May २०, २०२३ १७:४५ Asia/Kolkata
  • अरब लीग का शिखर सम्मेलन, छाए रहे बश्शार असद, ईरान के बारे में बदला सऊदी अरब का लहजा

अरब लीग का 32वां शिखर सम्मेलन 19 मई को सऊदी अरब की मेज़बानी में जिद्दा नगर में संपन्न हुआ। सम्मेलन के घोषणापत्र में अरब लीग में सीरिया की वापसी का स्वागत किया गया और अरब देशों के बीच सहयोग मज़बूत करने पर ज़ोर दिया गया लेकिन यमन, लेबनान, सूडान और लीबिया के संकटों के समाधान के लिए कोई व्यवहारिक प्रस्ताव सामने नहीं आया।

अरब लीग का 32शिखर सम्मेलन सीरिया की इस संगठन में वापसी और राष्ट्रपति असद की इस शिखर सम्मेलन में शिरकत के विषयों पर मुख्य  रूप से केन्द्रित दिखाई दिया। बैठक के समान पर जारी होने वाली घोषणापत्र में भी सीरिया का विषय बहुत मुख्य रूप से चर्चा का केन्द्र रहा। इस बात पर ज़ोर दिया गया कि सीरिया की मदद की जाए ताकि वह संकट से पूरी तरह बाहर निकल आए।

सऊदी अरब के विदेश मंत्री फ़ैसल बिन फ़रहान ने भी बैठक के बाद कहा कि सऊदी अरब की नज़र में सीरिया की वर्तमान स्थिति जारी नहीं रह सकती सीरिया संकट के लिए वास्तविक समाधान तलाश करना केवल दमिश्क़ सरकार के साथ सहयोग के रास्ते से ही संभव है।

टीकाकार यह मानते हैं कि सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के बयान से और इससे पहले उन्होंने इस्लामी गणराज्य ईरान, सीरिया और यमन के सिलसिले में जो बलाव के क़दम उठाए हैं उनसे लगता है कि रियाज़ सरकार अपनी पिछली नीतियों में बुनियादी बदलाव के लिए क़दम आगे बढ़ा रही है। हालांकि सऊदी सरकार के लिए यह रास्ता इतना आसान नहीं होगा क्योंकि उस पर निश्चिम तौर पर अमरीका का दबाव पड़ा रहा है।

सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद का भाषण भी बहुत महत्वपूर्ण था। अरब लीग में सीरिया की 12 साल बाद वापसी हुई है इसलिए जब राष्ट्रपति असद ने शिखर सम्मेलन को संबोधित किया तो सारी नज़रें उन पर केन्द्रित थीं।

असद जो एक डाक्टर हैं, बीमारियों के इलाज की बात की और कहा कि कई बीमारियां हों तो एक एक करके इलाज करना होता है लेकिन शर्त यह है कि बुनियादी बीमारी का हल तलाश कर लिया गया हो।

जिद्दा में अरब लीग के शिखर सम्मेलन में सीरिया के अलावा कई संकटों की बात तो की गई लेकिन इस चीज़ साफ़ तौर पर नज़र आई कि बड़े संकटों के लिए कोई रोडमैप नहीं है। बस पिछले स्टैंड को दोहराया गया है। बेशक फ़िलिस्तीन का विषय भी बैठक में उठा। मुहम्मद बिन सलमान ने भी अपने भाषण में फ़िलिस्तीन संकट का ज़िक्र किया और इस संकट के समाधान पर भी ज़ोर दिया लेकिन अगर देखा जाए तो पिछले एक महीने के दौरान फ़िलिसतीन का मुद्दा गर्माया रहा। फ़िलिस्तीनियों पर इस्राईल के भयानक हमले हुए और फ़िलिस्तीनियों ने आत्म रक्षा के तौर पर जवाबी हमले किए।

इस पूरे मसले में अरब सरकारों ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की। अरब देशों की तरफ़ से इस्राईली बर्बरता की कड़ाई से निंदा की जानी चाहिए थी जो नहीं की गई।

यमन संकट के बारे में भी अरब लीग के शिखर सम्मेलन में जो बातें हुईं उनसे सनआ की सरकार असंतुष्ट है। यमन की उच्च राजनैतिक समिति के सदस्य मुहम्मद अली हौसी ने ट्वीट किया कि यह बातें ज़ाहिर करती हैं कि हमलावर देश यमन संकट को हल करने में रूचि नहीं रखते और उन्हें शांति पसंद नहीं है।

अरब देशों की बैठक में आम तौर पर ईरान के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी होती थी जो इस बार नहीं हुई। इस बार ईरान और सऊदी अरब के बीच होने वाले समझौते का स्वागत किया गया और सुरक्षा व आर्थिक सहयोग के समझौतों को अमली जामा पहनाए जाने पर ज़ोर दिया गया।

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