ईरान के दुश्मन खोखले हो चुके हैंः जनरल सलामी
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जनरल सलामी ने कहा है कि ईरानी राष्ट्र की शांति, सुरक्षा, और इज़्ज़त प्रतिरोध का परिणाम है और दुश्मन इस क्षेत्र में विफल हो जायेंगे।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
May १६, २०१९ २०:२० Asia/Kolkata

जनरल सलामी ने कहा है कि ईरानी राष्ट्र की शांति, सुरक्षा, और इज़्ज़त प्रतिरोध का परिणाम है और दुश्मन इस क्षेत्र में विफल हो जायेंगे।

ईरान की इस्लामी क्रांति संरक्षक बल सिपाहे पासदारान (आईआरआईजीसी) के कमांडर ने बल देकर कहा है कि ईरान के शत्रु बेबस हो चुके हैं और विदित रोब के बावजूद वे अंदर से खोखले हो चुके हैं।

ब्रिगेडियर जनरल हुसैन सलामी ने कहा कि आज दुश्मन अधिक से अधिक दबाव डालकर और अपनी समस्त संभावनाओं व क्षमताओं का प्रयोग करके ईरानी राष्ट्र की शांति व सुरक्षा को भंग करना चाहते हैं परंतु वे इस बात से अनभिज्ञ हैं कि ईरानी राष्ट्र की शांति, सुरक्षा, और इज़्ज़त प्रतिरोध का परिणाम है और दुश्मन इस क्षेत्र में विफल हो जायेंगे।

जब से अमेरिका ईरान के साथ होने वाले परमाणु समझौते से निकला है उसकी ईरान से दुश्मनी अपने चरम बिन्दु पर पहुंच गयी है। अमेरिका ईरान पर अधिक से अधिक दबाव डालकर और उसे सैनिक धमकी देकर अपनी मांगों के सामने उसे झुकाना चाहता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उनकी सरकारी टोली ईरान से नये सिरे से वार्ता करना चाहती है और उसकी इच्छा है कि इस वार्ता में परमाणु मामले के साथ- साथ ईरान की मिसाइल क्षमता और क्षेत्र में उसके प्रभाव का मामला भी शामिल हो। ट्रंप 8 मई वर्ष 2018 को परमाणु समझौते से एकपक्षीय रूप से निकल गये थे और इसके औचित्य में उन्होंने कहा था कि यह समझौता सही नहीं है और इसमें ईरान के समस्त मामले शामिल नहीं हैं।

अमेरिका अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए फार्स की खाड़ी के कुछ देशों और जायोनी शासन से सहकारिता कर रहा है। ट्रंप सरकार ईरान को क्षेत्र के लिए खतरा बताती है और उसके इस प्रकार के निराधार दावे का लक्ष्य क्षेत्र के देशों को दूध देने वाली गाय की भांति दुहना और उन्हें अमेरिकी हथियारों को बेचकर मुनाफा कमाना है।

सऊदी अरब सहित कुछ अरब देश अमेरिका के साथ इसलिए सहकारिता कर रहे हैं ताकि वे ईरान के मुकाबले में एक संयुक्त मोर्चा दिखा सकें। रोचक बात है कि अमेरिका की अगुवाई में काम करने वाला मोर्चा इराक, सीरिया और यमन में ईरान के नेतृत्व वाले मोर्चे के मुकाबले में इससे पहले पराजय का कटु स्वाद चख चुका है।

बहरहाल गत चालिस वर्षों के दौरान अमेरिका ने इस्लामी व्यवस्था को खत्म करने और ईरानी राष्ट्र को आघात पहुंचाने के लिए किसी प्रकार के प्रयास में संकोच से काम नहीं लिया है परंतु आज तक वह अपने लक्ष्यों को न साध सका और हमेशा उसे पराजय का मुंह देखना और इस समय ईरान और अमेरिका के मध्य इरादों की जंग है और उसमें भी जीत ईरानी राष्ट्र को मिलेगी तथा अमेरिका को मुंह की खानी पड़ेगी। MM