Mar ०९, २०२४ १४:५२ Asia/Kolkata
  • ग़ज़ा में महिलाओं के बड़े पैमाने पर नरसंहार और युद्ध में उनकी स्थिति के बाद भी क्या इस्राईल को संयुक्त राष्ट्र महिला कमीशन में रहने का अधिकार है?

ईरान के शीर्ष मानवाधिकार अधिकारी ने संयुक्त राष्ट्र महिला कमीशन से इस्राईल को हटाने का आह्वान किया है।

ईरान का कहना है कि ग़ज़ा युद्ध में हज़ारों फ़िलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों का नरसंहार करने और बचे हुए लोगों को भूखा मारने की साज़िश करने वाले ज़ायनी शासन को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। 

शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ईरान की मानवाधिकार उच्च परिषद के सचिव काज़िम ग़रीबाबादी ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद के अध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के नाम पत्रों में यह मांग रखी है।

ग़ज़ा में ज़ायोनी सेना के अपराधों का ज़िक्र करते हुए ग़रीबाबादी ने कहा है कि इस युद्ध में सबसे ज़्यादा दयनीय स्थिति महिलाओं और लड़कियों की है। उन्होंने कहा कि नाकाबंदी का शिकार ग़ज़ा पट्टी में इस्राईल ने 31,000 से ज़्यादा लोगों को शहीद कर दिया है, जिसमें 70 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।

अपने पत्रों में, ग़रीबाबादी ने संयुक्त राष्ट्र की कई रिपोर्टों का हवाला दिया, जिनमें ग़ज़ा में महिलाओं और बच्चों पर युद्ध के विनाशकारी प्रभाव का ख़ुलासा किया गया है। उन्होंने अनपे पत्र में लिखाः दुर्भाग्य से, ऐसे काले इतिहास वाला यह शासन, महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र कमीशन का सदस्य है, जिसका गठन लैंगिक समानता स्थापित करने और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए किया गया था, और जिसका एक महत्वपूर्ण उद्देश्य दुनिया भर में महिलाओं की सुरक्षा और उनकी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करना है।

युद्ध का ग़ज़ा की महिलाओं पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध में हर घंटे दो माओं की हत्या हो रही है। शहीद होने वाली यह मज़बूत महिलाएं वह थीं, जिन्होंने पत्रकारिता, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, राजनीति, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। इस्राईली सैनिकों के हाथों जीवन समाप्त होने से पहले, इनमें से हर एक की एक अनोखी कहानी थी।

जो महिलाएं ज़िंदा बची हैं, वे अपने परिजनों और परिवारों के विनाशकारी नुक़सान का अनुभव कर रही हैं। किसी ने अपने बच्चों को खोया है तो किसी ने अपने भाई, बहन, मां, बाप या पिता को। युद्ध के जारी रहने के कारण, इस छोटे से इलाक़े में ही उन्हें बार-बार विस्थापित होने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

इस नए युद्ध से पहले भी ज़ायोनी शासन ने ग़ज़ा की घेराबंदी कर रखी थी, जिसके कारण वहां हमेशा ज़रूरत की चीज़ो की कमी रही और इस्राईल ने आवश्यक सेवाओं तक लोगों की पहुंच को प्रतिबंधित कर रखा था, जिसका विनाशकारी प्रभाव महिलाओं और बच्चियों पर अधिक था।

 

टैग्स