इस्राइली सैनिक आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?
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पार्सटुडे – ग़ज़ा युद्ध में इस्राइली सेना और कैबिनेट द्वारा "मुकम्मल विजय" के झूठे नारे का प्रचार किया जा रहा है और हमास की शक्ति को नष्ट करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इस्राइली सेना में बढ़ती आत्महत्या की संख्या एक अलग हकीकत बयां करती है जो इस शासन के युद्ध संबंधी गहरे संकट को उजागर करती है।
(last modified 2025-08-03T10:08:37+00:00 )
Aug ०३, २०२५ १५:३५ Asia/Kolkata
  • इस्राइली सैनिक आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?
    इस्राइली सैनिक आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?

पार्सटुडे – ग़ज़ा युद्ध में इस्राइली सेना और कैबिनेट द्वारा "मुकम्मल विजय" के झूठे नारे का प्रचार किया जा रहा है और हमास की शक्ति को नष्ट करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इस्राइली सेना में बढ़ती आत्महत्या की संख्या एक अलग हकीकत बयां करती है जो इस शासन के युद्ध संबंधी गहरे संकट को उजागर करती है।

हालांकि इस्राइली सेना में आत्महत्या की घटनाओं की जड़ें लेबनान के साथ हुए युद्धों, खासकर जुलाई 2006 के युद्ध, से जुड़ी हैं, जिसके बाद सैनिकों में मानसिक बीमारियां, जैसे "पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)", के कारण आत्महत्या की लहर देखी गई, लेकिन 7 अक्टूबर 2023 को फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध द्वारा "ऑप्रेशन तूफ़ान अल-अक्सा" के बाद यह समस्या और भी स्पष्ट हो गई है।

 

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार, ग़ज़ा युद्ध की शुरुआत से ही इस्राइली सेना ने मीडिया पर सख्त सेंसरशिप लगा दिया है और मारे गये लोगों की सटीक संख्या, चाहे वह मोर्चे पर हो या आत्महत्या के मामले, प्रकाशित नहीं होने दे रही है। हालांकि, हिब्रू स्रोतों ने बारम्बार इस्राइली सेना में आत्महत्या के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जताई है।

 

इस्राइली सेना में आत्महत्या का ताज़ा मामला, जो मीडिया में आया है, आरियल तामन नामक एक रिज़र्व सैनिक का है, जिसने अपने घर में जान दे दी। यह सैनिक शवों की पहचान करने वाली टुकड़ी में काम करता था, जो मनोवैज्ञानिक रूप से सबसे कठिन कामों में से एक है। इस्राइली टीवी चैनल 12 ने बताया कि सिर्फ़ जुलाई के पहले पखवाड़े में ही चार अन्य सैनिकों ने आत्महत्या की है, और युद्ध की शुरुआत से अब तक आत्महत्या के मामले पिछले वर्षों की तुलना में काफी बढ़ गए हैं।

 

इस्राइली सैनिक आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?

 

इस्राइली सेना के सैनिकों ने अरब देशों और खासकर फ़िलिस्तीनी जनता के खिलाफ लंबे समय से चल रहे युद्धों में ऐसे अमानवीय अत्याचार किए हैं, जिनकी क्रूरता और बर्बरता की कल्पना भी नहीं की जा सकती। स्वाभाविक है कि इन अत्याचारों की तस्वीरें देखने मात्र से भी गहरा मानसिक आघात लगता है। लेकिन इस्राइली सैनिक न केवल इन अत्याचारों को अंजाम देने के बाद प्रभावित नहीं होते और न ही उन्हें कोई पश्चाताप होता है, बल्कि वे अपनी इस बर्बरता पर गर्व करते हैं और इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं। ग़ज़ा युद्ध की शुरुआत से अब तक इस्राइली मीडिया ने सैनिकों में मानसिक विकारों और आघात के कई मामलों की रिपोर्ट की है। लेकिन यह स्पष्ट है कि इन सैनिकों का तनाव निर्दोष नागरिकों, खासकर महिलाओं और बच्चों, के खिलाफ किए गए अत्याचारों के कारण नहीं, बल्कि प्रतिरोध द्वारा दिए गए भारी और अभूतपूर्व नुक़सान के कारण है।

 

ज़ायोनी सेना के रिज़र्व बलों, खासकर युवा सैनिकों में मानसिक नुक़सान, अन्य अधिकारियों और कब्ज़ाकारी शासन के सैनिकों की तुलना में ज़्यादा साफ़ दिखाई देता है। इस संदर्भ में, ज़ायोनी लेखिका और मानसिक बीमारियों की विशेषज्ञ "रविताल होफ़िल" ने एक लेख लिखा है, जिसमें उन सैनिकों के मानसिक नुक़सान का विश्लेषण किया गया है जो नियमित या रिज़र्व बलों के रूप में कब्ज़ाकारी सेना में काम करते हैं। लेख के एक हिस्से में कहा गया है: नियमित सेना के सैनिकों को लगता था कि कोरोना महामारी के तीन साल बाद सेना पूरी तरह तैयार है, लेकिन अचानक युद्ध शुरू हो गया और हमने ऐसे दृश्य देखे जिन पर काबू पाना नामुमकिन था। इसराइली सैनिकों की लगातार हो रही मौतों के अलावा, इस युद्ध का मानसिक दुष्प्रभाव भी बहुत भारी है। यहाँ तक कि जो सैनिक जीवित बच गए हैं, उन्हें भी लगता है कि उनका जीवन खत्म हो चुका है।"

 

इसराइली सेना के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के पूर्व प्रमुख "ईयाल फ्रूचर" ने भी वर्तमान समय की दयनीय स्थिति को नज़रअंदाज़ करने के ख़िलाफ़ चेतावनी देते हुए कहा: "रिज़र्व बलों के सैनिक खुद को कई ख़तरों में घिरा हुआ महसूस करते हैं, नौकरी का नुकसान, पारिवारिक जीवन का बिखराव, अलगाव की भावना और युद्ध के दौरान हुए मनोवैज्ञानिक नुक़सान ।

इस्राइली मनोवैज्ञानिक "रोना एकरमन" का कहना है कि युद्ध दिखाई देने वाले घावों के साथ-साथ लंबे समय तक रहने वाले मानसिक आघात भी छोड़ता है, खासकर सेना के सैनिकों में, क्योंकि उन्हें खुद को मजबूत दिखाना पड़ता है। इस वजह से उनके मन और आत्मा में पैदा हुए कमजोरी के लक्षणों को पहचानना बहुत मुश्किल होता है। यह स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि कुछ सैनिक आत्महत्या तक कर लेते हैं।

 

ज़ायोनी शासन के "कैन चैनल" ने सेंसर की गई खबरों के बीच इसराइली सेना में आत्महत्या के आँकड़ों का खुलासा किया है। 2025 की शुरुआत से अब तक 16 सैनिकों ने आत्महत्या की है। 2024 में 21 और 2023 में 17 इसराइली सैनिकों ने खुदकुशी की थी। (AK)

 

 

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