एक रिपोर्ट/अमेरिका के इशारे से अफ़ग़ानिस्तान में अल क़ायदा की दस्तक
(last modified Tue, 03 Sep 2024 09:17:30 GMT )
Sep ०३, २०२४ १४:४७ Asia/Kolkata
  • एक रिपोर्ट/अमेरिका के इशारे से अफ़ग़ानिस्तान में अल क़ायदा की दस्तक
    एक रिपोर्ट/अमेरिका के इशारे से अफ़ग़ानिस्तान में अल क़ायदा की दस्तक

पार्सटुडे- पूर्व नौसेना अधिकारी और यूएस स्पेशल ऑपरेशंस सर्विस के मेंबर डौग लिवरमोर के अनुसार, सभी रेड सिग्नल पूरी तरह से जल बुझ रहे हैं या फ़्लैश कर रहे हैं, और अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवादी ग्रुप्स की गतिविधियों के बारे में चेतावनी दे रहे हैं।

फॉरेन पॉलिसी पत्रिका ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर दोबारा नियंत्रण हासिल करने के बाद इस देश में आतंकवादी गुट अल-क़ायदा का पैर धीरे-धीरे जम रहा है और फैल रहा है क्योंकि तालिबान आतंकवादी गुटों को दबाने के लिए ज़्यादा प्रयास नहीं करता है और यही कारण है कि अफ़ग़ानिस्तान में अल-क़ायदा जैसे गुप्स की गतिविधियां बढ़ी हैं।

पार्सटुडे के अनुसार, फॉरेन पॉलिसी पत्रिका के दावे के अनुसार, अल-क़ायदा ने 2024 तक अफ़ग़ानिस्तान में नौ से अधिक नए आतंकवादी शिविर स्थापित किए हैं। अगर यह दावा सच है तो इससे अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान ग्रुप पर बड़ी जिम्मेदारी आ जाएगी।

राजनीतिक मुद्दों के विशेषज्ञ अमीन फ़रजाद इस संबंध में कहते हैं: अमेरिका का कहना है कि दोहा समझौते की परिधि में, तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में किसी भी आतंकवादी ग्रुप को काम करने की अनुमति न देने पर प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है, निश्चित रूप से, ऐसे ग्रुप जो ऐसा नहीं करते हैं, अमेरिका की सुरक्षा को खतरे में डालना है।

इसी वजह से, तालिबान के शासन के तहत अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवादी गुटों की गतिविधियां, अमेरिका की नजर में चिंता का कारण नहीं है।

अफ़ग़ानिस्तान के कुछ जानकार लोगों के दावे के मुताबिक, तालिबान ने अल-कायदा को पंजशीर घाटी के मध्य, बेस और गोला-बारूद डिपो बनाने की इजाज़त दे दी है।

अफ़ग़ानिस्तान की सीमाओं की सुरक्षा मज़बूत करने में तालिबान की अनदेखी की वजह से अल-क़ायदा, आईएसआईएस की ख़ुरासान शाखा और तहरीके तालिबान पाकिस्तान जैसे आतंकवादी गुटों की गतिविधियों का अफ़ग़ानिस्तान में विस्तार हुआ है।

डेमोक्रेटिक सरकार के एलान अनुसार, 2021 से पहले, 21 से अधिक ज्ञात आतंकवादी गुट अफ़ग़ानिस्तान में सक्रिय थे। कहा जाता है कि इन गुटों की गतिविधियों में पिछले तीन वर्षों में विस्तार हुआ है।

पूर्व नौसेना अधिकारी और यूएस स्पेशल ऑपरेशंस सर्विस के मेंबर डौग लिवरमोर के अनुसार, सभी रेड सिग्नल पूरी तरह से जल बुझ रहे हैं या फ़्लैश कर रहे हैं और अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवादी ग्रुप्स की गतिविधियों के बारे में चेतावनी दे रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ का भी मानना ​​है कि अल-क़ायदा आतंकवादी गुट ने वर्तमान समय में अफ़ग़ानिस्तान के 34 प्रांतों में से कम से कम 10 में शिविर और प्रशिक्षण अड्डे स्थापित किए हैं। इसका मतलब है कि अल-क़ायदा आतंकवादी गुट, अफ़ग़ानिस्तान के बाहर से लड़ाकों की भर्ती और प्रशिक्षण कर रहा है क्योंकि कहा जा रहा है कि अल-क़ायदा ने विदेशी लड़ाकों को अफ़ग़ानिस्तान में आकर दुश्मनों पर हमला करने के लिए तैयार रहने को कहा है।

हालांकि अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवादी गुटों की मौजूदगी के बारे में सटीक ज़मीनी जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन पश्चिमी हलकों द्वारा इस मामले पर प्रकाशित रिपोर्टें, बहुत ही चिंताजनक हैं।

इस संबंध में अमेरिका की उदासीनता विश्लेषकों की इस राय की पुष्टि कर सकती है कि अफ़ग़ानिस्तान से हटकर अमेरिका इस देश को आतंकवादियों का अड्डा बना रहा है ताकि मध्य एशियाई क्षेत्र सहित क्षेत्र के देशों से लेकर चीन की सीमाओं तक की सुरक्षा को खतरे में डाला जा सके।

इसमें कोई शक नहीं कि अमेरिका के पास अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवादी गुटों की गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी है, लेकिन जब तक अमेरिका की सुरक्षा और इस देश के हितों को ख़तरा नहीं होगा, ऐसी गतिविधियों के लिए वाशिंगटन का सिग्नल हमेशा ग्रीन ही रहेगा।

 

कीवर्ड्ज़: आईएसआईएस कहां है?, अल-कायदा क्या है?, अमेरिका और अफ़ग़ानिस्तान, तालिबान और अल-क़ायदा (AK)

 

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