May ०६, २०२४ १२:१८ Asia/Kolkata
  • कड़ी सर्दियों के बाद अब ग़ज़ा के लोगों के सामने आग बरसाती हुई गर्मियां हैं

फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए के उप निदेशक स्कॉट एंडरसन का कहना है कि तापमान में वृद्धि के कारण, ग़ज़ा में बीमारियों के फैलने पर क़ाबू पाना, खाने-पीने की चीज़ों की आपूर्ति की ही तरह ज़रूरी हो गया है।

गर्मियों के मौसम में ग़ज़ा के लोगों की समस्याओं के बढ़ने के बारे में न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा हैः जब मरयम अरफ़ात इस्राईली बमबारी से जान बचाने के लिए अपने शौहर और तीन छोटे बच्चों के साथ ग़ज़ा शहर से निकली थीं, तो सर्दी शबाब पर थी। जब यह फ़ैमिली दैर अल-बलह इलाक़े में एक पुराने टैंट में शरण लेने के लिए मजबूर हुई थी, तो वह सर्दियों से कांपती थी, क्योंकि गर्म करने के लिए न ही हीटर था और न ही गर्म कपड़े। अब गर्मियों का मौसम शुरू हो रहा है और हवा में नमी भी बढ़ रही है, अब उसी टैंट में दम घोटने वाली गर्मी बढ़ रही है।

23 वर्षीय अरफ़ात कि जिनकी गोद में एक छोटा सा बच्चा गर्मी से बेहाल है, कहती हैः ऐसा लगता है, जैसे इस ख़ेमे से आग निकल रही हो। गर्मी बर्दाश्त से बाहर है, ख़ास तौर पर बच्चों के लिए।

ज़ायोनी सेना के हमलों और बमबारी से बचने के लिए क़रीब 20 लाख फ़िलिस्तीनी अपना घर-बार छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं। सर्दियों में सुविधाओं की कमी के कारण, उन्होंने काफ़ी समस्याओं का सामना किया। उनके पास सिर छिपाने के नाम पर एक ढंग का टैंट तक नहीं है। अब मई के महीने में तापमान 39 डिग्री को पार कर गया है, जिससे टैंटों में रहना असंभव हो रहा है।

ताज़ा रिपोर्टों के मुताबिक़, ग़ज़ा पट्टी में इस्राईल के हमलों में अब तक 34,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी शहीद और 77,000 से ज़्यादा ज़ख़्मी हो चुके हैं। लगभग 8,000 लोग अभी भी लापता हैं, जिन्हें इस्राईली हवाई हमलों में तबाह होने वाली इमारतों के मलबे के नीचे तलाश किया जा रहा है। कुल शहीद और घायल होने वालों में 73 फ़ीसद बच्चे और महिलाएं हैं।

1917 के बाद से ब्रिटेन की साज़िश से यहूदियों को विभिन्न देशों से फ़िलिस्तीन में लाकर बसाया गया और फ़िलिस्तीनियों को उनके घरों से उजाड़ दिया गया। 1948 में फ़िलिस्तीन की सरमज़ीन पर अवैध इस्राईल की स्थापना की घोषणा की गई। उसके बाद से ही बचे खुचे फ़िलिस्तीनियों को उजाड़ने और उनकी नस्लकुशी के लिए इस्राईल प्रयास करता रहा है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान ज़ायोनी शासन के पतन और फ़िलिस्तीन में लाकर बसाए गए यहूदियों की घर वापसी का समर्थक है। msm

 

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