तुर्किए ने पलटी मारी, अर्दोग़ान को आख़िरकार हो गया एहसास
अंकारा मीडिया की ख़बरों और सोशल मीडिया पर प्रकाशित अफवाहों और विपक्षी दलों के नेताओं के खंडन के बाद, आख़िरकार तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान की सरकार के अधिकारियों ने दमिश्क के विरोधी लड़ाकों के निष्कासन की घोषणा करके इन अफवाहों की पुष्टि कर दी।
पिछले महीनों के दौरान, अंकारा और इस्तांबुल मीडिया विभिन्न बहानों से सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद की वैध सरकार के संबंध में तुर्की की विदेश नीति में सुधार के बारे में समाचार प्रकाशित कर रहा है लेकिन तुर्क सरकार के अधिकारियों ने इस ख़बर का खंडन किया था, इसके बावजूद एक रचनात्मक और सकारात्मक कार्रवाई में अंकारा सरकार ने सीरियाई सरकार के विरोधियों को बताया कि इस साल के अंत तक उन्हें तुर्की छोड़ देना होगा।
स्वाभाविक रूप से ऐसी स्थिति में जहां अर्दोग़ान की सरकार ने आधिकारिक तौर पर एक दशक से अधिक समय तक सीरिया पर शासन करने वाली वैध सरकार के मुख्य दुश्मन के रूप में ख़ुद को प्रस्तुत किया है, ऐसी सरकार को सद्भावना साबित करने में समय लगेगा।
दूसरे शब्दों में अपनी सद्भावना दिखाने के लिए अर्दोग़ान की सरकार को पहले सीरिया सरकार के विरोधियों का समर्थन करना बंद करना चाहिए और तुर्की में बशर अल-असद की सरकार के विरोध के ठिकानों को ख़त्म करना चाहिए।
तीसरे चरण में सीरिया से सैन्य वापसी से अंकारा की दमिश्क के साथ शांति वार्ता की शुरुआत हो सकती है। इस संबंध में कई राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इतिहास, भूगोल और अर्थव्यवस्था को जाने बिना विदेश नीति को समझना विफल साबित हो सकता है। इस संदर्भ में रजब तैयब अर्दोग़ान की सरकार ने निस्संदेह इस कड़वी वास्तविकता का अनुभव किया है और अब कई वर्षों में सीरिया के संबंध में अपनी विदेश नीति की गलतियों के लिए भारी क़ीमत चुका रहे हैं। मरमरा विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर पत्रकार और जुम्हुरियत अख़बार के राजनीतिक विशेषज्ञ बारिश दोस्त इस संबंध में कहते हैं कि
अंकारा-दमिश्क संबंधों को सामान्य करने का रजब तैयब अर्दोग़ान का प्रयास, आवश्यकता और मजबूरी है और तुर्की के राष्ट्रपति अपनी ग़लत नीतियों का भुगतान कर रहे हैं।
वास्तव में क्षेत्र के कई राजनीतिक हलक़ों का मानना है कि हालिया वर्षों में पड़ोसी देशों में अर्दोग़ान की सरकार के सैन्य अभियान, जस्टिस एंड डवलपमेंट पार्टी के थिंक टैंक में ग़लत नीतिगत निर्णयों का परिणाम है, उनकी ग़लत नीतियों और ख़राब नेतृत्व व मार्गदर्शन की वजह से तुर्किया जो एक विकासशील देश था और विकास के मार्ग पर अग्रसर था, देश को एक ख़तरनाक भंवर में फंसा दिया है। (AK)
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