इराक़ पर नहीं चल पाया इस्राईली दांव
(last modified Fri, 21 Jan 2022 18:07:02 GMT )
Jan २१, २०२२ २३:३७ Asia/Kolkata
  • इराक़ पर नहीं चल पाया इस्राईली दांव

इस्राईल के लिए जासूसी के आरोप में इराक़ में कुछ गुप्तचर अधिकारियों को गिरफ़्तार किया गया है।  इन इराक़ी अधिकारियों पर आरोप है कि वे इस्राईल की गुप्तचर सेवा मोसाद के लिए काम कर रहे थे।

हालिया कुछ महीनों के दौरान विभिन्न आयामों से इराक़ और ज़ायोनी शासन के बीच संपर्क के बारे में चर्चाएं होती रही हैं।

कुछ अरब देशों द्वारा अवैध ज़ायोनी शासन के साथ कूटनैतिक संबन्ध सामान्य करने के बाद इस मुद्दे पर बहस आरंभ हुई कि क्या कुछ अन्य अरब देश भी इस ओर बढ़ रहे हैं। अगर हम इराक़ को सामने रखकर उन चार देशों की बात करें जिन्होंने इस्राईल के साथ अपने संबन्ध सामान्य किये हैं तो एक बात बहुत ही स्पष्ट है कि इन चार अरब देशों की तुलना में इराक़ एक बड़ा और प्रभावशाली देश है जिसका क्षेत्रीय प्रभाव भी है।  इसके अतिरिक्त एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि इराक़ के भीतर इस्राईल विरोधी प्रतिरोध पाया जाता है।

जिन चार देशों ने अवैध ज़ायोनी शासन के साथ संबन्ध सामान्य किये उनके इस्राईल के साथ पहले से गोपनीय संबन्ध थे।  हालांकि इराक़ के बारे में एसा कुछ भी नहीं है।  यही कारण है कि इराक़ को इस जाल में फंसाने के लिए प्रयास जारी हैं।

इराक़ का कुर्दिस्तान क्षेत्र, वह स्थान है जहां पर इस्राईली कंपनियां मौजूद हैं। वहां पर पिछले साल सितंबर में स्थानीय क़बीलों के सरदारों की उपस्थिति मं एक बैठक आयोजित हुई थी जिसका उद्देश्य, इस्राईल के साथ इराक़ के संबन्धों को सामान्य बनाना था।  इस बैठक पर इराक़ियों की ओर से की जाने वाली कड़ी प्रतिक्रियाओं से यह समझ में आ गया कि यह वह गुड़ नहीं है जिसे चींटे खा जाएं।

इराक़ी अधिकारियों ने भी अरबील बैठक का विरोध किया था।  इराक़ के राष्ट्रपति बरहम सालेह ने बयान जारी करके फ़िलिस्तीन के प्रति इराक़ के खुले समर्थन की घोषणा की थी।  इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा था कि इराक़, इस्राईल के साथ संबन्ध सामान्य करने का कड़ा विरोधी है।  अरबील में जो बैठक हुई थी वह वहां पर उपस्थित लोगों के दृष्टिकोण का परिचायक हो सकती है किंतु इराक़ी जनता के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व नहीं करती।

हालांकि इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि इस्राईल के साथ संबन्ध सामान्य करने का समर्थन करने वालों की नज़र इराक़ के गुप्तचर विभाग पर लगी है।  यही वजह है कि इस्राईल के लिए जासूसी करने के आरोप में इराक़ की गुप्तचर सेवा के कुछ अधिकारियों को गुरूवार को गिरफ़्तार किया गया है जिनमें से एक मुस्तोफा अलकाज़ेमी के बहुत निकट माने जाते हैं। गिरफ़्तार किये गए लोगों ने यह बात स्वीकार की है कि इराक़ के गुप्तचर कार्यालय में इस्राईली जासूसों का नेटवर्क बन गया है।

इन लोगों की गिरफ़्तारी से उन लोगों को धचका लगेगा जो इस्राईल के साथ इराक़ के संबन्ध सामान्य करने के हितैषी हैं किंतु यह बात भी स्पष्ट है कि यहां पर इस्राईल की दाल गलने वली नहीं है।

इसका मुख्य कारण यह है कि इराक़ में एसे प्रतिरोधी गुट पाए जाते हैं जो किसी भी स्थिति में अवैध ज़ायोनी शासन के साथ अपने देश के संबन्धों में सामान्य किये जाने के हित में नहीं हैं।  प्रतिरोधक गुटों का संसदीय गठबंधन पहले ही घोषणा कर चुका है कि देश में यदि कोई अवैध ज़ायोनी शासन के साथ संबन्ध सामान्य करने के समर्थन करता है तो हम उसका डटकर मुक़ाबला करेंगे।

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