ईरान का मीज़ाइल संदेश, कमज़ोर समझने की ग़लती न करना, नहीं तो...
ईरान की नौसेना ने 80 से 200 किलोमीटर तक की मारक दूरी वाली क्रूज़ मिसाइलों को तट से समुद्र और समुद्र से समुद्र में फायर किया और इन मिसाइल ने कामयाबी से लक्ष्यों को भेद दिया।
जबकि इससे पहले आईआरजीसी के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना था कि आईआरजीसी की नौसेना इस प्रकार के 50 परीक्षण कर चुकी है। आईआरजीसी की नौसेना का यह सैन्य अभ्यास यह दर्शाता है कि मीज़ाइलों के निर्माण, डिज़ाइनिंग, परीक्षण, टेस्ट और सफलता से फ़ायर किया जाना सभी कामयाब रहा।
इस बात की कोई अहमियत नहीं है कि सेना इस प्रकार के मीज़ाइलों का निर्माण, उसकी डिज़ाइनिंग और फिर उसे सफलता के फ़ायर करे लेकिन यह ईरान के लिए कामयाबी की बात है क्योंकि ईरान अमरीका और उसके घटकों के प्रतिबंधों का सामना कर रहा है और उसने यह सारी रक्षा उपलब्धियां प्रतिबंधों और दबावों के काल में ही हासिल की हैं।
ईरान ने रक्षा क्षेत्र में इतनी सारी सफलताएं अर्जित करके यह दिखा कि वह किसी भी हालत में और कभी भी वार्ता और समझौता नहीं करेगा।
यहां पर इस बात का उल्लेख ज़रूरी है कि नौसेना ने कुनारक क्षेत्र का ही इस युद्धाभ्यास के लिए क्यों किया? ईरान की कुनारक घटना के बाद जिसमें ग़लती से फ़ायर होने वाले मीज़ाइलों की वजह से कई सैनिक शहीद हो गये थे, दुश्मन लगातार ईरान की रक्षा शक्ति और क्षमता पर सवालिया निशान लगा रहे थे लेकिन हालिया इस सैन्य अभ्यास ने दुश्मनों से सारे विकल्प ही छीन लिए क्योंकि लंबी और छोटी दूरी के दोनों ही मीज़ाइलों ने अपने अपने लक्ष्यों को सही ढंग से भेदा और यह ऐसा कारनामा है जिसका उदाहरण दिया जाना चाहिए।
इस्लामी गणतंत्र ईरान की नौसेना ने इस मीज़ाइल परीक्षण से दुश्मनों को यह संदेश दे दिया है कि वह ईरान को कमज़ोर समझने की कभी ग़लती न करें क्योंकि उनकी यह ग़लती आख़िरी होगी। (AK)