ईरान पर सैन्य हमले की धमकी से पीछे हटा अमरीका
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अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने चाहे वह चुनावी अभियान के दौरान हो या जनवरी 2017 में वाइट हाऊस में पहुंचने के बाद, हमेशा ही ईरान की इस्लामी व्यवस्था को कमज़ोर करने और इस्लामी व्यवस्था को गिराने के प्रयास किए हैं।
(last modified 2023-11-29T09:15:15+00:00 )
May १८, २०१९ १६:३५ Asia/Kolkata

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने चाहे वह चुनावी अभियान के दौरान हो या जनवरी 2017 में वाइट हाऊस में पहुंचने के बाद, हमेशा ही ईरान की इस्लामी व्यवस्था को कमज़ोर करने और इस्लामी व्यवस्था को गिराने के प्रयास किए हैं।

वाशिंग्टन ने अधिक से अधिक दबाव डालने की नीतियों के अंतर्गत, ईरान के विरुद्ध आर्थिक युद्ध छेड़ दिया और इसी के साथ हालिया कुछ सप्ताह से उसने ईरान के विरुद्ध सैन्य धमकी देना शुरु कर दिया है।

इन धमकियों का ईरान की ओर से कड़ा जवाब आया है और उसने कह दिया है कि हर प्रकार के हमले का भरपूर जवाब देने को तैयार है। मामला यहीं पर नहीं रुका बल्कि अमरीका के भीतर और बाहर तथा वाशिंग्टन के यूरोपीय घटकों की ओर से ईरान के बारे में ट्रम्प की नीतियों का ज़बरदस्त विरोध हो रहा है जिसके कारण ट्रम्प प्रशासन अपने पिछले दावों से पीछे हट गया है।

अमरीकी पत्रिका टाइम्ज़ ने यह बयान करते हुए कि वाशिंग्टन ने ईरान पर हमले के लिए कोई योजना नहीं बनाई है, लिखा कि पेन्टागन के सैन्य अधिकारियों का मानना है कि इस प्रकार के हमले के लिए महीनों पहले से कार्यक्रम की आवश्यकता होती है।

टाइम्ज़ ने शनिवार 18 मई को अपनी रिपोर्ट में लिखा कि पेन्टागन की नज़र में उसी समय सैन्य कार्यक्रम की वास्तविकता के बारे में बात करता हे कि जब युद्ध या हमले के लिए कोई योजना राष्ट्रपति को सौंपी जा चुकी हो और इससे पहले सारी बातें केवल अटकलों की सीमा तक ही रहती हैं।

टाइम्ज़ ने लिखा कि क्षेत्र में अमरीकी सैनिकों और कार्यक्रमों पर नज़र रखने वाले पेन्टागन के तीन सक्रिय अधिकारियों का कहना है कि फ़ार्स की खाड़ी के क्षेत्र में विस्तृत पैमाने पर सैनिक भेजने की न तो कोई योजना है और न ही इससे मिलती जुलती कोई योजना है।

एेसा प्रतीत होता है कि अमरीका के वरिष्ठ अधिकारी यह पूरी तरह समझ गये हैं कि यदि कोई टकराव होता है तो उससे पैदा होने वाला ख़तरा बहुत बड़ा होगा और यही कारण है कि उन्होंने ईरान से टकराव का ख़याल ही मन से निकाल दिया है। (AK)