधियों को निशाना बना रहा है किन्तु दुनिया यह जानती है कि उसे अतीत की भांति एक बार फिर ईरान से मुंह की खानी पड़ेगी। (AK)