इज़राइल पश्चिमी तट को दूसरा ग़ज़ा बनाना चाहता है
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इज़राइल पश्चिमी तट को दूसरा ग़ज़ा बनाना चाहता है
पार्सटुडे - एक ब्रिटिश अख़बार द्वारा की गई समीक्षा से पता चलता है कि ज़ायोनी शासन, ग़ज़ा पट्टी के खिलाफ़ अपनाई गई रणनीति का उपयोग करते हुए, जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट पर अपने सैन्य आक्रमण को बढ़ाना चाहता है।
ब्रिटिश समाचार पत्र "फाइनेंशियल टाइम्स" ने एक रिपोर्ट में कहा कि ज़ायोनी शासन ने पश्चिमी तट के विरुद्ध अपने हमलों के दायरे और विविधता का विस्तार किया है तथा ड्रोन हमलों, टैंकों की तैनाती और क्षेत्र के विरुद्ध पहले से कहीं अधिक बड़े पैमाने पर हमले किये हैं।
पार्सटुडे के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी तट पर "ग़ज़ा बनने" का खतरा है क्योंकि फिलिस्तीनियों के खिलाफ ज़ायोनी बस्तियों के निवासियों द्वारा हिंसा और हमले बढ़ रहे हैं।
फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, पिछले 18 महीनों में इज़राइली सेना तेजी से उन रणनीतियों और हथियारों का इस्तेमाल कर रही है, जिनका इस्तेमाल ग़ज़ा पट्टी के खिलाफ तो बारम्बार किया गया था लेकिन पश्चिमी तट पर वर्षों से उनका इस्तेमाल नहीं किया गया था।
इस स्थिति की वजह से सहायता ग्रुप्स और मानवाधिकार पर्यवेक्षकों ने चेतावनी दी है कि पश्चिमी तट दूसरा ग़ज़ा बनने की कगार पर है।
मानवीय मामलों के समन्वय हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय के अनुसार, 7 अक्टूबर 2023 से अब तक इज़राइली सैनिकों ने पश्चिमी तट पर 900 से अधिक फिलिस्तीनियों को शहीद कर दिया जिसकी वजह से 2023 और 2024 इस क्षेत्र में फिलिस्तीनियों के लिए सबसे घातक वर्ष बन गए हैं।
फिलिस्तीनी शहीदों की ताज़ा संख्या के अलावा, पश्चिमी तट पर इजराइल की कार्रवाइयों की वजह से बड़ी संख्या में सड़कें और घर नष्ट हो गए हैं जबकि हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं और आवाजाही पर व्यापक प्रतिबंध लगा दिए गए हैं जिससे 3.3 मिलियन से अधिक फिलिस्तीनियों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
फिलिस्तीनी मामलों के विश्लेषक इब्राहिम देलाल्शा का कहना है कि इस प्रक्रिया में इज़राइली कैबिनेट की नीतियां शामिल हैं क्योंकि इज़राइली प्रधानमंत्री बेन्यामीन नेतन्याहू के दूर-दराज़ के सहयोगी, जिनमें बेज़ालिल स्मोट्रिच और एतमार बेन-गिवर शामिल हैं, पश्चिमी तट में और अधिक हमलों पर जोर दे रहे हैं।
मानवाधिकार संगठनों ने पश्चिमी तट में फिलिस्तीनियों के विरुद्ध इज़राइली अपराधों में वृद्धि की निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार कार्यालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पश्चिमी तट (तनाव कम करने वाला क्षेत्र) में शासन की गतिविधियां अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हैं। (AK)
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